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‘राजस्थान में धर्म परिवर्तन कराने वालों की खैर नहीं’: धर्मांतरण के खिलाफ विधेयक लाएँगे CM भजनलाल, अब तक 10 राज्यों में बन चुका है कानून

हिंदू संगठन लंबे समय से धर्मांतरण के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाने की भी मांग करते रहे हैं।

Akash Sharma Nayan द्वारा Akash Sharma Nayan
5 November 2024
in चर्चित, राजनीति
धर्मांतरण कानून राजस्थान

धर्मांतरण पर राजस्थान सरकार लाएगी विधेयक

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राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने की तैयारी कर रही है। आगामी विधानसभा सत्र में इसके लिए सरकार विधेयक लाएगी। इस कानून में जबरन तथा लालच देकर धर्मांतरण कराने वालों व उनके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान होगा। इसके अलावा लिव इन रिलेशनशिप पर भी कानून की बात कही जा रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजस्थान में धर्मांतरण के बढ़ते मामलों को लेकर सीएम भजनलाल शर्मा चिंतित हैं और अब इस पर लगाम लगाने की तैयारी कर चुके हैं। कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा है कि किसी भी परिस्थिति में धर्म परिवर्तन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगले विधानसभा सत्र में धर्म परिवर्तन के खिलाफ सरकार बिल लाने जा रही है। इसके लिए विधि विभाग बिल का ड्राफ्ट तैयार करने में जुटा हुआ है। राज्य में यदि कोई भी जोर जबरदस्ती, पैसों का लाचल देकर या किसी अन्य तरीके से डरा-धमकाकर धर्म परिवर्तन करवाता है, तो यह गलत है, बर्दाश्त करने लायक नहीं है। धर्मांतरण कराने वालों और उनके सहयोगियों के खिलाफ इस बिल में कड़ी सजा दिलाने के प्रावधान किए जाएंगे। इसको लेकर सरकार, उत्तराखंड समेत देश के अन्य राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानून का अध्ययन कर रही है।

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इसके अलावा राजस्थान विधि विभाग के सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि विधेयक में धर्मांतरण के आरोपितों को 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा बिना विवाह के लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के लिए भी कानून लाने की तैयारी की जा रही है।

बता दें कि इससे पहले वसुंधरा राजे सरकार में साल 2006 और 2008 में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक विधानसभा में दो बार पास हुआ था। लेकिन तब केंद्र की यूपीए सरकार से इसे मंजूरी नहीं मिल पाई थी। बता दें कि 2008 के धर्म स्वातंत्र्य विधेयक में कलेक्टर की मंजूरी के बिना धर्म बदलने पर रोक लगाने का प्रावधान था। नए कानून में ऐसा ही प्रावधान होने की बात सामने आ रही है।

गौरतलब है कि संविधान में धर्मांतरण को लेकर कोई स्पष्ट अनुच्छेद नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 25 से लेकर 28 तक में धार्मिक स्वतंत्रता का जिक्र किया गया है। इसमें यह कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से किसी भी धर्म को मानने, पालन करने और प्रचार-प्रसार कर सकता है। हिंदू संगठन लंबे समय से धर्मांतरण के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाने की भी मांग करते रहे हैं।

10 राज्यों में लागू है धर्मांतरण विरोधी कानून

ओडिशा

देश में धर्मांतरण पर सबसे पहले कानून ओडिशा में बनाया गया था। यहां धर्मांतरण विरोधी कानून साल 1967 में लागू किया गया था। इस कानून के तहत जबरन या लालच के जरिए धर्मांतरण कराने पर एक साल तक की जेल के साथ ही 5000 रुपए तक का जुर्माने का प्रावधान है। यही नहीं, ओडिशा में एससी-एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर 2 साल की सजा के साथ ही 10000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने वाला देश का दूसरा राज्य था। यहां साल 1968 में लागू किए गए कानून में ओडिशा के जैसा ही कानून था। इसमें, जबरन धर्मांतरण कराने पर एक साल तक की जेल के साथ ही 5000 रुपए तक का जुर्माना तय किया गया था। इसके साथ ही एससी-एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर 2 साल की सजा के साथ ही 10000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया था।

हालांकि इसके बाद साल 2020 में तत्कालीन शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2020 को विधानसभा में पारित कर इस कानून को नए तरीके से लागू किया था। इस विधेयक में शादी या फिर धोखाधड़ी से कराया गया धर्मांतरण भी अपराध माना गया था। इसके लिए सजा को 2 साल से बढ़ाकर अधिकतम 10 साल करते हुए जुर्माना एक लाख रुपए तक बढ़ा दिया गया था।

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश में ईसाई मिशनरियों के तेजी से सक्रिय होने के बाद साल 1978 में धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए कानून बनाया गया था। इस कानून के अंतर्गत जबरन धर्मांतरण पर दो साल की सजा के साथ 10000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।

गुजरात

साल 2003 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में धर्मांतरण विरोधी कानून बना था। कानून बनाने के साथ ही गुजरात ऐसा पहला राज्य था, जहां धर्म परिवर्तन को कानूनी मान्यता देने के लिए जिला प्रशासन की मंजूरी आवश्यक थी। इसके बाद साल 2021 में इस कानून में संशोधन कर इसे गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट 2021 नाम दिया गया था। इस नए कानून के तहत किसी दूसरे धर्म की लड़की को बहला-फुसलाकर या धोखा व लालच देकर शादी करने के बाद उसका धर्म परिवर्तन करवाने पर 5 साल की कैद के साथ ही 2 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं, यदि पीड़ित लड़की नाबालिग हो तो दोषी को 7 साल की सजा के साथ ही 3 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।

छत्तीसगढ़

मध्य प्रदेश से अलग होकर साल 2000 में छत्तीसगढ़ नया राज्य बना था। लेकिन इसके बाद भी छत्तीसगढ़ ने मध्यप्रदेश में बने धर्मांतरण कानून को अपनाए रखा था। हालांकि फिर साल 2006 में इसे संशोधित कर धर्मांतरण से पहले कलेक्टर की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया था।

हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश में साल 2006 में धर्मांतरण विरोधी कानून बना था। इसके बाद साल 2019 में इसमें संसोधन कर जबरदस्ती, लालच या किसी अन्य तरीके से या फिर शादी के बाद धर्मांतरण के लिए मजबूर करने पर सजा का प्रावधान किया गया था। हालांकि इसमें साल 2022 में एक बार फिर संसोधन कर 10 साल की सजा और 2 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया।

झारखंड

झारखंड में ईसाई मिशनरियां जनजातियों को तेजी से धर्मांतरण का शिकार बना रही थीं। इसके चलते, साल 2017 में झारखंड में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया गया था। इसमें, धर्मांतरण के दोषी को 3 साल तक की जेल या 50 हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान किया गया था। इसके साथ ही, नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति को धर्मांतरण का शिकार बनाने पर 4 साल की कैद और 1 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।

उत्तराखंड

धर्मांतरण के खिलाफ उत्तराखंड में साल 2018 में कानून बनाया गया था। इसके बाद साल 2022 में इसमें संशोधन कर कानून को और सख्त किया गया था। इसमें जबरन धर्मांतरण कराने के दोषी को 10 साल की कैद के साथ ही 50 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। यही नहीं, धर्मांतरण कराने का दोषी पाए जाने पर, दोषी को पीड़ित व्यक्ति को पांच लाख रुपए तक का मुआवजा भी देना होगा।

हरियाणा

साल 2022 मे लागू हुए कानून के तहत हरियाणा में जबरन धर्मांतरण पर 5 साल तक की सजा और 1 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। शादी के लिए धर्म छुपाने पर 10 साल तक की सजा और कम से कम 3 लाख के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। सामूहिक रूप से जबरन धर्मांतरण कराने पर 10 साल की सजा और कम से कम 4 लाख का जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। इसके अलावा, एक से ज्यादा बार जबरन धर्मांतरण कराने का दोषी पाए जाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है।

उत्तर प्रदेश

साल 2020 में उत्तर प्रदेश में, ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून’ लागू किया गया था। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 10 साल तक की जेल और 50 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान था। इसके बाद साल 2021 में कानून संशोधन कर जबरन धर्मांतरण के दोषी व्यक्ति को 5 साल तक की कैद के साथ ही 15,000 रुपये का जुर्माना देने का प्रावधान किया गया था। हालांकि जुलाई 2024 में एक और संशोधन विधेयक पेश कर न्यूनतम कारावास की अवधि बढ़ाकर 5 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष कर दी गई है। इसके अलावा, जुर्माने की राशि को बढ़ाकर 50000 रुपए कर दिया गया है।

साथ ही, यदि नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदाय के व्यक्ति के जबरन धर्मांतरण का दोषी पाया जाता है, 5 से लेकर 14 साल तक की सजा का प्रावधान है। यही नहीं, इसमें न्यूनतम जुर्माना भी 25000 रुपए से बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दिया गया है। इसके अलावा, सामूहिक धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर 14 साल तक की सजा के साथ ही 1 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

 

स्रोत: RAJASTHAN, धर्मांतरण, राजस्थान, Religious Conversion, भजनलाल शर्मा, BhajanLal Sharma
Tags: Anti-conversion lawsRajasthanReligious Conversionअवैध धर्मांतरणधर्मांतरणराजस्थान
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