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“तभी कहते हैं सोचकर बोलो”, एक बात ने ओमपुरी को महानायक से खलनायक में बदल दिया था

ओम पुरी के अभिनय पर कोई प्रश्न तो नहीं उठा सका, परंतु एक बयान ने उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को मलिन कर दिया था।

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
18 January 2023
in चलचित्र
om puri who was an legend actor but destroyed his career due to one statement

Source- TFI

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बड़े बुजुर्ग गलत नहीं कहते थे- कुछ भी बोलें, सोच समझ के बोलें, अन्यथा तरकश से निकला बाण और मुख से निकली बात, दोनों वापस नहीं जाती। आप चाहे जितने भी उत्कृष्ट, प्रतिभाशाली और योग्य क्यों न हो, कभी कभी आपकी विरासत को नष्ट करने के लिए सिर्फ कुछ शब्द ही पर्याप्त होते हैं, और यही बात ओम पुरी पर शत प्रतिशत लागू होती है।

और पढ़ें: मुन्ना भैया से पहले इरफ़ान ने हासिल में छात्र नेता के तौर पर गर्दे उड़ा दिए थे

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बेहद गरीबी में बीता था बचपन

1950 में पूर्वी पंजाब के अंबाला (अब हरियाणा में) जिले में विजयदशमी के दिन यानि 18 अक्टूबर को जन्में ओम प्रकाश पुरी को प्रारंभ से ही विपत्तियों का सामना करना पड़ा। उनके पिता राजेश पुरी भारतीय रेलवे में कार्यरत थे। जब ओम पुरी 6 वर्ष के थे, तब उनके पिता पर सीमेंट चोरी का आरोप लगा और उन्हें जेल में डाल दिया गया था। अब ये सच था या नहीं, किसी को नहीं पता, परंतु इसके कारण ओम और उनका परिवार बेघर हो गया।

अपने परिवार को संभालने हेतु ओम पुरी ने अपने भाई वेद प्रकाश के साथ अनेक व्यवसाय किए। वेद अगर रेलवे स्टेशन पर कुली बनते, तो ओम चाय की दुकान पर काम करते। कभी ढाबा पर सहायता करते, तो कभी रेलवे के निकट कोयला मंडी से कोयला लाकर अपने परिवार का लालन पालन करते।

ओम इतने निर्धन थे कि उनके पास पहनने को ढंग के कपड़े भी नहीं थे, परंतु उन्होंने विपत्ति को कभी आड़े नहीं आने दिया। काम करते करते उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और फिर वे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में प्रविष्ट हुए, जहां उन्होंने अभिनय का क ख ग सीखा। आज भले ही नसीरुद्दीन शाह अपने बयानों और अपने आचरण के कारण विवादों के घेरे में हो, परंतु एक समय वो भी था जब इन्होंने ओम पुरी की प्रतिभा को समझा और उन्हें FTII में भर्ती होने का सुझाव दिया था। यहीं से दोनों में मित्रता प्रगाढ़ हुई।

और पढ़ें: अमित सियाल – एक ऐसा बेहतरीन अभिनेता, जिसकी चर्चा सबसे अधिक होनी चाहिए

अभिनय जगत में प्रवेश

चोर चोर छुप जा के माध्यम से ओम पुरी ने अभिनय जगत में प्रवेश किया, जोकि एक बच्चों की फ़िल्म थी। अपने खर्चों के लिए ओम पुरी ने एक्टर्स स्टूडियो में भी काम किया, जहां इनकी कला से अभिभूत होकर गुलशन ग्रोवर और अनिल कपूर भी अभिनय जगत में हाथ आजमाने के लिए आगे आए। ओम पुरी ने प्रारंभ से ही प्रयोग को प्राथमिकता दी, जिन्होंने पंजाबी होकर भी मुख्यधारा सिनेमा से एक मराठी फिल्म “घासीराम कोतवाल” से डेब्यू किया, उसमें कुछ तो बात होगी। ओम पुरी धीरे धीरे समानांतर सिनेमा के प्रमुख धुरी बन गए और जल्द ही इन्हें “आक्रोश” नामक फिल्म से दर्शकों के बीच पहचान मिली।

परंतु ओम पुरी उतने पे नहीं रुके। उन्होंने अपने अभिनय से लोगों को जमकर प्रभावित किया और 1982 उनके करियर का टर्निंग पॉइंट बना। एक तरफ “डिस्को डांसर” फिल्म में जिमी यानि मिथुन चक्रवर्ती के प्रबंधक के रूप में उन्होंने धाक जमाई, तो दूसरी ओर उन्होंने “अर्ध सत्य” में सब इंस्पेक्टर अनंत वेलंकर का रोल निभाया, जिसे अपनी ईमानदारी के पीछे अपना जीवन तक दांव पर लगाना पड़ता है। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर के सर्वश्रेष्ठ एक्टर के पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए सम्मानित भी किया गया।

फिर तो ओम पुरी ने अभिनय की मास्टरक्लास अपने हर फिल्म में दिखानी प्रारंभ कर दी। फिल्म अच्छी हो या न हो, परंतु ओम पुरी का अभिनय कभी औसत दर्जे का नहीं रहा। “घायल”, “माचिस”, “हेरा फेरी”, “धूप”, आप जो भी रोल दीजिए, जैसी भी परिस्थिति में उन्हें डालें, ओम पुरी धधकती अग्नि में दमकते हुए सोने की भांति निखर कर बाहर आते।

और पढ़ें: फिल्म समीक्षक मसान को बड़ी तोप फिल्म बताते हैं, लेकिन क्यों? उसमें है क्या?

एक बयान ने करियर पर कालिख पोत दी

तो ऐसा क्या हुआ, जो इनके इतने बढ़िया करियर पर एक बयान ने कलंक लगा दिया? अक्टूबर 2016 में उरी में भारतीय सैनिकों पर हमले के पश्चात जब पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध की मांग उठी, तो ओम पुरी को एक न्यूज शो पर चर्चा के लिए बुलाया गया। जब सैनिकों की मृत्यु एवं फिल्म उद्योग के पाकिस्तानी कलाकारों के प्रति मोह पर विवाद बढ़ा, तो आक्रोश में आकर ओम पुरी ने एक सैनिक के संबंध में कहा, “तो हमने कहा था क्या उसको कि बॉर्डर पर जाकर मरो?”

अब ये किस परिप्रेक्ष्य में बोला, क्यों बोला, ये तो ओम पुरी ही जानते, परंतु उनकी इसी भूल ने उनके अच्छे खासे करियर पर कालिख पोत दी। लोग ओम पुरी को उनके अभिनय के लिए नहीं, उनके इस बयान के लिए जानने लगे। ओमपुरी को इस बात पर ग्लानि भी हुई और उन्होंने क्षमा याचना भी की, परंतु समय उनके साथ नहीं रहा। जनवरी 2017 में हृदयाघात से उनकी मृत्यु हुई और एक मंझा हुआ कलाकार अपने माथे पर लगे कलंक को धो पाने से पूर्व ही संसार से चल बसा।

और पढ़ें: दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह का फिल्मी करियर खत्म हो गया!

https://www.youtube.com/watch?v=R8Ord_ZrigI&t=6s

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