पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) एक चरमपंथी इस्लामी संगठन है, यह संगठन बीते कई वर्षों से देश विरोधी एवं आतंकी गतिविधियों में संलिप्त पाया जा चुका है। यही कारण है कि इस संगठन पर केंद्रीय जांच एजेंसियों की पैनी निगाह बनी रहती है, जो देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक भी है। संगठन पर काफी पहले से ही कई हिंसक और चरमपंथी घटनाओं के आरोप लगते आए हैं। हिजाब आंदोलन और सीएए विरोधी प्रदर्शनों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की कथित संलिप्तता पर पूरे भारत में व्यापक आक्रोश है। जहां हाल के दिनों में विभिन्न राष्ट्रवादियों द्वारा पीएफआई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर कई हंगामे हुए थे, वहीं सूफी इस्लामिक बोर्ड कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पीएफआई का विरोध करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
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क्या PFI एक और सिमी बना रहा है?
ऐसा माना जाता है कि पीएफआई 2006 के मुंबई और 2008 के अहमदाबाद विस्फोटों के मास्टरमाइंड सिमी की एक शाखा है। सीएए के विरोध और हिजाब विवाद में पीएफआई और इसकी छात्र शाखा सीएफआई की सक्रिय भागीदारी देखी गई है।इसके बदले में सरकार से इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर आवाजें उठने लगी थीं। और हाल ही में सूफी इस्लामिक बोर्ड ने भी इस मांग को और आगे ले जाने की बात कही है।
पीएफआई ने द हिंदू में प्रकाशित एक लेख का हवाला देते हुए सूफी इस्लामिक बोर्ड को मानहानि का नोटिस दिया है, जिसमें सूफी इस्लामिक बोर्ड के सलाहकार वाई शौकत ऑल मोहम्मद द्वारा दायर एक याचिका का उल्लेख किया गया था, जिसमें उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय से डीजीपी को निर्देश देने की मांग की थी। पीएफआई कैडर को इस आधार पर मार्च निकालने से रोकें कि इससे सांप्रदायिक शांति और सद्भाव भंग हो सकता है।
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रिपोर्ट में किस तरह के आरोप लगाए गए हैं?
रिपोर्ट में सूफी इस्लामिक बोर्ड के एक सलाहकार, मोहम्मद के हवाले से पीएफआई पर तुरिश जिहादी चैरिटी समूह आईएचएच के साथ संबंध होने का आरोप लगाया गया और दावा किया गया कि पीएफआई के दो प्रमुख नेताओं अब्दुल रहीमान और पी.कोया को आईएचएच द्वारा इस्तांबुल में निजी तौर पर होस्ट किया गया था। यह भी उल्लेख किया गया था कि 2011 के मुंबई बम विस्फोट, 2012 के पुणे विस्फोट और 2013 के हैदराबाद हमले में पीएफआई की भूमिका थी।
बोर्ड ने पीएफआई पर मुस्लिम ब्रदरहुड यानी एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन के साथ अपनी विचारधारा साझा करने का आरोप लगाया। कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन ने इन टिप्पणियों पर अब सूफी इस्लामिक बोर्ड को मानहानि का नोटिस भेजा है।
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सूफी इस्लामिक बोर्ड ने पीएफआई पर तंज कसा
सूफी इस्लामिक बोर्ड ने चेन्नई प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान PFI पर ताना मारा, जब PFI ने सूफी बोर्ड को मानहानि का नोटिस दिया। लेकिन पीएफआई और सूफी बोर्ड के बीच खींचतान क्यों है?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया तमिलनाडु के कई शहरों में ‘एकता मार्च’ आयोजित करने के लिए पूरी तरह तैयार था, जिसकी अनुमति बाद में सूफी इस्लामिक बोर्ड के अनुरोध पर तमिलनाडु पुलिस ने रद्द कर दी थी। पुलिस द्वारा अनुमति रद्द करने का कारण ‘सांप्रदायिक शांति और सद्भाव के लिए खतरा’ था। सूफी इस्लामिक बोर्ड ने एक अप्रत्याशित कदम में पीएफआई को नोटिस भेजने के लिए मजाक उड़ाया है, और इसके साथ ही सूफी इस्लामिक बोर्ड ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे तब तक नहीं रुकेंगे जब तक कि पीएफआई और उसके सहयोगियों जैसे संगठनों को भारत में प्रतिबंधित नहीं किया जाता है।
सूफी इस्लामिक बोर्ड ने कहा,”जिस संगठन के खिलाफ 1300 मामले हैं, वह मुझसे कहता है कि हम उन्हें बदनाम कर रहे हैं। आपको बतादें कि सूफी इस्लामिक बोर्ड ने पीएफआई का विरोध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और पूरे भारत में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। सूफी इस्लामिक बोर्ड देश में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के पीएफआई के प्रयास के बारे में गंभीर रूप से मुखर रहा है और पीएफआई द्वारा दिए गए मानहानि नोटिस का जवाब दे रहा था। ऐसे में केंद्र सरकार को अब सख्त से सख्त एक्शन लेते हुए इस इस्लामी संगठन को प्रतिबंधित कर इसका हिसाब करना चाहिए और सिमी की तरह ही प्रतिबंधित कर इसके कट्टरपंथी सदस्यों की क्लास लगानी चाहिए।