“सर बहुत जल्दी बनेगी, सबसे पहले बनेगी और सबसे ज्यादा सुरक्षित बनेगी! भारत की एकमात्र स्वदेशी वैक्सीन!” ये शक्तिशाली शब्द आशा और गर्व के साथ गूंजते हैं क्योंकि भारत का स्वदेशी वैक्सीन कार्यक्रम केंद्र में है।
“गदर 2” को अपने सम्बोधन से देखने योग्य बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद नाना पाटेकर “द वैक्सीन वॉर” के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के लिए वापस आए हैं। लगभग ६ वर्ष बाद नाना किसी प्रमुख हिंदी फिल्म में दिखाई देंगे. इस फिल्म में पल्लवी जोशी, गिरिजा ओक, सप्तमी गौड़ा, राइमा सेन और अनुपम खेर सहित कई शानदार कलाकार हैं।
यह कोविड-19 के खिलाफ भारत की अथक लड़ाई की कहानी बताता है, जो दुनिया को महामारी के विनाशकारी प्रभावों से बचाने की लड़ाई है। इसके साथ ही ये फिल्म इस पर भी प्रकाश डालेगा कि कैसे कई विदेशी शक्तियों और उनके भारतीय चमचों ने हमें नीचा दिखाने के लिए कई प्रपंच रचे थे, और कैसे वे सब मुंह के बल गिरे!
परन्तु प्रश्न तो उठना स्वाभाविक है : क्या “द वैक्सीन वॉर” के माध्यम से विवेक अग्निहोत्री पुनः इतिहास रच पाएंगे?
अब देखिये, राह तो बिलकुल भी सरल नहीं है. पहली बात, विवेक के पास अधिक समय नहीं है. २८ सितम्बर [रिलीज़ डेट] से लेकर ५ अक्टूबर तक, इनके पास मात्र एक हफ्ता है अपना दमखम दिखाने को. ऊपर से जिस प्रकार से एटली की फिल्म “जवान” ने सेटिंग की है, उससे इन्हे अधिक स्क्रीन तो शायद ही मिलेंगे, भले ही शाहरुख़ की फिल्म २८ सितम्बर तक आते आते हांफने ही क्यों न लगे!
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परन्तु हम एक बात ये भी बोलते हैं कि ये विवेक अग्निहोत्री हैं. इनके विचारों से हम सहमत हो या नहीं, इनके तौर तरीके चाहे जैसे हों, परन्तु इस व्यक्ति ने कुछ संवेदनशील विषयों को बिना लाग लपेट दिखाने में कोई हिचक नहीं दिखाई है. “द ताशकंद फाइल्स” पर आपके जो भी विचार हो, परन्तु इस बात से आप इंकार नहीं कर सकते कि “द कश्मीर फाइल्स” ने पूरे देश को झकझोर दिया था.
अब यही कारनामा वे “द वैक्सीन वॉर”. जैसे अभिनेता हैं, उस अनुसार स्क्रीनप्ले के खराब होने पर ही फिल्म खराब हो सकती है. अन्यथा जैसा ट्रेलर देखने को मिला है, उसका १० परसेंट भी यह फिल्म सार्थक निकली, तो 28 सितम्बर को पुनः “द केरल स्टोरी”, “द कश्मीर फाइल्स”, “ग़दर 2” के पदचिन्हों पर एक और फिल्म आपको चलते हुए दिखेगी!
इसके पीछे कई कारण है: सर्वप्रथम, ये फिल्म अभिषेक अग्रवाल द्वारा निर्मित है. इन्हे कम बजट में धमाकेदार ब्लॉकबस्टर निकालने की योग्यता प्राप्त है, और इसी उद्देश्य से वे “द वैक्सीन वॉर” से भी निर्मित किये हैं, जिसका कुल बजट “रॉकी और रानी की प्रेम कहानी” में रणवीर सिंह के फीस से भी कम होगा, अर्थात 15 करोड़, या उससे भी कम.
दूसरी बात, अगर इस फिल्म ने विदेशी कंपनियों एवं वामपंथी मीडिया के गठजोड़ को बिना किसी लाग लपेट के दिखाया, और कैसे वे भारतीय वैक्सीनों को रोकने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे थे, तो निस्संदेह ये फिल्म 100 करोड़ से नीचे तो बिलकुल न कमाने वाली!
इसके अतिरिक्त विवेक अग्निहोत्री बड़े बड़े फिल्मों से भिड़ने के लिए भी चर्चित हैं. वे जानते थे कि “कलंक” एक हफ्ते बाद ही आएगी, परन्तु फिर भी वे “द ताशकंद फाइल्स” को 12 अप्रैल 2019 को प्रदर्शित करवाकर ही माने. पिछले वर्ष तो इन्होने सीधे प्रभास को ही चुनौती दी थी, और आगे क्या हुआ, इसके लिए कोई विशेष शोध की आवश्यकता नहीं! अगर प्रशांत नील का दिमाग नहीं फिरा होता, तो २८ सितम्बर को ही एक और भिड़ंत देखने को मिलती, जब “द वैक्सीन वॉर” और “सालार” साथ प्रदर्शित होते! परन्तु अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है. अगर “द वैक्सीन वॉर” अपने विषय के प्रति न्यायपूर्ण रही, तो असम्भव भी संभव होगा!
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