TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अंडमान में एक मंच पर होंगे अमित शाह और मोहन भागवत; वीर सावरकर के कार्यक्रम में संघ-भाजपा के मजबूत तालमेल का संदेश

    अंडमान में एक मंच पर होंगे अमित शाह और मोहन भागवत; वीर सावरकर के कार्यक्रम में संघ-भाजपा के मजबूत तालमेल का संदेश

    उत्तर प्रदेश भाजपा में संगठन बदलाव की तैयारी शुरू-  14 दिसंबर को होगा नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान

    उत्तर प्रदेश भाजपा में संगठन बदलाव की तैयारी शुरू- 14 दिसंबर को होगा नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान

    नायब सैनी ने लापरवाही के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है

    हरियाणा में खेल विभाग के सचिव-निदेशक का तबादला: लापरवाही को लेकर नायब सरकार का बड़ा एक्शन

    बिहार के बाजीगरों के जरिये पश्चिम बंगाल फतह का ताना-बाना बुन रही भाजपा

    बिहार के बाजीगरों के जरिये पश्चिम बंगाल फतह का ताना-बाना बुन रही भाजपा

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    हिंदी में पढ़ें वीर सावरकर की कविता ‘सागर प्राण तलमाला’

    हिंदी में पढ़ें वीर सावरकर की कविता ‘सागर प्राण तलमाला’

    भारतीय दर्शन और संविधान

    भारतीय चिंतन दृष्टि से संविधान: ज्ञान परंपरा में नागरिकता का इतिहास

    तालोम रुकबो

    अरुणाचल प्रदेश के वनवासियों को धर्मांतरण से बचाने वाले तालोम रुकबो: एक भूले-बिसरे नायक की कहानी

    राजा महेंद्र प्रताप सिंह

    राजा महेंद्र प्रताप सिंह: आजादी की लड़ाई का योद्धा, जिसने काबुल में बनाई थी स्वतंत्र भारत की पहली निर्वासित सरकार

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अंडमान में एक मंच पर होंगे अमित शाह और मोहन भागवत; वीर सावरकर के कार्यक्रम में संघ-भाजपा के मजबूत तालमेल का संदेश

    अंडमान में एक मंच पर होंगे अमित शाह और मोहन भागवत; वीर सावरकर के कार्यक्रम में संघ-भाजपा के मजबूत तालमेल का संदेश

    उत्तर प्रदेश भाजपा में संगठन बदलाव की तैयारी शुरू-  14 दिसंबर को होगा नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान

    उत्तर प्रदेश भाजपा में संगठन बदलाव की तैयारी शुरू- 14 दिसंबर को होगा नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान

    नायब सैनी ने लापरवाही के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है

    हरियाणा में खेल विभाग के सचिव-निदेशक का तबादला: लापरवाही को लेकर नायब सरकार का बड़ा एक्शन

    बिहार के बाजीगरों के जरिये पश्चिम बंगाल फतह का ताना-बाना बुन रही भाजपा

    बिहार के बाजीगरों के जरिये पश्चिम बंगाल फतह का ताना-बाना बुन रही भाजपा

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    हिंदी में पढ़ें वीर सावरकर की कविता ‘सागर प्राण तलमाला’

    हिंदी में पढ़ें वीर सावरकर की कविता ‘सागर प्राण तलमाला’

    भारतीय दर्शन और संविधान

    भारतीय चिंतन दृष्टि से संविधान: ज्ञान परंपरा में नागरिकता का इतिहास

    तालोम रुकबो

    अरुणाचल प्रदेश के वनवासियों को धर्मांतरण से बचाने वाले तालोम रुकबो: एक भूले-बिसरे नायक की कहानी

    राजा महेंद्र प्रताप सिंह

    राजा महेंद्र प्रताप सिंह: आजादी की लड़ाई का योद्धा, जिसने काबुल में बनाई थी स्वतंत्र भारत की पहली निर्वासित सरकार

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

केदारनाथ धाम भक्ति व अध्यात्म का स्थल, रील बनाने की जगह नहीं

पिछले कुछ वर्षों से केदारनाथ धाम पर एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। लोग यहां भगवान के दर्शन, को नहीं बल्कि रील बनाने के लिए पहुंच रहे हैं।

Akash Gaur द्वारा Akash Gaur
16 May 2024
in संस्कृति
केदारनाथ धाम, तीर्थ स्थल, श्रद्धालु, उत्तराखंड, केदारनाथ यात्रा,
Share on FacebookShare on X

क्या आज लोग केदारनाथ धाम जाकर कुछ ऐसी हरकतें कर रहे हैं जिससे वहां की शांति भंग हो रही है? या फिर ये एक अनावश्यक विवाद है, क्योंकि इन्हीं श्रद्धालुओं से वहां के लोगों का व्यापार चलता है? इसमें एक तर्क ये भी है कि हमारे गली-मोहल्ले के मंदिर जो वहां हम रौनक लाने का प्रयास क्यों नहीं करते दूर तीर्थाटन करने से पहले? दैनिक न सही तो कम से कम साप्ताहिक रूप से ही वहां उपस्थिति क्यों नहीं दर्ज करा पाते? खैर, रील्स वाली बीमारी आजकल भारत के कई तीर्थस्थलों पर देखने को मिल रही है।

अगर आपने ऋषि-मुनियों के जीवन के बारे में पढ़ा होगा तो अक्सर देखा होगा कि वो वन में तपस्या करते थे। यही कारण है कि नैमिषारण्य से लेकर दण्डकारण्य तक उस काल में आध्यात्मिक स्थलों के रूप में उभरे। ऋषि-मुनियों ने वहीं प्रकृति के बीच अपने आश्रम स्थापित किए। वो पेड़-पौधों एवं वन्यजीवों की देखभाल भी करते थे। इन आश्रमों में मृग चरते रहते थे, ऐसा प्रसंग कई बार रामायण या महाभारत में आया है। कइयों ने तपस्या के लिए और भी दुर्गम स्थल चुने।

संबंधितपोस्ट

खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुआ अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान विधेयक 2025, जानें क्या होगा इसका असर

और लोड करें

इनमें हिमालय उनका सबसे पसंदीदा क्षेत्र हुआ करता था। स्पष्ट है कि तब हिमालयी क्षेत्र में आज की तरह पक्की सड़कें नहीं रही होंगी, रोपवे नहीं बने होंगे और चढ़ाई में सहूलियत देने वाले उपकरण नहीं रहे होंगे, वहाँ की तस्वीरें-वीडियो देख कर वहाँ जाने की योजनाएँ नहीं बनती होंगी। कभी आपने सोचा है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने आखिर इन दुर्गम स्थलों को ही अपना ठिकाना क्यों बनाया? वो गांव-नगर में रह कर भी तो साधना कर सकते थे। इसका आसान सा जवाब है-शांति।

हिमालयी या जंगली क्षेत्रों में क्यों रहते थे ऋषि-मुनि?

जी हाँ, शांति। ये ऋषि-मुनि लोगों की बसावट से दूर इसीलिए रहते थे, ताकि उनकी साधना में कम से कम व्यवधान पड़े। अब जो व्यवधान डालने के लिए जंगलों तक में पहुँच गए, वो राक्षस कहलाए। केदारनाथ धाम भारत के प्राचीन आध्यात्मिक स्थलों में से एक है। 

2023 में 12 लाख लोगों ने उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित इस मंदिर में आकर महादेव का दर्शन किया। ये 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मंदिर सड़क से सीधा नहीं जुड़ा हुआ है, अतः गौरीकुंड से 22 किलोमीटर के ट्रेक के बाद लोग यहां आते हैं।

प्राचीन काल में हिमालय को स्वर्ग इसीलिए भी कहा गया, क्योंकि यहां के वन्यजीवन और स्थानीय जनजीवन की गतिविधियों में व्यवधान डालने के लिए बाहरी ताकतें नहीं आती थीं। पहाड़ों में विकास कार्य होने चाप्राचीन काल में हिमालय को स्वर्ग इसीलिए भी कहा गया, क्योंकि यहाँ के वन्यजीवन और स्थानीय जनजीवन की गतिविधियों में व्यवधान डालने के लिए बाहरी ताकतें नहीं आती थीं। 

पहाड़ों में विकास कार्य होने चाहिए, मराठा महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने केदारनाथ धाम तक में निर्माण कार्य कराए। पर्यटन और तीर्थाटन भी होना चाहिए, लेकिन हुड़दंग, नशा, रीलबाजी और दिखावे के लिए पहाड़ों पर जाने का जो प्रचलन चल पड़ा है उसे बंद करने की आवश्यकता है।

केदारनाथ धाम: द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक, 2013 में आया था महाप्रलय

केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, जो अलकनंदा एवं मन्दाकिनी नदियों के संगम के लिए विख्यात है। केदार पर्वत पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग को केदारेश्वर भी कहा जाता है। यहां कण-कण में भगवान शिव बसे हुए हैं, तभी इस पर्वत श्रृंखला को भी रूद्रपर्वत कहा जाता है। इसे सुमेरु और पंच पर्वत भी कहा गया है, क्योंकि इसमें 5 चोटियां हैं- रूद्र हिमालय, विष्णुपुरी, ब्रह्मपुरी, उद्गारीकंठ, और स्वर्ग रोहिणी। इसी का एक हिस्सा गंधमादन पर्वत भी है, जहां से युधिष्ठिर ने स्वर्ग में प्रवेश किया था।

उन्होंने कहा भी था कि कठिन तपस्या के बाद ही यहां तक पहुंचा जा सकता है। जब कोई मेहनत कर के कहीं पहुंचता है तो उसे लक्ष्य की महत्ता का भान होता है, आज की जो पीढ़ी आसानी से वहां मोबाइल फोन लेकर पहुंच रही है उसके लिए ये एक खेल से बढ़ कर कुछ नहीं। 

स्कन्द पुराण में खुद ब्रह्मा जी कहते हैं कि महान दुर्गम पर्वत हिमाद्रि सभी जंतुओं के लिए नहीं है, इस पर महेश्वर का शासन है। विनती किए जाने पर महादेव ने डिवॉन, गंधर्वों, पक्षियों, नागों एवं विद्याधरों की क्रीड़ा के लिए अलग-अलग स्थान निश्चित किए।

खुद भगवान शिव हिमालय को सभी आश्रमों का निवास स्थान बताते हुए कहते हैं कि वो यहाँ पर लिंग के रूप में स्थित हैं। पांडव भी महाभारत युद्ध के बाद मन की शांति के लिए यहाँ आए थे। केदारनाथ ही वो जगह है, जहां जगद्गुरु शंकराचार्य शिव में विलीन हुए थे, यहां उन्होंने देह-त्याग किया था। सर्दी के मौसम में मंदिर बंद रहता है, इसीलिए नियमित पूजा उखीमठ में जारी रहती है।

कुल मिला कर यूं समझिए कि केदारनाथ धाम हिन्दू, खासकर शैव मत में एक उच्च स्थान रखता है। महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने केदारनाथ धाम तक में निर्माण कार्य कराए। पर्यटन और तीर्थाटन भी होना चाहिए, लेकिन हुड़दंग, नशा, रीलबाजी और दिखावे के लिए पहाड़ों पर जाने का जो प्रचलन चल पड़ा है उसे बंद करने की आवश्यकता है।

केदारनाथ धाम भक्ति व अध्यात्म का स्थल, रील बनाने की जगह नहीं

पिछले कुछ वर्षों से केदारनाथ धाम, खासकर पूरे पहाड़ी क्षेत्र पर एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। लोग भगवान के दर्शन, भजन-कीर्तन, ध्यान या योग के लिए नहीं, बल्कि इंस्टाग्राम रील बनाने के लिए यहां पहुंच रहे हैं। आपको लड़के-लड़कियां पहाड़ों पर लॉन्ग ड्राइव करते और बियर पीते हुए मिल जाएंगे। ये पवित्र स्थल सेक्स और नशे का अड्डा नहीं हैं, न बनाए जाने चाहिए। ये नाच-गान के लिए भी नहीं है, यहां की शांति भंग करने का अधिकार किसी को भी नहीं है।

अब देखिए, केदारनाथ धाम में रील वाला ड्रामा इतना बढ़ गया कि वहां के स्थानीय पुजारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा। भड़कते हुए पुजारी इस वीडियो में कह रहे हैं कि कुछ लोगों ने और प्रशासन ने तमाशा बना रखा है, गाजा-बाजा नहीं बजना चाहिए। 

वो कह रहे हैं कि सिर्फ ढोल बजेगा, भगवान के दर्शन के लिए यहां लोगों को आना चाहिए। उनका पूरा ज़ोर है कि क्षेत्र को शांत रखा जाना चाहिए, ये सब करना है तो लोग न आएं। असल में इंदौर के 44 लड़के और 18 लड़कियों का एक समूह वहां 30 ढोल और 10 ताशे लेकर पहुंचा था, वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए।

अगर हम कहीं भी घूमने जा रहे हैं, अपने बगल के गांव में भी-तो सबसे पहले चीज हमें ये देखनी चाहिए कि उन्हें क्या पसंद है और क्या नहीं और उसी अनुरूप व्यवहार करना चाहिए। अगर आप किसी के घर में बतौर मेहमान जाते हैं तो वहां अपनी नहीं चलाते। हां, ये देश का हर कोना हर एक देशवासी का है, लेकिन देश की विविधता का सम्मान करना भी हम देशवासियों का ही काम है। अयोध्या, मथुरा, काशी, केदारनाथ या फिर उज्जैन महाकाल मंदिर रील बनाने के स्थल नहीं हैं।

ये इंदौर का ग्रुप है। इसमें 44 लड़के, 18 लड़कियां हैं। 30 ढोल और 10 ताशे लेकर केदारनाथ पहुंचे थे। मकसद था- सबसे ऊंचाई पर ढोल वादन करके रिकॉर्ड बनाने का। सोचिए, ये सिर्फ इसलिए केदारनाथ जा रहे हैं, ताकि एक रिकॉर्ड बना पाएं। https://t.co/1ZRladv9Mz pic.twitter.com/839G60L3f0

— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) May 15, 2024

इस मामले में आप दक्षिण भारत को देख लीजिए, जहां हर मंदिर के कुछ नियम-कानून हैं और आपको उसका अनुसरण करना पड़ता है। तमाम मंदिरों के अपने ड्रेस कोड भी हैं, प्रधानमंत्री या उनके सुरक्षाकर्मी भी जाते हैं तो उन्हें इसका पालन करना पड़ता है। अगर कहीं कुछ पाबंदियां नहीं लगाई गई हैं, तब हमारे जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि हम वहां की मर्यादा को बनाए रखें। उत्तराखंड की पुलिस भी चेतावनी जारी कर चुकी है कि धाम की मर्यादा बनाए रखने के लिए धूम्रपान न करें, हुड़दंग न करें।

पूजा परंपरा में भी आया बदलाव

इस पूरे मामले को लेकर पुजारी आचार्य संतोष जी महाराज ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार का ध्यान अब तीर्थ से पर्यटन की तरफ केंद्रित हो गया है। उनका कहना है कि पूजा परंपरा में बदलाव आ गया है, जो गलत है। उन्होंने कहा कि यहां की परंपरा है गर्भगृह में जाकर दर्शन करना, जैसा उज्जैन महाकाल मंदिर में भी है। वहां पूजा होती है, माता को घी लगाया जाता है, गणेश जी की प्रथम पूजा का नियम है।

उनका कहना है, “गणेश जी की पूजा के नियम की अनदेखी हो रही है। अब VIP दर्शन कराए जा रहे हैं। सीधे गर्भगृह में 2100 रुपए शुल्क लेकर प्रवेश कराया जाता है, जिससे ऐसे में धर्म दर्शन में रास्ते में जो गणेश जी की पूजा होती है, वो नहीं हो पा रही है। धर्म और आस्था बिक रही है, परंपराएं कहां रह गई हैं? ‘विशेष पूजा’ में भी गणेश जी की पूजा छोड़ कर आगे की पूजा की जाती है। मेरी सलाह है कि श्रद्धालु कितनी भी संख्या में आएं, यहां की परंपराओं पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।”

उन्होंने कहा कि हमें ये देखे जाने की ज़रूरत है कि एक घंटे में हम कितने श्रद्धालुओं को दर्शन करा सकते हैं और दिन भर में हमारे पास दर्शन के लिए कितने घंटे हैं, इस हिसाब से नियम बनाया जाना चाहिए और इसमें न सिर्फ मंदिर समिति बल्कि तीर्थ पुरोहितों को भी सहयोग करना चाहिए। 

संतोष जी महाराज ने कहा कि यहां मशीनें चल रही हैं, प्रकृति के साथ छेड़छाड़ हो रही है। उन्होंने कहा कि विकास कार्य के नाम खुलेआम खनन हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज योजनाएं नहीं बल्कि प्रकृति जरूरी है।

संतोष जी महाराज ने कहा कि कई तीर्थस्थलों पर कम खर्च और कम समय में लोग पहुँच सकते हैं, लेकिन वो केदारनाथ धाम आ रहे हैं क्योंकि यहाँ वो खुद को प्रकृति के करीब पाते हैं। उन्होंने सवाल किया कि अगर ये प्रकृति ही हम बचा नहीं पाएंगे तो आएगा कौन? 

उन्होंने कहा कि कमाई की जगह प्रकृति को बचाने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर समिति ने जगह-जगह विज्ञापन दे रखा है कि 2100 रुपए में दर्शन करा देंगे, जबकि आम लोग 4-4 घंटे लाइन में खड़े रहते हैं। उन्होंने मंदिर समिति पर करोड़ों रुपए के सोने में भी गड़बड़ी के आरोप लगाए।

केदारनाथ धाम में अव्यवस्था? मंदिर समिति ने अपनी सफाई में क्या कहा

वहीं केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजयेन्द्र अजय इन आरोपों से ताल्लुक नहीं रखते। उन्होंने कहा कि मंदिर में लॉकर रूम की व्यवस्था नहीं है, इस कारण मंदिर समिति श्रद्धालुओं के मोबाइल फोन, कैमरा या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को नहीं जमा करा पाती हैं। उन्होंने कहा कि बाकी मंदिरों के मुकाबले केदारनाथ मंदिर के पास जगह की भी कमी है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं से लगातार मंदिर की मर्यादा बनाए रखने की अपील मंदिर समिति करता रहता है।

उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं से लगातार अपील की जाती है कि परंपराओं का पालन किया जाए और किसी की भी धार्मिक भावनाएं आहत न की जाएं। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि मंदिर समिति का अधिकार क्षेत्र सिर्फ पूजा-प्रबंधन तक सीमित है, बाकी चीजें पुलिस-प्रशासन की जिम्मेदारी है। VIP दर्शन के आरोपों को नकारते हुए उन्होंने कहा कि यहां ऐसी कोई व्यवस्था है ही नहीं, प्रोटोकॉल से आने वाले VIPs से देश के सभी मंदिरों में शुल्क लिया जाता है।

केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजयेन्द्र अजय ने कहा कि किसी-किसी मंदिर में सामान्य दर्शनार्थियों से भी शुल्क लिया जाता है, लेकिन केदारनाथ धाम में ऐसा कुछ भी नहीं है। सोने में गड़बड़ी के आरोपों पर उन्होंने कहा कि अनाधिकारिक कुछ भी नहीं होता बल्कि सब कुछ रिकॉर्ड पर होता है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की कॉर्पोरेट बॉडी है, हम ऑटोनोमस हैं लेकिन कई चीजों में सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार समिति के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर और फाइनेंस ऑफिसर नियुक्त करती है।

क्या श्रद्धालुओं से अनावश्यक रूप से वसूले जाते हैं पैसे?

केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि सब इंस्टाग्राम रील्स बनाने या फिर नशा करने के लिए ही केदारनाथ धाम नहीं आते हैं, ऐसे में सभी को इस रूप में देखना ठीक नहीं है। एक पक्ष ये भी है कि केदारनाथ धाम में ढोल-ताशे वाले जिस दल को रोका गया, वो देश के कई मंदिरों में घूम कर ऐसा कर चुके हैं और वो काफी भक्तिभाव से ये सब करते हैं। उस पक्ष का ये भी कहना है कि वो पारंपरिक वेशभूषा में रहते हैं और मर्यादा का किसी प्रकार से भी उल्लंघन नहीं करते।

एक श्रद्धालु ने कहा कि अगर ढोल-ताशे की आवाज़ से दिक्कत है तो फिर सुबह से शाम तक केदारनाथ धाम के ऊपर जो हेलीकॉप्टर मंडराते रहते हैं, उससे पर्यावरण को दिक्कत क्यों नहीं होती? उन्होंने एक और विषय पर आवाज़ उठाई, वो है अनावश्यक वसूली का। कुछ श्रद्धालुओं की शिकायत है कि होटल रूम से लेकर अन्य सभी सेवाओं के लिए कई गुना ज़्यादा रुपए वसूले जाते हैं और इस पर कोई आवाज नहीं उठाता। उनका कहना है कि कभी-कभी 10 गुना ज्यादा शुल्क लिया जाता है।

हालांकि, ये समस्या खासकर पहाड़ की नहीं है बल्कि देश के अधिकतर तीर्थ एवं पर्यटन स्थलों पर ट्रांसपोर्ट और राज्य में बाहर से आने वालों को अधिक शुल्क चुकाना पड़ता है। पूरी बात का लब्बोलुआब ये है कि हमें धार्मिक स्थलों पर वहां की मर्यादा का पालन करते हुए भक्ति और अध्यात्म में रमना चाहिए, शांति के साथ। अब ढोल-ताशा बजाने से रोकने को लेकर अलग-अलग राय हो सकती हैं, वो भक्तिभाव से कर रहे थे या फिर सोशल मीडिया के लिए- उनके मन की बात विशुद्ध रूप से तो बाबा केदार को ही पता होगी।

और पढ़ें:- केदारनाथ कहां है एवं कैसे पहुंचे? कथा, इतिहास, एवं दर्शन के नियम

Tags: DevoteesHoly pilgrimageKedarnath DhamKedarnath YatraUttarakhandउत्तराखंडकेदारनाथ धामकेदारनाथ यात्रातीर्थ स्थलश्रद्धालु
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

चाबहार पोर्ट की डील होते ही अमेरिका देने लगा धमकी, विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया करारा जवाब।

अगली पोस्ट

पुर्तगालियों से आत्मसमर्पण कराने वाले वीर चिमाजी अप्पा की कथा

संबंधित पोस्ट

भारतीय दर्शन और संविधान
इतिहास

भारतीय चिंतन दृष्टि से संविधान: ज्ञान परंपरा में नागरिकता का इतिहास

2 December 2025

भारतीय ज्ञान परंपरा में नागरिकता (Citizenship) का विचार आधुनिक “राज्य–नागरिक” (State–Citizen) ढाँचे से भले अलग रहा हो, पर इसका इतिहास अत्यंत प्राचीन, समृद्ध और बहुआयामी...

तालोम रुकबो
इतिहास

अरुणाचल प्रदेश के वनवासियों को धर्मांतरण से बचाने वाले तालोम रुकबो: एक भूले-बिसरे नायक की कहानी

1 December 2025

कुछ ऐसे राष्ट्रनायक हुए हैं, जिनके योगदान को सामने लाने में इतिहास ने हमेशा कोताही बरती है। अरुणाचल प्रदेश के तालोम रुकबो भी उन्ही में...

26 नवंबर भारतीय संविधान दिवस
इतिहास

संविधान दिवस: भारतीय चिंतन परंपरा की दृष्टि से संविधान 

26 November 2025

भारत में संविधान दिवस  प्रतिवर्ष  26 नवंबर को मनाया जाता है। यह मात्र एक स्मृति-दिवस नहीं, बल्कि उस ऐतिहासिक क्षण का उत्सव है जब 1949...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

00:07:37

‘Mad Dog’ The EX CIA Who Took Down Pakistan’s A.Q. Khan Nuclear Mafia Reveals Shocking Details

00:06:59

Dhurandar: When a Film’s Reality Shakes the Left’s Comfortable Myths

00:06:56

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45

Why Rahul Gandhi’s US Outreach Directs to a Web of Shadow Controversial Islamist Networks?

00:08:04
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited