जब जब देश में सेक्युलरिज्म के नाम पर कट्टरपंथियों ने अपने पैर पसारे हैं तब तब खूनी संघर्ष हुआ है। नूपुर शर्मा विवाद के बाद से देश में यह खूनी संघर्ष ऐसा बढ़ता चला गया है कि अमरावती के बाद उदयपुर और अब हालिया मामला मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम से आया है। नर्मदापुरम से आई खबर ने सभी को एक बार फिर द्रवित कर दिया है जिसने भी यह खबर सुनी उसकी रूह कांप उठी। एक इंजीनियरिंग छात्र निशंक राठौर का शव रायसेन में रेलवे ट्रैक पर दो कटे हुए भागों में पाया गया। इस रहस्यमयी मौत का कारण बाहर आता उससे पहले छात्र के फोन से किए गए अंतिम मैसेज ने सभी संभावनाओं पर विराम लगा दिया। अंतिम संदेशों से पता चलता है कि कैसे “गुस्ताख़-ए-रसूल की एक ही सजा…..” के तहत इस छात्र को मारा गया और काटकर फेंक दिया गया।
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हिंदुओं को अपना शिकार बना रहे हैं इस्लामिस्ट
दरअसल, कट्टरपंथियों ने नूपुर शर्मा के बयान की आड़ में भारत में उत्पात मचाना शुरू कर दिया है। उनके बयान की आड़ में अपने कुकृत्यों को अंजाम देना जिहादियों के एक षड्यंत्र की तरह है और हालिया घटनाओं से तो साफ-साफ पता चलता है कि यह तत्व उस बयान से नहीं बल्कि हिन्दू धर्म के प्रति ही विष पाले बैठे हुए हैं। उनकी मानसिकता इतनी विकृत हो चुकी है कि ये लोग सर धड़ से अलग करने में क्षण-भर भी नहीं लगा रहे हैं। जो भी नूपुर शर्मा के समर्थन में दिखा वो इनके निशाने पर है, जो हिन्दू धर्म का प्रचार करते हैं वो इनके निशाने पर हैं और जो लोग इन कुंठितों की मदद करते हैं वो भी इनके निशाने पर हैं। उदयपुर में हुई कन्हैया लाल की नृशंस हत्या सबसे ताजा उदाहरण है, जिसमें उनके बेटे द्वारा सोशल मीडिया पर एक स्टेटस लगाने और कमेंट करने पर कन्हैया लाल को दिनदहाड़े उनकी दुकान पर जाकर इस्लामिस्टों ने मौत के घाट उतार दिया गया और उसका वीडियो भी बनाया।
कन्हैया लाल से पहले महाराष्ट्र के अमरावती में भी ठीक ऐसा ही हुआ था लेकिन इस घटनाक्रम की सूचना कन्हैया लाल की हत्या उपरांत आई थी। महाराष्ट्र के अमरावती में 21 जून 2022 को फार्मासिस्ट उमेश कोल्हे की हत्या की गई थी। उन्हें उनके सोशल मीडिया पोस्ट के लिए मारा गया था जिसमें उन्होंने नूपुर शर्मा का समर्थन किया था। मामला शुरू में 22 जून को पुलिस स्टेशन सिटी कोतवाली में दर्ज किया गया था। बाद में, 2 जुलाई को एनआईए ने जांच की जिम्मेदारी संभाल ली थी और उसके बाद कन्हैया लाल की हत्या की खबर सामने आई।
ध्यान देने वाली बात है कि बीते 28 जून को उदयपुर में टेलर कन्हैया लाल की धारदार हथियार से लगातार कई वार करके उनकी हत्या कर दी गई थी। उसी दिन शाम तक दो आरोपियों को पुलिस ने पकड़ लिया था। बताया गया कि कन्हैया लाल के मोबाइल से नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट हुआ था और इसके कारण ही रियाज और गौस मोहम्मद ने उनकी हत्या कर दी थी। राजस्थान सरकार की ओर से घटना की जांच के लिए SIT का गठन किया गया था। बाद में कोर्ट ने इस केस को एनआईए को सौंप दिया था।
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इन हत्याओं पर उठ रहे हैं कई सवाल
अब मध्य प्रदेश से ऐसी ही खबर सामने आई है जहां 20 वर्षीय छात्र निशंक राठौर को मार दिया गया। नर्मदापुरम में हुई इस घटना में पुलिस को आत्महत्या का संदेह है लेकिन जो बात घटना को रहस्यमय बनाती है, वह है पीड़ित निशंक राठौर के पिता को उनकी मृत्यु से ठीक पहले उनके फोन पर प्राप्त संदेश। उनके व्हाट्सएप पर आए आखिरी संदेश में लिखा गया था कि “राठौर साहब आपका बेटा बहुत बहादुर था…गुस्ताख-ए-नबी की एक ही सजा, सर तन से जुदा।”
निशंक भोपाल से लगभग 120 किमी दूर नर्मदापुरम में सिवनीमालवा तहसील के मूल निवासी थे। अपनी B.Tech की पढाई के लिए वो भोपाल आए थे। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा के बाद कहा कि रविवार को निशंक ने भोपाल में किराए पर एक स्कूटर लिया और नर्मदापुरम की ओर गाड़ी चला रहे थे। उनका शव रायसेन जिले के मिडघाट रेलवे स्टेशन के पास भोपाल और सिवनी-मालवा के बीच में शाम 6 बजे के ठीक बाद मिला था। उनकी मृत्यु से कुछ मिनट पहले उनके पिता को एक संदेश मिला। निशंक के पिता उमाशंकर राठौर ने बताया कि “लगभग 5.44 बजे, मुझे निशंक के नंबर से व्हाट्सएप पर संदेश मिला। यह एक फॉरवार्डेड संदेश नहीं था बल्कि एक टाइप किया हुआ संदेश था।”
जिस तरह प्रथम दृष्ट्या यह घटना भी विकृत मानसिकता के परिचायकों द्वारा की गई महसूस की जा रही है उससे सवाल उठ रहा हैं कि ये जिहादी वास्तव में क्या संदेश देना चाह रहे हैं? इसके माध्यम से ये लोग क्या देश में अराजक माहौल पैदा कर देश के बहुसंख्यकों के मन में डर पैदा करना चाह रहे हैं? या अब देश का इस्लामीकरण करने की चाह रखने वाले यह जिहादी हिंदुस्तान को भी तालिबानी शासन वाला देश बनाना चाह रहे हैं? दूसरी ओर जो सवाल उठता है वो सच में बेहद ज़रूरी है कि पुलिस क्या कर रही है? क्या वास्तव में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही इन घटनाओं से पुलिस तंत्र कोई सीख नहीं ले रहा? यदि सीख ली भी, तो आए दिन वही “गुस्ताख़-ए-रसूल की एक ही सजा…..” की तर्ज पर ऐसी वारदातें क्यों बढ़ती जा रही हैं? सवाल इतना ही है कि क्या हिंदुओं की हो रही लगातार हत्याएं इस्लामवादी कुंठा और उनकी मनोविकृति को दर्शा रही है?
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