TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    पंजाब के किसान बाढ़ से बेहाल

    पंजाब के किसान बाढ़ से बेहाल, केंद्र सरकार मदद को तैयार, जानें केंद्र सरकार को मुआवजा देने में क्यों आ रही दिक्कत

    B से बिहार, B से बीड़ी: कांग्रेस के ट्वीट से मचा सियासी बवाल

    B से बिहार, B से बीड़ी: कांग्रेस के ट्वीट से मचा सियासी बवाल

    पीएम मोदी के आवास में भाजपा सांसदों का डिनर

    जेपी नड्डा के घर ‘डिनर’ से शुरू- पीएम मोदी के घर ‘डिनर’ पर खत्म: भाजपा सांसदों की ‘क्लास’ में क्या है ख़ास ?

    बिहार चुनाव 2025: भाजपा-एनडीए की रणनीति से बन सकता है इतिहास

    बिहार चुनाव 2025: भाजपा-एनडीए की रणनीति से बन सकता है इतिहास

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का यूएनजीए से किनारा, जानें कौन जाएगा डेलिगेशन में

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा से किनारा, डेलिगेशन में कौन जाएगा ?

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

    उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    पहली बार उत्तर प्रदेश के 7 शहरों में महिलाएं संभालेंगी ट्रैफिक व्यवस्था

    पहली बार उत्तर प्रदेश के 7 शहरों में महिलाएं संभालेंगी ट्रैफिक व्यवस्था

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का यूएनजीए से किनारा, जानें कौन जाएगा डेलिगेशन में

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा से किनारा, डेलिगेशन में कौन जाएगा ?

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    बंगाल की भूली हुई त्रासदी पर ‘चुप्पी’: ममता सरकार क्यों डर रही है The Bengal Files से?

    बंगाल की भूली हुई त्रासदी पर ‘चुप्पी’: ममता दीदी को The Bengal Files से इतना डर क्यों लग रहा है?

    काशी-मथुरा पर संवाद का रास्ता खुला: भागवत के संतुलित बयान को मदनी का समर्थन

    काशी-मथुरा पर संवाद का रास्ता खुला: भागवत के संतुलित बयान को मदनी का समर्थन

    ओणम सिर्फ फसल उत्सव नहीं: वामन और महाबली की कथा को बचाना हमारी जिम्मेदारी

    ओणम सिर्फ फसल उत्सव नहीं: वामन और महाबली की कथा को बचाना हमारी जिम्मेदारी

    अयोध्या में भूटान के प्रधानमंत्री का विशेष दौरा: रामलला के किए दर्शन, भारत-भूटान मित्रता को नई ऊंचाई

    अयोध्या में भूटान के प्रधानमंत्री का विशेष दौरा: रामलला के किए दर्शन, भारत-भूटान मित्रता को नई ऊंचाई

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    पंजाब के किसान बाढ़ से बेहाल

    पंजाब के किसान बाढ़ से बेहाल, केंद्र सरकार मदद को तैयार, जानें केंद्र सरकार को मुआवजा देने में क्यों आ रही दिक्कत

    B से बिहार, B से बीड़ी: कांग्रेस के ट्वीट से मचा सियासी बवाल

    B से बिहार, B से बीड़ी: कांग्रेस के ट्वीट से मचा सियासी बवाल

    पीएम मोदी के आवास में भाजपा सांसदों का डिनर

    जेपी नड्डा के घर ‘डिनर’ से शुरू- पीएम मोदी के घर ‘डिनर’ पर खत्म: भाजपा सांसदों की ‘क्लास’ में क्या है ख़ास ?

    बिहार चुनाव 2025: भाजपा-एनडीए की रणनीति से बन सकता है इतिहास

    बिहार चुनाव 2025: भाजपा-एनडीए की रणनीति से बन सकता है इतिहास

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का यूएनजीए से किनारा, जानें कौन जाएगा डेलिगेशन में

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा से किनारा, डेलिगेशन में कौन जाएगा ?

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

    उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    पहली बार उत्तर प्रदेश के 7 शहरों में महिलाएं संभालेंगी ट्रैफिक व्यवस्था

    पहली बार उत्तर प्रदेश के 7 शहरों में महिलाएं संभालेंगी ट्रैफिक व्यवस्था

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का यूएनजीए से किनारा, जानें कौन जाएगा डेलिगेशन में

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा से किनारा, डेलिगेशन में कौन जाएगा ?

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    बंगाल की भूली हुई त्रासदी पर ‘चुप्पी’: ममता सरकार क्यों डर रही है The Bengal Files से?

    बंगाल की भूली हुई त्रासदी पर ‘चुप्पी’: ममता दीदी को The Bengal Files से इतना डर क्यों लग रहा है?

    काशी-मथुरा पर संवाद का रास्ता खुला: भागवत के संतुलित बयान को मदनी का समर्थन

    काशी-मथुरा पर संवाद का रास्ता खुला: भागवत के संतुलित बयान को मदनी का समर्थन

    ओणम सिर्फ फसल उत्सव नहीं: वामन और महाबली की कथा को बचाना हमारी जिम्मेदारी

    ओणम सिर्फ फसल उत्सव नहीं: वामन और महाबली की कथा को बचाना हमारी जिम्मेदारी

    अयोध्या में भूटान के प्रधानमंत्री का विशेष दौरा: रामलला के किए दर्शन, भारत-भूटान मित्रता को नई ऊंचाई

    अयोध्या में भूटान के प्रधानमंत्री का विशेष दौरा: रामलला के किए दर्शन, भारत-भूटान मित्रता को नई ऊंचाई

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

केदारनाथ धाम भक्ति व अध्यात्म का स्थल, रील बनाने की जगह नहीं

पिछले कुछ वर्षों से केदारनाथ धाम पर एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। लोग यहां भगवान के दर्शन, को नहीं बल्कि रील बनाने के लिए पहुंच रहे हैं।

Akash Gaur द्वारा Akash Gaur
16 May 2024
in संस्कृति
केदारनाथ धाम, तीर्थ स्थल, श्रद्धालु, उत्तराखंड, केदारनाथ यात्रा,
Share on FacebookShare on X

क्या आज लोग केदारनाथ धाम जाकर कुछ ऐसी हरकतें कर रहे हैं जिससे वहां की शांति भंग हो रही है? या फिर ये एक अनावश्यक विवाद है, क्योंकि इन्हीं श्रद्धालुओं से वहां के लोगों का व्यापार चलता है? इसमें एक तर्क ये भी है कि हमारे गली-मोहल्ले के मंदिर जो वहां हम रौनक लाने का प्रयास क्यों नहीं करते दूर तीर्थाटन करने से पहले? दैनिक न सही तो कम से कम साप्ताहिक रूप से ही वहां उपस्थिति क्यों नहीं दर्ज करा पाते? खैर, रील्स वाली बीमारी आजकल भारत के कई तीर्थस्थलों पर देखने को मिल रही है।

अगर आपने ऋषि-मुनियों के जीवन के बारे में पढ़ा होगा तो अक्सर देखा होगा कि वो वन में तपस्या करते थे। यही कारण है कि नैमिषारण्य से लेकर दण्डकारण्य तक उस काल में आध्यात्मिक स्थलों के रूप में उभरे। ऋषि-मुनियों ने वहीं प्रकृति के बीच अपने आश्रम स्थापित किए। वो पेड़-पौधों एवं वन्यजीवों की देखभाल भी करते थे। इन आश्रमों में मृग चरते रहते थे, ऐसा प्रसंग कई बार रामायण या महाभारत में आया है। कइयों ने तपस्या के लिए और भी दुर्गम स्थल चुने।

संबंधितपोस्ट

उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुआ अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान विधेयक 2025, जानें क्या होगा इसका असर

उत्तराखंड में मदरसा एक्ट खत्म, अब गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक संस्थान भी पाएंगे अल्पसंख्यक का अधिकार

और लोड करें

इनमें हिमालय उनका सबसे पसंदीदा क्षेत्र हुआ करता था। स्पष्ट है कि तब हिमालयी क्षेत्र में आज की तरह पक्की सड़कें नहीं रही होंगी, रोपवे नहीं बने होंगे और चढ़ाई में सहूलियत देने वाले उपकरण नहीं रहे होंगे, वहाँ की तस्वीरें-वीडियो देख कर वहाँ जाने की योजनाएँ नहीं बनती होंगी। कभी आपने सोचा है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने आखिर इन दुर्गम स्थलों को ही अपना ठिकाना क्यों बनाया? वो गांव-नगर में रह कर भी तो साधना कर सकते थे। इसका आसान सा जवाब है-शांति।

हिमालयी या जंगली क्षेत्रों में क्यों रहते थे ऋषि-मुनि?

जी हाँ, शांति। ये ऋषि-मुनि लोगों की बसावट से दूर इसीलिए रहते थे, ताकि उनकी साधना में कम से कम व्यवधान पड़े। अब जो व्यवधान डालने के लिए जंगलों तक में पहुँच गए, वो राक्षस कहलाए। केदारनाथ धाम भारत के प्राचीन आध्यात्मिक स्थलों में से एक है। 

2023 में 12 लाख लोगों ने उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित इस मंदिर में आकर महादेव का दर्शन किया। ये 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मंदिर सड़क से सीधा नहीं जुड़ा हुआ है, अतः गौरीकुंड से 22 किलोमीटर के ट्रेक के बाद लोग यहां आते हैं।

प्राचीन काल में हिमालय को स्वर्ग इसीलिए भी कहा गया, क्योंकि यहां के वन्यजीवन और स्थानीय जनजीवन की गतिविधियों में व्यवधान डालने के लिए बाहरी ताकतें नहीं आती थीं। पहाड़ों में विकास कार्य होने चाप्राचीन काल में हिमालय को स्वर्ग इसीलिए भी कहा गया, क्योंकि यहाँ के वन्यजीवन और स्थानीय जनजीवन की गतिविधियों में व्यवधान डालने के लिए बाहरी ताकतें नहीं आती थीं। 

पहाड़ों में विकास कार्य होने चाहिए, मराठा महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने केदारनाथ धाम तक में निर्माण कार्य कराए। पर्यटन और तीर्थाटन भी होना चाहिए, लेकिन हुड़दंग, नशा, रीलबाजी और दिखावे के लिए पहाड़ों पर जाने का जो प्रचलन चल पड़ा है उसे बंद करने की आवश्यकता है।

केदारनाथ धाम: द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक, 2013 में आया था महाप्रलय

केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, जो अलकनंदा एवं मन्दाकिनी नदियों के संगम के लिए विख्यात है। केदार पर्वत पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग को केदारेश्वर भी कहा जाता है। यहां कण-कण में भगवान शिव बसे हुए हैं, तभी इस पर्वत श्रृंखला को भी रूद्रपर्वत कहा जाता है। इसे सुमेरु और पंच पर्वत भी कहा गया है, क्योंकि इसमें 5 चोटियां हैं- रूद्र हिमालय, विष्णुपुरी, ब्रह्मपुरी, उद्गारीकंठ, और स्वर्ग रोहिणी। इसी का एक हिस्सा गंधमादन पर्वत भी है, जहां से युधिष्ठिर ने स्वर्ग में प्रवेश किया था।

उन्होंने कहा भी था कि कठिन तपस्या के बाद ही यहां तक पहुंचा जा सकता है। जब कोई मेहनत कर के कहीं पहुंचता है तो उसे लक्ष्य की महत्ता का भान होता है, आज की जो पीढ़ी आसानी से वहां मोबाइल फोन लेकर पहुंच रही है उसके लिए ये एक खेल से बढ़ कर कुछ नहीं। 

स्कन्द पुराण में खुद ब्रह्मा जी कहते हैं कि महान दुर्गम पर्वत हिमाद्रि सभी जंतुओं के लिए नहीं है, इस पर महेश्वर का शासन है। विनती किए जाने पर महादेव ने डिवॉन, गंधर्वों, पक्षियों, नागों एवं विद्याधरों की क्रीड़ा के लिए अलग-अलग स्थान निश्चित किए।

खुद भगवान शिव हिमालय को सभी आश्रमों का निवास स्थान बताते हुए कहते हैं कि वो यहाँ पर लिंग के रूप में स्थित हैं। पांडव भी महाभारत युद्ध के बाद मन की शांति के लिए यहाँ आए थे। केदारनाथ ही वो जगह है, जहां जगद्गुरु शंकराचार्य शिव में विलीन हुए थे, यहां उन्होंने देह-त्याग किया था। सर्दी के मौसम में मंदिर बंद रहता है, इसीलिए नियमित पूजा उखीमठ में जारी रहती है।

कुल मिला कर यूं समझिए कि केदारनाथ धाम हिन्दू, खासकर शैव मत में एक उच्च स्थान रखता है। महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने केदारनाथ धाम तक में निर्माण कार्य कराए। पर्यटन और तीर्थाटन भी होना चाहिए, लेकिन हुड़दंग, नशा, रीलबाजी और दिखावे के लिए पहाड़ों पर जाने का जो प्रचलन चल पड़ा है उसे बंद करने की आवश्यकता है।

केदारनाथ धाम भक्ति व अध्यात्म का स्थल, रील बनाने की जगह नहीं

पिछले कुछ वर्षों से केदारनाथ धाम, खासकर पूरे पहाड़ी क्षेत्र पर एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। लोग भगवान के दर्शन, भजन-कीर्तन, ध्यान या योग के लिए नहीं, बल्कि इंस्टाग्राम रील बनाने के लिए यहां पहुंच रहे हैं। आपको लड़के-लड़कियां पहाड़ों पर लॉन्ग ड्राइव करते और बियर पीते हुए मिल जाएंगे। ये पवित्र स्थल सेक्स और नशे का अड्डा नहीं हैं, न बनाए जाने चाहिए। ये नाच-गान के लिए भी नहीं है, यहां की शांति भंग करने का अधिकार किसी को भी नहीं है।

अब देखिए, केदारनाथ धाम में रील वाला ड्रामा इतना बढ़ गया कि वहां के स्थानीय पुजारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा। भड़कते हुए पुजारी इस वीडियो में कह रहे हैं कि कुछ लोगों ने और प्रशासन ने तमाशा बना रखा है, गाजा-बाजा नहीं बजना चाहिए। 

वो कह रहे हैं कि सिर्फ ढोल बजेगा, भगवान के दर्शन के लिए यहां लोगों को आना चाहिए। उनका पूरा ज़ोर है कि क्षेत्र को शांत रखा जाना चाहिए, ये सब करना है तो लोग न आएं। असल में इंदौर के 44 लड़के और 18 लड़कियों का एक समूह वहां 30 ढोल और 10 ताशे लेकर पहुंचा था, वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए।

अगर हम कहीं भी घूमने जा रहे हैं, अपने बगल के गांव में भी-तो सबसे पहले चीज हमें ये देखनी चाहिए कि उन्हें क्या पसंद है और क्या नहीं और उसी अनुरूप व्यवहार करना चाहिए। अगर आप किसी के घर में बतौर मेहमान जाते हैं तो वहां अपनी नहीं चलाते। हां, ये देश का हर कोना हर एक देशवासी का है, लेकिन देश की विविधता का सम्मान करना भी हम देशवासियों का ही काम है। अयोध्या, मथुरा, काशी, केदारनाथ या फिर उज्जैन महाकाल मंदिर रील बनाने के स्थल नहीं हैं।

ये इंदौर का ग्रुप है। इसमें 44 लड़के, 18 लड़कियां हैं। 30 ढोल और 10 ताशे लेकर केदारनाथ पहुंचे थे। मकसद था- सबसे ऊंचाई पर ढोल वादन करके रिकॉर्ड बनाने का। सोचिए, ये सिर्फ इसलिए केदारनाथ जा रहे हैं, ताकि एक रिकॉर्ड बना पाएं। https://t.co/1ZRladv9Mz pic.twitter.com/839G60L3f0

— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) May 15, 2024

इस मामले में आप दक्षिण भारत को देख लीजिए, जहां हर मंदिर के कुछ नियम-कानून हैं और आपको उसका अनुसरण करना पड़ता है। तमाम मंदिरों के अपने ड्रेस कोड भी हैं, प्रधानमंत्री या उनके सुरक्षाकर्मी भी जाते हैं तो उन्हें इसका पालन करना पड़ता है। अगर कहीं कुछ पाबंदियां नहीं लगाई गई हैं, तब हमारे जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि हम वहां की मर्यादा को बनाए रखें। उत्तराखंड की पुलिस भी चेतावनी जारी कर चुकी है कि धाम की मर्यादा बनाए रखने के लिए धूम्रपान न करें, हुड़दंग न करें।

पूजा परंपरा में भी आया बदलाव

इस पूरे मामले को लेकर पुजारी आचार्य संतोष जी महाराज ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार का ध्यान अब तीर्थ से पर्यटन की तरफ केंद्रित हो गया है। उनका कहना है कि पूजा परंपरा में बदलाव आ गया है, जो गलत है। उन्होंने कहा कि यहां की परंपरा है गर्भगृह में जाकर दर्शन करना, जैसा उज्जैन महाकाल मंदिर में भी है। वहां पूजा होती है, माता को घी लगाया जाता है, गणेश जी की प्रथम पूजा का नियम है।

उनका कहना है, “गणेश जी की पूजा के नियम की अनदेखी हो रही है। अब VIP दर्शन कराए जा रहे हैं। सीधे गर्भगृह में 2100 रुपए शुल्क लेकर प्रवेश कराया जाता है, जिससे ऐसे में धर्म दर्शन में रास्ते में जो गणेश जी की पूजा होती है, वो नहीं हो पा रही है। धर्म और आस्था बिक रही है, परंपराएं कहां रह गई हैं? ‘विशेष पूजा’ में भी गणेश जी की पूजा छोड़ कर आगे की पूजा की जाती है। मेरी सलाह है कि श्रद्धालु कितनी भी संख्या में आएं, यहां की परंपराओं पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।”

उन्होंने कहा कि हमें ये देखे जाने की ज़रूरत है कि एक घंटे में हम कितने श्रद्धालुओं को दर्शन करा सकते हैं और दिन भर में हमारे पास दर्शन के लिए कितने घंटे हैं, इस हिसाब से नियम बनाया जाना चाहिए और इसमें न सिर्फ मंदिर समिति बल्कि तीर्थ पुरोहितों को भी सहयोग करना चाहिए। 

संतोष जी महाराज ने कहा कि यहां मशीनें चल रही हैं, प्रकृति के साथ छेड़छाड़ हो रही है। उन्होंने कहा कि विकास कार्य के नाम खुलेआम खनन हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज योजनाएं नहीं बल्कि प्रकृति जरूरी है।

संतोष जी महाराज ने कहा कि कई तीर्थस्थलों पर कम खर्च और कम समय में लोग पहुँच सकते हैं, लेकिन वो केदारनाथ धाम आ रहे हैं क्योंकि यहाँ वो खुद को प्रकृति के करीब पाते हैं। उन्होंने सवाल किया कि अगर ये प्रकृति ही हम बचा नहीं पाएंगे तो आएगा कौन? 

उन्होंने कहा कि कमाई की जगह प्रकृति को बचाने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर समिति ने जगह-जगह विज्ञापन दे रखा है कि 2100 रुपए में दर्शन करा देंगे, जबकि आम लोग 4-4 घंटे लाइन में खड़े रहते हैं। उन्होंने मंदिर समिति पर करोड़ों रुपए के सोने में भी गड़बड़ी के आरोप लगाए।

केदारनाथ धाम में अव्यवस्था? मंदिर समिति ने अपनी सफाई में क्या कहा

वहीं केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजयेन्द्र अजय इन आरोपों से ताल्लुक नहीं रखते। उन्होंने कहा कि मंदिर में लॉकर रूम की व्यवस्था नहीं है, इस कारण मंदिर समिति श्रद्धालुओं के मोबाइल फोन, कैमरा या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को नहीं जमा करा पाती हैं। उन्होंने कहा कि बाकी मंदिरों के मुकाबले केदारनाथ मंदिर के पास जगह की भी कमी है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं से लगातार मंदिर की मर्यादा बनाए रखने की अपील मंदिर समिति करता रहता है।

उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं से लगातार अपील की जाती है कि परंपराओं का पालन किया जाए और किसी की भी धार्मिक भावनाएं आहत न की जाएं। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि मंदिर समिति का अधिकार क्षेत्र सिर्फ पूजा-प्रबंधन तक सीमित है, बाकी चीजें पुलिस-प्रशासन की जिम्मेदारी है। VIP दर्शन के आरोपों को नकारते हुए उन्होंने कहा कि यहां ऐसी कोई व्यवस्था है ही नहीं, प्रोटोकॉल से आने वाले VIPs से देश के सभी मंदिरों में शुल्क लिया जाता है।

केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजयेन्द्र अजय ने कहा कि किसी-किसी मंदिर में सामान्य दर्शनार्थियों से भी शुल्क लिया जाता है, लेकिन केदारनाथ धाम में ऐसा कुछ भी नहीं है। सोने में गड़बड़ी के आरोपों पर उन्होंने कहा कि अनाधिकारिक कुछ भी नहीं होता बल्कि सब कुछ रिकॉर्ड पर होता है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की कॉर्पोरेट बॉडी है, हम ऑटोनोमस हैं लेकिन कई चीजों में सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार समिति के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर और फाइनेंस ऑफिसर नियुक्त करती है।

क्या श्रद्धालुओं से अनावश्यक रूप से वसूले जाते हैं पैसे?

केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि सब इंस्टाग्राम रील्स बनाने या फिर नशा करने के लिए ही केदारनाथ धाम नहीं आते हैं, ऐसे में सभी को इस रूप में देखना ठीक नहीं है। एक पक्ष ये भी है कि केदारनाथ धाम में ढोल-ताशे वाले जिस दल को रोका गया, वो देश के कई मंदिरों में घूम कर ऐसा कर चुके हैं और वो काफी भक्तिभाव से ये सब करते हैं। उस पक्ष का ये भी कहना है कि वो पारंपरिक वेशभूषा में रहते हैं और मर्यादा का किसी प्रकार से भी उल्लंघन नहीं करते।

एक श्रद्धालु ने कहा कि अगर ढोल-ताशे की आवाज़ से दिक्कत है तो फिर सुबह से शाम तक केदारनाथ धाम के ऊपर जो हेलीकॉप्टर मंडराते रहते हैं, उससे पर्यावरण को दिक्कत क्यों नहीं होती? उन्होंने एक और विषय पर आवाज़ उठाई, वो है अनावश्यक वसूली का। कुछ श्रद्धालुओं की शिकायत है कि होटल रूम से लेकर अन्य सभी सेवाओं के लिए कई गुना ज़्यादा रुपए वसूले जाते हैं और इस पर कोई आवाज नहीं उठाता। उनका कहना है कि कभी-कभी 10 गुना ज्यादा शुल्क लिया जाता है।

हालांकि, ये समस्या खासकर पहाड़ की नहीं है बल्कि देश के अधिकतर तीर्थ एवं पर्यटन स्थलों पर ट्रांसपोर्ट और राज्य में बाहर से आने वालों को अधिक शुल्क चुकाना पड़ता है। पूरी बात का लब्बोलुआब ये है कि हमें धार्मिक स्थलों पर वहां की मर्यादा का पालन करते हुए भक्ति और अध्यात्म में रमना चाहिए, शांति के साथ। अब ढोल-ताशा बजाने से रोकने को लेकर अलग-अलग राय हो सकती हैं, वो भक्तिभाव से कर रहे थे या फिर सोशल मीडिया के लिए- उनके मन की बात विशुद्ध रूप से तो बाबा केदार को ही पता होगी।

और पढ़ें:- केदारनाथ कहां है एवं कैसे पहुंचे? कथा, इतिहास, एवं दर्शन के नियम

Tags: DevoteesHoly pilgrimageKedarnath DhamKedarnath YatraUttarakhandउत्तराखंडकेदारनाथ धामकेदारनाथ यात्रातीर्थ स्थलश्रद्धालु
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

चाबहार पोर्ट की डील होते ही अमेरिका देने लगा धमकी, विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया करारा जवाब।

अगली पोस्ट

पुर्तगालियों से आत्मसमर्पण कराने वाले वीर चिमाजी अप्पा की कथा

संबंधित पोस्ट

काशी-मथुरा पर संवाद का रास्ता खुला: भागवत के संतुलित बयान को मदनी का समर्थन
इतिहास

काशी-मथुरा पर संवाद का रास्ता खुला: भागवत के संतुलित बयान को मदनी का समर्थन

5 September 2025

काशी विश्वनाथ के ज्ञानवापी परिसर और मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर दशकों से चल रहा विवाद एक नए मोड़ पर है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख...

ओणम सिर्फ फसल उत्सव नहीं: वामन और महाबली की कथा को बचाना हमारी जिम्मेदारी
इतिहास

ओणम सिर्फ फसल उत्सव नहीं: वामन और महाबली की कथा को बचाना हमारी जिम्मेदारी

5 September 2025

केरल में ओणम का त्योहार शुरू होते ही पूरा राज्य रंग-बिरंगे पुखलम, भव्य नाव दौड़ और पारंपरिक ओणसद्या भोज से सज जाता है। लेकिन यह...

दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश
इतिहास

दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

4 September 2025

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में निर्देश दिया कि हरिद्वार कुंभ 2027 को “दिव्य व भव्य” रूप में आयोजित किया...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Why Periyar Is No Hero: The Anti-Hindu Legacy That Stalin & DMK Ecosystem Want You To Forget

Why Periyar Is No Hero: The Anti-Hindu Legacy That Stalin & DMK Ecosystem Want You To Forget

00:06:26

Why Hindus Should Reclaim The Forgotten Truth of Onam | Sanatan Roots vs Secular Lies

00:07:03

Suhana Khan in Trouble? Alleged Fake Farmer Claim and the ₹22 Crore Land Deal

00:05:55

IAF’s Arabian Sea Drill: Is it A Routine exercise or Future Warfare Preparation?

00:05:26

Ganesha’s Empire Beyond Bharat: The Forgotten History of Sanatan Dharma in Asia

00:07:16
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited