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आपको क्या लगा, हमारी चर्चा सिर्फ इसी पे होगी? कहने को शाहरुख़ खान और उनकी प्रोमोशन स्ट्रेटेजी पे आप थीसिस लिख सकते हैं, परन्तु उतना समय न आपके पास है, और न ही हमारे पास! चर्चा तो उस वस्तु की होगी, जिसपर कई लोगों ने ध्यान नहीं दिया, और अगर दिया भी होगा, तो आप तक बिलकुल नहीं पहुँचने नहीं दिया गया होगा!
कभी सोचा है कि अपने बॉलीवुड के “किंग खान” प्रतिस्पर्धी बॉक्स ऑफिस clashes से दूरी क्यों बनाये हुए हैं? कभी सोचा है कि ये सोलो रिलीज़ के पीछे ही क्यों जाते हैं, जबकि इनका क्लैश तीनों खान में सबसे क्लीन है! कभी सोचा है कि जवान 11 अगस्त या 28 सितम्बर को क्यों नहीं प्रदर्शित हुई? सभी को हमारा नमस्कार, और आज इसी पर चर्चा करते हैं!
SRK और Clashes: कभी हाँ, कभी ना!
बॉलीवुड की दमकती दुनिया में SRK केवल अपने रोमांटिक रोल्स के लिए नहीं चर्चित हैं. वे ऐसे कलाकार भी हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में अपनी फिल्म को सफलता के शिखर पर पहुँचाया है. तीनों खानों में इनका बॉक्स ऑफिस क्लैश का रिकॉर्ड काफी इम्प्रेसिव भी है. ३४ बार बड़े बड़े स्टार्स से भिड़ने के बाद भी ये २९ बार उन भिड़ंतों में विजयी रहे हैं!
SRK इसलिए भी प्रभावी है क्योंकि इनकी पहुँच ग्लोबल मार्केट्स में भी है. वे केवल बॉलीवुड सुपरस्टार नहीं, एक ग्लोबल आइकॉन माने जाते हैं. इन्होने विभिन्न clashes में मिथुन चक्रवर्ती, अक्षय कुमार, यहाँ तक कि सलमान खान को भी धूल चाटने पर विवश किया है.
वो कैसे? चलिए १९९२ की ओर, जब SRK नए नए सिनेमा जगत में आये थे. उनकी भिड़ंत उस समय सलमान खान से हुई, जिनका कद उस समय वही था, जो २०१० के प्रारंभिक दशक में रणवीर सिंह का था. ३ जुलाई को जहाँ एक ओर सलमान खान की “जागृति” आई, तो वहीँ दूसरी ओर शाहरुख़ खान एक भोले भाले शिक्षक के रूप में हॉरर कॉमेडी “चमत्कार” में दिखाई दिए. इस भिड़ंत में शाहरुख़ खान विजयी सिद्ध हुए, और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा!
इसके पश्चात् शाहरुख खान ने अपनी छवि को “मार्केटेबल” बनाने पर ध्यान केंद्रित किया. फिल्में चले या नहीं, लेकिन भौकाल पूरा होना चाहिए! इसीलिए कई दशकों तक शाहरुख़ खान हर मोर्चे पर सफल रहे, बॉक्स ऑफिस क्लैश में भी!
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अब “डर” किस बात का?
इसमें कोई दो राय नहीं कि शाहरुख़ खान का प्रभाव अभी भी बॉलीवुड के कई क्षेत्रों में व्याप्त है. परन्तु हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती. बॉक्स ऑफिस के इस प्रतिस्पर्धी वातावरण में कुछ क्षण ऐसे भी आये हैं, जहाँ शाहरुख़ खान को लाख प्रोमोशन और पीआर के बाद भी बॉक्स ऑफिस पर मुंह की खानी पड़ी.
चलिए, समय के चक्र को १९९६ की ओर घुमाते हैं. शाहरुख़ खान २६ जनवरी के दिन को लॉक कर लिए थे, अपनी फिल्म “इंग्लिश बाबू, देसी मेम” के लिए. इन्हे अपनी सफलता पे पूरा विश्वास था. परन्तु इन्हे पटखनी दी भी तो किसने? “बैंडिट क्वीन” ने!
२ वर्ष से लंबित इस फिल्म को आखिरकार २६ जनवरी को रिलीज़ किया गया था. इसमें कोई बड़े स्टार भी नहीं थे; सीमा बिस्वास, मनोज बाजपई, गोविन्द नामदेव, निर्मल पांडेय इत्यादि मुख्य भूमिकाओं में थे. ये फिल्म भी आधारित थी पूर्व डकैत फूलन देवी पर. परन्तु अपेक्षाओं के विपरीत इस फिल्म ने शाहरुख़ खान की फिल्म को बुरी तरह पछाड़ दिया, और ये सिद्ध किया कि स्टार पावर बॉक्स ऑफिस पर सफलता की कुंजी सदैव नहीं होती!
अब चलते हैं अक्टूबर २००१ की ओर, जब शाहरुख़ खान ने ऐतिहासिक फिल्मों की ओर ध्यान केंद्रित किया. प्रयोग की श्रेणी में अग्रणी इस फिल्म का नाम था ‘असोका’, जो भारत के प्रख्यात सम्राट अशोक के कर्मकांडों पर आधारित थी. परन्तु न तो जनता को ये फिल्म भाई, न ही शाहरुख़ खान का अंदाज़. इसके शाहरुख़ खान के समक्ष “इंडियन” जैसी विशुद्ध मसाला फिल्म लेकर खड़े थे अपनी सन्नी पाजी!
“ग़दर” की प्रचंड सफलता के बाद सन्नी देओल ने “इंडियन” जैसी फिल्म की. इसमें इनके एक्शन और इनके रोल को जमकर सराहा गया. शाहरुख़ खान की फिल्म को किसी ने पानी तक नहीं पूछा, और जनता ने सन्नी देओल के इस रोल को हाथों हाथ लिया!
बदलते समय की बदलती प्राथमिकता
परन्तु उपरोक्त उदाहरण उस समय अपवाद थे, ये शाहरुख़ खान के स्टारडम पर प्रश्नःचिन्ह नहीं लगाते थे. असल प्रश्नचिन्ह 2012 में लगने प्रारम्भ हुए थे, जब SRK “जब तक है जान” सहित मैदान में उतरे. ये यश चोपड़ा की अंतिम फिल्म थी, और इस फिल्म की सफलता के माध्यम से वे उन्हें भव्य विदाई देना चाहते थे. परन्तु हुआ ठीक उल्टा. फिल्म सफल तो हुई, पर इसके कलेक्शंस में अजय देवगन की उटपटांग कॉमेडी “सन ऑफ़ सरदार” ने विपरीत परिस्थितियों में भी शाहरुख़ खान के बॉक्स ऑफिस कलेक्शंस में सेंध लगाईं! इससे स्पष्ट हो गया कि SRK के स्टारडम का किला अब अभेद्य नहीं!
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२०१५ और २०१७ में इस बात की पूर्ण पुष्टि भी हुई. शाहरुख़ खान ने “चेन्नई एक्सप्रेस” की सफलता के आधार पर “दिलवाले” के माध्यम से अपनी धाक जमाने का प्रयास किया. परन्तु उन्हें पटखनी दी नवोदित कलाकार रणवीर सिंह ने, जो उनके मुकाबले काफी युवा थे, परन्तु “बाजीराव मस्तानी” में इनके काम ने SRK को नाकों चने चबवाने पर विवश कर दिया! The years of 2015 and 2017 echoed this shift. Ranveer Singh, then a newcomer, wowed audiences with “Bajirao Mastani.” ऐस ही २०१७ में ह्रितिक रोशन, जिन्होंने “मोहेंजो दारो” की असफलता का सामना किया था, “काबिल” लेकर शाहरुख़ खान की “रईस” से भिड़ गए. शाहरुख़ खान ने कहने को सफलता प्राप्त की, पर यहाँ भी घरेलू बॉक्स ऑफिस पर “काबिल” ने “रईस” को पटक पटक कर धोया!
परन्तु फिर आया २०१८, जब SRK लाये “ज़ीरो”. आनंद एल राय का देसी तड़का और प्रभावी गीतों के माध्यम से शाहरुख़ पुनः किंग खान बनने चले थे, परन्तु उन्हें क्या पता था कि उनसे भिड़ने राजा कृष्नप्पा बैरया आ रहे हैं. नहीं समझे, अरे आप “KGF” के रॉकी भाई! आगे क्या हुआ, इसके लिए किसी विशेष शोध की आवश्यकता नहीं!
इसीलिए २०२३ से SRK सोलो रिलीज़ प्रिफर कर रहे हैं, चाहे “पठान” हो या फिर “जवान”. SRK क्या, उनका प्रबंधन भी नहीं चाहता कि उनका प्रभाव किसी भी स्थिति में कम हो. ये एक स्पष्ट रिमाइंडर है कि हमारे स्टार्स को भी बदलते उद्योग के साथ बदलना ही होगा. केवल बाहें फैलाकर आप बॉक्स ऑफिस के लहराते सागर में अपनी नैया नहीं पार लगा सकते!
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