“कभी कभी हौसले को नहीं समझ आता कि उसे अपनी हदें पार नहीं करनी चाहिए, तब खौफ को भी पता चल जाता है कि उसके आने का वक्त आ गया है….”, ये संवाद अपने आप में यह बताने के लिए पर्याप्त है कि जूनियर NTR की लोकप्रियता इस समय किस स्तर पर है। उनके आगामी प्रोजेक्ट की घोषणा जब ऐसे की जाए तो आप यह समझ सकते हैं कि वो कोई मामूली अभिनेता नहीं हैं। परंतु उनकी इस लोकप्रियता के पीछे कुछ गहरे घाव हैं, एक पीड़ा से परिपूर्ण यात्रा है, जिसका अनुभव करते हुए इस व्यक्ति ने सफलता का शिखर प्राप्त किया है। इस लेख में हम विस्तार से नंदमुरी तारक रामा राव यानी जूनियर NTR की कथा से अवगत होंगे, जिन्हें एक बड़े परिवार से होते हुए भी तिरस्कार, पीड़ा, उलाहने इत्यादि झेलने पड़े परंतु उन्होंने किसी के समक्ष नहीं झुकते हुए अपनी अलग राह बनाई और आज केवल तेलुगु उद्योग ही नहीं बल्कि पूरे भारत के प्रिय सितारे बन गए हैं।
और पढ़ें: वैश्विक मीडिया भी सुनिश्चित कर रही है- “ऑस्कर योग्य है RRR”
जूनियर NTR के संघर्ष की कहानी
इनके पिता नंदमुरी हरीकृष्ण थे और इनकी मां एक कन्नड़ ब्राह्मण थीं। मूल रूप से इनका नाम तारक था परंतु इनके दादा एन टी रामा राव के सुझाव पर इनका भी नाम एन टी रामा राव रखा गया। परंतु इतने वैभवशाली परिवार से आने के बाद भी जूनियर एनटीआर को फिर दिक्कतों का सामना क्यों करना पड़ा? वो कहते हैं न, अच्छे लोगों को कभी भी सफलता के लिए सरल मार्ग नहीं मिलता और जूनियर एनटीआर की कथा अपने दादा से कुछ अधिक भिन्न नहीं रही, बस उन्हें सफलता के लिए कुछ अधिक कठिन और कष्टदायी पगडंडियों से गुजरना पड़ा। उनकी प्रतिभा भले ही उनके दादा ने पहचान ली थी और एक बाल कलाकार के रूप में अवसर दिया परंतु उनके देहावसान के बाद जूनियर एनटीआर और उनका परिवार लगभग अकेला पड़ गया। वर्ष 2001 में उन्होंने ‘स्टूडेंट नंबर 1’ से फिल्म इंडस्ट्री में पदार्पण किया, जिसे निर्देशित किसी और ने नहीं एस एस राजमौली ने किया था परंतु इसमें एनटीआर के अभिनय पर कम और उनके वजन पर अधिक फोकस किया गया।
एनटीआर ने अपने दादा के पदचिह्नों पर चलते हुए जनसेवा में हाथ आजमाने का प्रयास किया परंतु वहां पर कुंडली मारकर बैठे थे चंद्रबाबू नायडू, जिन्हें किसी भी ऐसे व्यक्ति से चिढ़ मचती थी जो उनसे तनिक भी अधिक लोकप्रिय हो और ये तो ठहरे एनटीआर के पोते, जो उनके ही मूर्त रूप प्रतीत होते थे। ऐसे में पार्टी में विवाद हुआ और जूनियर एनटीआर साइड हो गए। वर्ष 2010 के पश्चात जूनियर एनटीआर ने अपने व्यक्तित्व को निखारने पर ध्यान केंद्रित किया। प्रारंभ में उनकी कुछ फिल्में चलीं, नहीं चलीं परंतु वर्ष 2013 में बादशाह ने पूरा का पूरा खेल ही बदल कर रख दिया, जिसके बाद जूनियर NTR ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वर्ष 2015 में पुरी जगन्नाध के निर्देशन में उनकी फिल्म ‘टेम्पर’ आई, जिसमें इंस्पेक्टर दया की भूमिका में अभिनय और मनोरंजन का डबल डोज़ देते हुए जूनियर एनटीआर ने बॉक्स ऑफिस पर आग लगा दी। इसके पश्चात उन्होंने चुनिंदा रोल करने में ही अपनी भलाई समझी। कमर्शियल और क्रिटिकल, दोनों का भरपूर मिश्रण करते हुए वो पुनः राजामौली से मिलें, जो बाहुबली की प्रचंड सफलता के पश्चात अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए अभिनेता ढूंढ रहे थे। राजामौली को जूनियर एनटीआर में मिल गए अपने कोमारम भीम और राम चरण तेजा में मिले अल्लुरी सीताराम राजू और तैयार हो गई ‘रौद्रम रणम रुधिरम’।
आज स्थिति यह है कि जूनियर एनटीआर को न केवल भारत में अपितु विश्वभर में अपार प्रेम मिल रहा है। विश्वास नहीं होता तो Variety मैगजीन के इस लेख को पढ़िए। उनके अनुसार, RRR न केवल 21 वर्षों में भारत का ऑस्कर में “नामांकन का सूखा” खत्म करने योग्य है अपितु अकादमी अवॉर्ड के प्रमुख श्रेणियों में नामांकित होने और विजयी होने के भी योग्य है, यदि सब कुछ ठीक रहे तो और इसमें NTR की दावेदारी सबसे आगे है। हाल ही में चर्चित सैटर्न पुरस्कारों की घोषणा हुई, जहां पर हॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध फिल्मों को हर वर्ष नामांकित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बार इसमें सर्वश्रेष्ठ एक्शन फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के नामांकन में किसका नाम सम्मिलित है? बिल्कुल ठीक समझे, RRR एवं एस एस राजामौली का!
हाल ही में अमित शाह से मिले थे NTR
इसके अतिरिक्त राजनीतिक रूप से जूनियर एनटीआर अब पुनः वही कद प्राप्त कर रहे हैं, जो उनके दादा को प्राप्त था। अमित शाह हाल ही में हैदराबाद के दौरे पर थे और इस दौरान उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म सिटी यानी रामोजी फिल्म सिटी का दौरा कर रामोजी राव से मुलाकात की थी। अमित शाह ने यहां सुपरस्टार जूनियर एनटीआर से भी मुलाकात की, जिसकी चर्चा राष्ट्रीय राजनीति में बहुत अधिक है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि तेलंगाना की राजनीति में जूनियर एनटीआर का कोई दखल नहीं है लेकिन राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो यह नाम उथल-पुथल मचाने के लिए काफी है।
अमित शाह ने जूनियर एनटीआर से मुलाकात की और उनकी जमकर तारीफ भी की। गृहमंत्री ने ट्वीट कर लिखा, “यहां हैदराबाद में एक बहुत ही प्रतिभाशाली अभिनेता और तेलुगू सिनेमा के रत्न जूनियर एनटीआर के साथ अच्छी बातचीत हुई।” इस ट्वीट के साथ ही शाह ने जूनियर एनटीआर के साथ अपनी तस्वीरें भी शेयर की हैं। अब खास बात यह है कि एक तरफ अमित शाह राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं तो दूसरी ओर जूनियर एनटीआर फिल्मी जगत में अपने करियर की ऊंचाइयों पर हैं। किसी समय एनटीआर जूनियर को लोग हास्य का विषय मानते थे परंतु आज वो देश का अभिमान हैं, जिन्हें न राजनीति का विष रोक पाई और न ही पारिवारिक विवाद। दर्द और पीड़ा को सहते हुए आज नंदमुरी तारक रामा राव जूनियर ने जो प्रसिद्धि पाई है, वो उनकी तपस्या का फल है।
और पढ़ें: अमित शाह के साथ जूनियर एनटीआर: तेलंगाना में बीजेपी को चाहिए एक्स फैक्टर
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें.