“राम लखन सिया जानकी, जय बोलो हनुमान की!”
Bajrang dal Karnataka: बजरंगबली के नाम का उच्चारण मात्र करने से ही एक अजब की स्फूर्ति आती है, देह के कण कण में ऊर्जा का संचार होता है। परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके लिए इनके नाम का उल्लेख ही किसी दुस्वप्न से कम नहीं। परंतु अपनी अधीरता में इन्होंने वो पाप किया है, जिसके पीछे अब इन्हे चाहकर भी कोई सम्मान नहीं दे पाएग।
इस लेख में पढिये कैसे Bajrang dal पर Karnataka Congress के प्रस्तावित प्रतिबंध से कांग्रेस ने अपनी ही लंका लगाई है, और कैसे कांग्रेस अपने समूल विनाश की ओ अग्रसर है।
बजरंगबली का कोई तोड़ नहीं
हाल ही में कांग्रेस ने अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया, परंतु उसके साथ ही अपने समूल विनाश की नींव भी रख दी। वो कैसे?
हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए Karnataka congress ने मंगलवार को अपना घोषणा-पत्र जारी किया, जिसमें सत्ता में आने पर Bajrang dal और PFI जैसे संगठनों पर बैन का वादा किया गया है।
"बजरंग दल और PFI जैसे संगठनों को हम बैन करेंगे"
◆ कर्नाटक में कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में कहा #KarnatakaElections2023 | Karnataka Elections 2023 | Bajrang Dal pic.twitter.com/3NfDWqSi9b
— News24 (@news24tvchannel) May 2, 2023
अब इन मूर्खों को कौन समझाए कि ये कर्नाटक है। हनुमान जी वैसे किसी एक क्षेत्र के नहीं है, परंतु जिस जगह वह जन्मे, वह चूंकि वर्तमान कर्नाटक में स्थित है, इसलिए यहाँ उनका महत्व बहुत ज्यादा है। यहाँ अंजनयाद्रि पर्वत पर नित्य कर्म से पवनपुत्र हनुमान की पूजा वंदना होती है।
इतना ही नहीं, यहाँ पर जो भी व्यक्ति किसी ऑटो या अन्य ट्रांसपोर्ट संगठन का विस्तार करना अथवा स्थापित करना चाहता है, तो एक निश्चित टारगेट पार करने पर उन्हे बजरंगबली की मूर्ति स्थापित करना अवश्यंभावी है।
ऐसे में Bajrang dal पर प्रतिबंध का वादा Karnataka Congress की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत कभी ‘भगवा आतंकवाद’ गढ़ा गया था। इसीलिए ये निर्णय न केवल हास्यास्पद है, अपितु कांग्रेस के भविष्य के लिए काफी घातक भी।
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जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं
परंतु इस बार कांग्रेस को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए केवल जनता ने ही मोर्चा नहीं संभाला है। जब बात राष्ट्रीयता की हो, तो पीएम मोदी ने अनेक अवसरों पे सिद्ध किया है कि जितनी उन्हे भारत के जनता और राजनीति की समझ है, उतना शायद ही देश के किसी अन्य नेता को होंगी।
होसपेट पहुँचे पीएम मोदी ने कहा कि “ये हनुमान जी की पवित्र भूमि है और उनके लिए इस धरती को नमन करना बहुत बड़ा सौभाग्य है, लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि कॉन्ग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में बजरंग बली को ताले में बंद करें का निर्णय किया है।
पहले इन्होंने भगवान श्रीराम को ताले में बंद किया, अब कॉन्ग्रेस ने ‘जय बजरंग बली’ बोलने वालों को ताले में बंद करने का संकल्प लिया है। ये देश का दुर्भाग्य है कि कॉन्ग्रेस पार्टी को प्रभु श्रीराम से भी तकलीफ होती थी, वहीं अब ‘जय बजरंग बली’ बोलने वालों से भी तकलीफ हो रही है। कॉन्ग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड गारंटी पूरी करने का नहीं बल्कि गरीबों को लूटने का है”।
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एक थी कांग्रेस
इसके अतिरिक्त पीएम मोदी ने इसके बाद से लगभग हर रैली में बजरंग बली की जय के नारे लगाए, और तो और सोशल मीडिया पर भाजपा ने बजरंग दल के प्रत्यक्ष समर्थन में एक आक्रामक अभियान छेड़ा है।
#WATCH | PFI is already banned. Siddaramaiah govt withdrew cases of PFI. So they are saying that to appease Muslims they will ban Bajrang Dal. Congress is saying that PFI can't say that we will take revenge. Congress' manifesto looks like the manifesto of PFI and fundamentalist… pic.twitter.com/8rNrBszwxn
— ANI (@ANI) May 2, 2023
अगर कांग्रेस को ये प्रतीत होता है कि ऐसे तुष्टीकरण के बल पर वह विजयी होंगी, तो ऐसा कुछ नहीं है। इनके हरकतों से ऐसा ही प्रतीत होता है कि वह सबको साधने की इच्छा रखे हुए थी। परंतु बजरंग दल और PFI को एक ही श्रेणी में रखना न केवल सांस्कृतिक रूप से अक्षम्य अपराध है, परंतु उच्च कोटि की राजनीतिक नासमझी भी है।
जिस प्रकार से वह नौटंकी कर रही है, वह न केवल हिंदुओं का समर्थन खोने को तैयार है, अपितु PFI पर उसके दोहरे मापदंडों पर वह इस्लामिस्टों का समर्थन भी खोने को तैयार है। कांग्रेस अब न घर का रहेगा न घाट का, क्योंकि बजरंगबली के शौर्य को ललकारने पर जब रावण की लंका न बच पाई, तो भला कांग्रेस किस खेत की मूली?
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