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“आधार” ने बिचौलियों पर लगाम लगाने के साथ ही सरकार की 2 लाख करोड़ रुपये की बचत की है

जिस "आधार" पर वामपंथियों और लिब्रांडुओं ने उठाया सवाल, वो करता जा रहा है कमाल पर कमाल!

Shikhar Srivastava द्वारा Shikhar Srivastava
3 June 2022
in चर्चित
Adhar card

Source- Google

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मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत की अर्थव्यवस्था का कायाकल्प हुआ है और यह एक सर्व स्वीकृत मत है। आर्थिक तरक्की के पहलू के अतिरिक्त भारतीय अर्थव्यवस्था के रूपांतरण को आर्थिक लेनदेन और आर्थिक क्रियाकलापों के संपादन के तरीके में आए बदलाव के रूप में देखा जा सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था किसी पश्चिमी देश की विकसित अर्थव्यवस्था की तरह की डिजिटलाइजेशन आधारित हो चुकी है। वर्ष 2014-15 के आर्थिक सर्वेक्षण में मोदी सरकार ने JAM परियोजना प्रस्तुत की थी। इस परियोजना के तीन स्तंभ जनधन खाता, आधार तथा मोबाइल फोन हैं। वुहान वायरस के फैलाव के दौरान भारत भुखमरी और अस्थिरता की ओर नहीं बढ़ा, क्योंकि सरकार ने लोगों के बैंक खातों को उनके मोबाइल फोन और आधार से जोड़ दिया था जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे आम आदमी तक पहुंच रहा था। ऐसे में असामाजिक तत्वों को व्यापक भ्रष्टाचार करने के अवसर नहीं मिले, क्योंकि डायरेक्ट बेनिफिट योजना ने इसके लिए किसी भी तरह का रिक्त स्थान ही नहीं छोड़ा है।

और पढ़ें: इस तरह भारत पेपर ड्रैगन को हर मोड़ पर मात दे रहा है

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सरकारी कल्याण योजनाओं का आधार बन गया है “आधार”

बीते बुधवार को NITI Aayog के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अमिताभ कांत ने आधार को दुनिया की “सबसे सफल” बायोमेट्रिक-आधारित पहचान पहल में से एक करार दिया। सरकार की कल्याणकारी पहलों में से एक “आधार” ने सरकार की ₹2 लाख करोड़ से अधिक की बचत कराई है। उन्होंने बताया कि आधार ने नकली पहचान पत्रों को समाप्त किया। अभिताभ कांत ने कहा, “आधार सरकारी कल्याण योजनाओं के लिए आधार बन गया है, आधार ने बिना किसी हस्तक्षेप या बिचौलियों के, तेजी से लाभ हस्तांतरण सुनिश्चित किया और एक बड़ी राशि की बचत की।” उन्होंने यह बात दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही।

उन्होंने कहा, “यह जानना प्रशंसनीय है कि 315 केंद्रीय योजनाएं और 500 राज्य योजनाएं सेवाओं के प्रभावी वितरण को सुनिश्चित करने के लिए आधार का लाभ उठा रही हैं। आधार अब सरकारी कल्याण योजनाओं के लिए आधार बन गया है, यह बिना किसी रुकावट या बिचौलियों के तेजी से लाभ हस्तांतरण सुनिश्चित करता है, जिससे ₹2.22 लाख करोड़ की बचत हई है।” अमिताभ कांत ने यह भी बताया कि भारत की ओर से विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ बातचीत की जा रही है कि किस प्रकार आधार जैसी व्यवस्था का लाभ दूसरे देशों को भी मिल सकता है।

अब लोगों के पास 15 पैसे नहीं बल्कि पूरे के पूरे पैसे पहुंचते हैं

ध्यान देने वाली बात है कि आधार ने कई मायनो में गुड गवर्नेंस को संभव बनाया है। आधार ने सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के लाभों के वितरण की प्रणाली से बड़ी संख्या में फर्जी खातों को हटाने में भी मदद की है। ऐसे खाते जो केवल सरकार द्वारा प्रदान की गई सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए अवैध तरीके से खोले गए थे। यह एक ऐसा काम था जो किसी क्रांतिकारी बदलाव के समान है। एक ऐसा दौर था जब भारत के प्रधानमंत्री यह कहते थे कि सरकार यदि जनता के पास ₹1 भेजती है तो गरीब तक केवल 15 पैसे ही पहुंचते हैं, किन्तु आज ऐसी कोई मजबूरी नहीं है और मौजूदा समय में स्थिति कैसी है यह भी किसी से छिपी नहीं है।

सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए आधार को मतदाता सूची से जोड़ने का निर्णय किया है। जब सरकार ने सदन में यह बिल प्रस्तुत किया था तो विपक्ष ने इसका जमकर विरोध किया था। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट कहा था कि यह बिल “फर्जी मतदान और फर्जी वोटों को रोकने के लिए है।” सरकार का तर्क था कि “आधार को मतदाता सूची से जोड़ने से एक ही व्यक्ति के अलग-अलग जगहों पर कई नामांकन की समस्या का समाधान हो जाएगा। एक बार आधार लिंकेज हो जाने के बाद, मतदाता सूची डेटा सिस्टम तुरंत पिछले पंजीकरण के अस्तित्व को सचेत कर देगा, जब भी कोई व्यक्ति नए पंजीकरण के लिए आवेदन करेगा।”

इस प्रकार आधार ने फर्जी वोटिंग की भारत की वर्षों पुरानी समस्या के समाधान में भी सहयोग किया है। आधार के कारण होने वाली सरकारी बचत, विभिन्न लाभों और आर्थिक सहयोग का बिना लीकेज वितरण, सरकार की विश्वसनीयता के लिए बड़ा लाभकारी रहा है। यही कारण है कि वर्ष 2014 से वामपंथियों, इस्लामिस्टों और कांग्रेसियों के प्रोपोगेंडा के बाद भी मोदी सरकार पर जनता का विश्वास बना हुआ है।

और पढ़ें: ‘आधार’ को ‘मतदाता सूची’ से जोड़ने के नए कानून ने विपक्ष को हास्यास्पद रूप से किया बेचैन

Tags: आधारनीति आयोगमोदी सरकार
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