आपको आवश्यकता से अधिक धन मिल जाए तो आप क्या करेंगे? तनिक गाड़ी अधिक खरीदेंगे, स्वर्णाभूषण लेंगे, भवन अच्छे बनवाएंगे? लेकिन बंधु आप जैसे सब नहीं होते जो इतने से संतुष्ट हो जाएं। जूनागढ़ के नवाब तो इन सब से अलग थे। इस लेख में जानेंगे जूनागढ़ प्रांत के अंतिम नवाब के बारे में जिसकी सनक अलग स्तर की थी। जूनागढ़ प्रांत पर बबाई पशतून समुदाय का शासन था जिसके अंतिम शासक थे नवाबज़ादा सर मोहम्मद महाबत खान तृतीय ‘खानजी’।
ये शासक अपने आप में बड़े अनोखे थे इसके साथ ही बड़े ही सनकी थे। निस्संदेह उन्होंने गीर के प्रसिद्ध वन्य उद्यान की नींव रखी, परंतु उनका ध्यान अपने राज्य से अधिक अपने कुत्तों पर होता था। वो अपने कुत्तों के प्रति इतना शौकीन थे कि उन्होंने सन् 1931 में तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड इरविन को अपने सबसे प्रिय रोशनारा की मंगरोल के नवाब के कुत्ते बॉबी से निकाह के लिए वास्तव में आमंत्रित भी किया था।
हालांकि, लॉर्ड इरविन ने वो प्रस्ताव तो ठुकरा दिया लेकिन नवाब ने इस निकाह के लिए अपने प्रांत में तीन दिन के राज्य अवकाश की घोषणा की। यहां तक कि नवाब ने इस समारोह पर विशेष खर्चा भी किया था जिसे एबीपी न्यूज ने अपनी प्रसिद्ध वेब सीरीज़ ‘प्रधानमंत्री’ में चित्रित भी किया है।
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जूनागढ़ का नवाब और उसके कुत्ते
कुत्ते पालने के शौकीन जूनागढ़ के नवाब महाबत खान ने तकरीबन 2000 कुत्ते पाल हुए थे। इतना ही नहीं इन सभी कुत्तों के लिए अलग-अलग कमरे, नौकर और टेलीफोन की व्यवस्था की गई थी। अगर किसी कुत्ते की जान चली जाती तो उसको तमाम रस्मों के साथ कब्रिस्तान में दफनाया जाता था और शव यात्रा के साथ शोक संगीत बजाया जाता था। हालांकि नवाब महाबत खान को इन सभी कुत्तों में सबसे ज्यादा लगाव एक फीमेल डॉग से था जिसका नाम रोशनारा था।
नवाब महाबत खान के इस शौक का उल्लेख विख्यात इतिहासकार डॉमिनिक लॉपियर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में भी किया है। महाबत खान ने रोशनारा की शादी बहुत धूमधाम से पड़ोस के मंगरोल रियासत बॉबी नामक कुत्ते से कराई। इस शादी में नवाब ने आज के वैल्यू के हिसाब से लगभग 2 करोड़ से भी अधिक की धनराशि के खर्च किया था या यह कहें कि इतनी बड़ी राशि को पानी की तरह बहा दिया था या फिर यह कहें कि इतनी बड़ी राशि को जलाकर राख कर डाला था।
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कुत्ते के निकाह के लिए तीन दिन का राजकीय अवकाश
रोशनारा को शादी के दौरान सोने के हार, ब्रेसलेट और महंगे कपड़े पहनाए गए थे। इतना ही नहीं मिलिट्री बैंड के साथ गार्ड ऑफ ऑनर से 250 कुत्तों ने रेलवे स्टेशन पर इनका स्वागत किया था। महाबत खान ने इस शादी में शामिल होने के लिए तमाम राजा-महाराजा समेत वायसराय को भी आमंत्रित किया था। लेकिन वायसराय ने आने से मना कर दिया था परंतु तब भी सनकी नवाब के द्वारा जूनागढ़ में तीन दिन का राजकीय अवकाश घोषित किया गया था।
सोचिए, जो नवाब इतना सनकी हो, वो अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए क्या नहीं करेगा। अपनी सनक की सारी सीमाएं पार करते हुए अपने दीवान के उकसावे पर वो पाकिस्तान में सम्मिलित होने के लिए भी तैयार हो गए थे। लेकिन जब पानी सिर के ऊपर से निकलने लगा तो सरदार पटेल और वीपी मेनन समझ गए कि सैन्य कार्रवाई ही जूनागढ़ की स्वतंत्रता का एकमात्र विकल्प है।
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दूसरी तरफ नवाब मोहम्मद खान (जूनागढ़ का नवाब) भी तुरंत स्थिति को भांप गए और लगभग आधी से अधिक संपत्ति और अपनी कई बीवियों एवं कुत्तों सहित कराची भाग गए। इतने पर भी उनकी एक पत्नी और कुछ कुत्ते पीछे छूट गए यानी इनके लिए तब भी इनके श्वान अधिक महत्वपूर्ण थे।
Sources –
VP Menon, The Unsung Architect of Modern India
Pradhanmantri, Episode 2, ABP Series
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