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सुनो तुर्की! तुम्हारे कबाड़ ड्रोन भारत ने नहीं मांगे, जिनमें पुतिन की सेना नाश्ता करती है

अपने पास रखो, हमें नहीं चाहिए!

Prashant Srivastava द्वारा Prashant Srivastava
12 September 2022
in मत
Modi
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कहावत तो आपने भी सुनी ही होगी कि बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना, स्वयं को पाकिस्तान का परम मित्र समझने वाला तुर्की स्वयं को वही अब्दुल्ला समझ रहा है, तभी तो उसने बिना भारत के मांगे ही यह बयान दे दिया कि वह अपने बायरख्तर ड्रोन भारत को नहीं देगा। दरअसल, यह बयान बायकर टेक्नॉलजी के सीईओ हलूक बायरख्तर ने दिया लेकिन यह बात किसी से छिपी नहीं है कि बायरख्तर ड्रोन बनाने वाली कंपनी के सीईओ ने यह बयान किसके कहने पर दिया होगा

इस लेक में हम जानेंगे कि कैसे तुर्की ने अपने कबाड़ ड्रोन भारत को बेचने न बेचने के संबंध में मुंह खोलकर स्वयं की ही बेइज्जती करवा ली है।

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बायरख्तर ड्रोन का दम दिखा रहा है तुर्की

दरअसल, जिस बायरख्तर ड्रोन के दम पर तुर्की इतना उछल रहा है उसका आधार ही झूठा है। तुर्की यह दावा करता है कि उसका बायरख्तर ड्रोन बहुत शक्तिशाली है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है इसका प्रमाण अजरबैजान आर्मेनिया युद्ध के दौरान ही मिल गया था। याद करिए उस युद्ध को जिसमें आर्मेनिया को रूस का समर्थन प्राप्त था तो वहीं तुर्की ने बढ़चढ़ कर अजरबैजान का समर्थन किया था, किंतु युद्ध में रूस द्वारा समर्थित आर्मेनिया बुरी तरह से परास्त हुआ था। इस युद्ध को बहुत बारीकी से देख रहे रूस ने युद्ध के पश्चात ड्रोन को मार गिराने की बेमिसाल तकनीक विकसित की। वास्तव में परीक्षण चरण में होने के कारण उनके व्यापक उपयोग वह यूक्रेन के साथ युद्ध के शुरुआती दौर में नहीं कर पाया, परिणाम यह हुआ कि बायरख्तर ड्रोन ने युद्ध के मैदान में रूस के कुछ लड़ाकू विमानों को ढेर कर दिया।

बायरख्तर की शुरुआती सफलता देखकर यूक्रेन में तो गाने बनने लगे, लोग ड्रोन से लिपटकर वीडियो तक पोस्ट करने लगे, इधर तुर्की के भी पर निकल आए। वस्तुतः उसे लगा कि अब वह ड्रोन का निर्यात करके खूब पैसे कमाएगा और कुछ हद तक ऐसा करने में वह सफल भी रहा, यूक्रेन-रूस युद्ध में यूक्रेनी सैनिकों द्वारा बायरख्तर ड्रोन से रूसी लड़ाकू विमान मार गिराए जाने के बाद यूएई, साउदी, आर्मेनिया एवं पाकिस्तान समेत कुछ अन्य देश बायरख्तर ड्रोन ख़रीद रहे हैं, इनमें से कुछ देशों ने तो ये ड्रोन ख़रीद भी लिए हैं।

अपने मंसूबों को पूरा होता देख तुर्की गर्म हवा के ग़ुब्बारे में सवार हो गया लेकिन उसे क्या पता था कि जल्द ही रूस उसके ग़ुब्बारे से हवा निकाल देगा। रूस ने जैसे ही देखा की बायरख्तर ड्रोन उसके लड़ाकू विमानों को मार गिरा रहे हैं और जब रूस ने अपने एंटी ड्रोन सिस्टम का उपयोग करना शुरू कर दिया। फिर क्या था तुर्की की सारी हेकड़ी निकल गयी।

और पढ़ें- अमेरिकी ‘शिकारी ड्रोन’ को भूल जाइए, इजरायल के साथ मिलकर स्वदेशी ड्रोन बनाएगा भारत

सटीकता से शिकार करते हैं रूसी एंटी ड्रोन सिस्टम 

रूसी एंटी ड्रोन सिस्टम बड़ी ही सटीकता के साथ बायरख्तर ड्रोन का शिकार करते हैं और जब रूस ने इनका उपयोग करना शुरू किया तो बायरख्तर ड्रोन के परखच्चे उड़ गए और तुर्की का मुंह लटक गया लेकिन बायरख्तर ड्रोन के सीईओ की ढीटता तो देखिए बायरख्तर की मिट्टीपलीत होने के बाद भी वह इसे भारत को नहीं देने की बात कर रहे हैं। अरे मूर्खों भारत ने कभी तुमसे मांगा जो तुम भारत को ड्रोन देने की बात कर रहे हो,  अपना दो कौड़ी का माल अपने पास ही रखो। वैसे भी भारत स्वयं ही ड्रोन के क्षेत्र में बेमिसाल तरक़्क़ी कर रहा है जिसका जीता जागता उदाहरण रुस्‍तम-2 है।

वस्तुतः भारत ने रुस्‍तम-2 ड्रोन विमान के ऑटोमेटिक उड़ान और लैंडिंग का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है| रुस्‍तम-2 ड्रोन विमान लंबी दूरी तक खुफिया निगरानी करने में सक्षम है। इसमें अत्‍याधुनिक रडार लगे हैं। यह ड्रोन विमान दिन और रात दोनों में ही काम करने में सक्षम है। रुस्‍तम-2 मिशन की जरूरत के हिसाब से अलग-अलग तरह के पेलोड्स ले जा सकता है। इस ड्रोन के साथ सिंथेटिक अपर्चर रडार, इलेक्‍ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्‍टम और सिचुएशनल अवेयरनेस सिस्‍टम भेजा जा सकता है। इसमें एक सैटेलाइट कम्‍युनिकेशन लिंक भी है जो युद्ध की स्थिति में हालात की जानकारी रियल टाइम में दे सकता है।

अब बात आती है अन्य देश से ड्रोन लेने की तो भारत के समक्ष अमेरिका और इजराइल जैसे बड़े देश विकल्प के रूप में मौजूद हैं जिनके पास तुर्की से कहीं अच्छी ड्रोन उपलब्ध है। प्रारंभिक योजनाओं के अनुसार, भारत मिसाइलों सहित स्ट्राइक क्षमता से लैस 30 अमेरिकी Predator high-altitude long-endurance ड्रोन खरीदने की योजना बना रहा था जिन्हें तीनों सैनिक सेवाओं के बीच समान रूप से वितरित किया जाना था। किन्तु मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के क्रम में भारत ने यह डील रद्द कर दी थी|

हालांकि F-16 के प्रकरण के बाद अमेरिका पर भारत ज़्यादा भरोसा नहीं कर सकता, इसलिए भारत इज़राएल की तरफ जाना अधिक पसंद करेगा। इसलिए तुर्की के लिए यही सही होगा कि वह भारत की चिंता न करे, स्वयं अपने अर्थव्यवस्था की चिंता करे और मदद की इतनी ही चुल्ल है तो, वेंटीलेटर पर पड़े अपने दोस्त पाकिस्तान की सहायता करे, भारत खुद में सक्षम और मजबूत है वह अपना ध्यान स्वयं रख सकता है।

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