महिला सुरक्षा के मुद्दे आधुनिक भारतीय समाज की एक गंभीर चिंता बन गए हैं। इस दिशा में सरकार ने ‘’महिला सुरक्षा’ अंब्रेला योजना की शुरुआत की है। यह योजना अपराधों के मामले में समय पर हस्तक्षेप और जांच सुनिश्चित करने के लिए तात्कालिक प्रतिक्रिया प्रणालियों को मजबूत करने, फोरेंसिक क्षमताओं को बढ़ाने, साइबर अपराधों से निपटने और संकट में महिलाओं के लिए सहायता तंत्र को मजबूत करने में सहायता प्रदान करेगी।
हालांकि, महिला सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों का समाधान न केवल सरकारी प्रयासों में समाहित है, बल्कि समाज के सभी स्तरों पर साझेदारी की आवश्यकता है। चुनौतियों में शामिल हैं:
- उच्च अपराध दरें: उच्च अपराध दरें महिलाओं के साथ हिंसा को एक महत्वपूर्ण चुनौती बनाती हैं। उन्हें सुरक्षित और सुरक्षित महसूस करने के लिए सुधार किए जाने चाहिए।
- लैंगिक भेदभाव: समाज में लैंगिक भेदभाव को खत्म करना और महिलाओं के साथ समानता सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।
- कानूनी प्रवर्तन: कानूनी प्रवर्तन की प्रभावीता महिला सुरक्षा के लिए आवश्यक है। अपराधियों के प्रति कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए और कानून के प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए।
- सामाजिक जागरूकता: समाज में महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के प्रति जागरूकता को बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- तकनीकी सहायता: साइबर अपराधों के खिलाफ लड़ाई में तकनीकी सहायता की आवश्यकता है, ताकि महिलाएं इंटरनेट और डिजिटल माध्यमों का सुरक्षित रूप से उपयोग कर सकें।
- तस्करी और शोषण: गरीबी, शिक्षा की कमी और संगठित आपराधिक नेटवर्क के कारण महिलाओं और लड़कियों को जबरन श्रम, यौन शोषण और घरेलू दासता सहित विभिन्न प्रकार के शोषण के लिए तस्करी का शिकार होना पड़ता है।
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मिटिंग में क्या लिया गया फैसला
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के दौरान 1179.72 करोड़ रुपये की कुल लागत पर ‘महिलाओं की सुरक्षा’ पर अंब्रेला योजना (Umbrella Scheme) के कार्यान्वयन को जारी रखने के गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। बयान में कहा गया है, “1179.72 करोड़ रुपये के कुल प्रोजेक्ट परिव्यय में से कुल 885.49 करोड़ रुपये गृह मंत्रालय अपने बजट से देगा और 294.23 करोड़ रुपये निर्भया फंड से फंड किया जाएगा।”
महिला सुरक्षा की दिशा में अपने प्रयासों में भारत सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से कई प्रोोजेक्ट शुरू किए हैं। इन प्रोजेक्ट के उद्देश्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में समय पर हस्तक्षेप और जांच सुनिश्चित करने और ऐसे मामलों में जांच और क्राइम को रोकने में हाई एफिशिएंसी सुनिश्चित करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मैकेनिज्म को मजबूत करना शामिल है।
‘महिलाओं की सुरक्षा’ पर अम्ब्रेला योजना का अवलोकन
आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) 2.0- ईआरएसएस 2.0 के कार्यान्वयन के माध्यम से आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र में वृद्धि, जिससे संकट में फंसी महिलाओं को त्वरित सहायता मिल सके।
फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं का उन्नयन- महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच में फोरेंसिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय फोरेंसिक डेटा सेंटर की स्थापना सहित केंद्रीय और राज्य फोरेंसिक प्रयोगशालाओं का आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण।
साइबर अपराध पर रोकथाम- महिलाओं और बच्चों को लक्षित करने वाले साइबर अपराधों को रोकने और मुकाबला करने की पहल, जिसमें साइबर फोरेंसिक तकनीकों में क्षमता निर्माण और विशेष इकाइयों की स्थापना शामिल है।
क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण- महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और हिंसा के मामलों को संभालने में शामिल जांचकर्ताओं, अभियोजकों और अन्य हितधारकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य जांच प्रक्रियाओं में सुधार करना और पीड़ित सहायता सुनिश्चित करना है।
महिला सहायता डेस्क और मानव तस्करी विरोधी इकाइयां- संकटग्रस्त महिलाओं और तस्करी की शिकार महिलाओं को सहायता, परामर्श और कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए पुलिस स्टेशनों और मानव तस्करी विरोधी इकाइयों में महिला सहायता डेस्क की स्थापना।
इन चुनौतियों का समाधान केवल सरकारी प्रयासों में ही नहीं हो सकता, बल्कि समाज के सभी स्तरों पर एक मिलीभगत की आवश्यकता है। महिला सुरक्षा के मुद्दे पर एक समझौता और एक सामूहिक प्रयास महत्वपूर्ण है, ताकि हम समाज में सभी महिलाओं को सुरक्षित और सम्मानित महसूस करने की दिशा में आगे बढ़ सकें।
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