TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    The thoughtful Indian

    अजेय और अडिग भारत का उदय, पश्चिम की मान्यताओं को चुनौती

    Nitasha Kaul OCI Card Cancelled

    ‘भारत विरोधियों’ के OCI कार्ड कैंसिल होने शुरू, जानें क्या हैं नियम, पात्रता और सुविधाएं?

    Mamta Banerjee and Yusuf Pathan

    ममता बनर्जी को क्यों नहीं जमता भारत का पक्ष? पाकिस्तान को घेरने की मुहिम से यूसुफ पठान की ना

    Congress All Party Delegation

    देशहित से आगे तुष्टिकरण! ऑल-पार्टी डेलिगेशन के लिए कांग्रेस के दिए नामों पर क्यों हुआ विवाद?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    चीन-तुर्की को बहुत महंगी पड़ रही पाकिस्तान से हमदर्दी

    चीन-तुर्की को बहुत महंगी पड़ रही पाकिस्तान से हमदर्दी: सेलेबी के शेयर दो दिन में 20% लुढ़के तो वहीं चीनी डिफेंस मार्केट में हाहाकार

    अमेरिका पर भारत लगाएगा रेसिप्रोकाल टैरिफ

    टैरिफ पर भारत का बड़ा एलान, एल्युमिनियम-स्टील इंपोर्ट पर 25% ड्यूटी वसूल रहे US पर लगाई जायेगी रेसिप्रोकाल टैरिफ

    Meta Facebook Double Face

    फेसबुक का दोगला चेहरा! फाइनेंशियल फ्रॉड को बढ़ावा, राष्ट्रवादी विचार पर एक्शन; क्या ये जानबूझकर कर रहा है मेटा?

    GST On UPI Transactions

    क्या सच में 2000 रुपये से ऊपर के UPI ट्रांजेक्शन पर लगेगा GST? जानें सरकार का स्पष्टीकरण

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    पाकिस्तान के क्रैश हुए फाइटर जेट की FILE PHOTO

    पाक की पोल खोलने को तैयार भारतीय वायुसेना, सबूत के साथ बताएगी कहां गिराए गए पाकिस्तानी जेट

    PMO PM Modi Indian Jet Engine Program

    PMO को अपने हाथों क्यों लेनी चाहिए जेट इंजन प्रोग्राम की कमान?

    Defence Budget

    ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अब सेना को मिलेगा 50,000 करोड़ का हाइपरसोनिक बूस्ट, आधुनिक तकनीक और हथियारों पर भारत का फोकस

    करियप्पा को उनके रिश्तेदार 'चिम्मा' कहकर बुलाते थे

    नेहरू के विरोध के बावजूद भारतीय सेना के पहले हिंदुस्तानी कमांडर-इन-चीफ कैसे बने करियप्पा? अंग्रेज अफसरों को फौज की कमान क्यों सौंपना चाहते थे नेहरू?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    स्वर्ण मंदिर (FILE PHOTO)

    पाकिस्तान ने स्वर्ण मंदिर की ओर दागी मिसाइलें: सेना का बड़ा खुलासा, क्यों सिखों को निशाना बना रहा है पाक?

    मोहम्मद युनूस और पीएम मोदी

    ट्रांस-शिपमेंट गया, एक्सपोर्ट लटका, अब बांग्लादेश को भारत की दरकार समझ आएगी

    जो बाइडन को हुआ ‘तेज़ी से फैलने वाला’ प्रोस्टेट कैंसर; जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव?

    जो बाइडन को हुआ ‘तेज़ी से फैलने वाला’ प्रोस्टेट कैंसर; जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव?

    पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ ने कबूला ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का सच, कहा- ‘रात 2:30 बजे मुनीर का फोन आया…’

    पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ ने कबूला ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का सच, कहा- ‘रात 2:30 बजे मुनीर का फोन आया…’

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    करियप्पा को उनके रिश्तेदार 'चिम्मा' कहकर बुलाते थे

    नेहरू के विरोध के बावजूद भारतीय सेना के पहले हिंदुस्तानी कमांडर-इन-चीफ कैसे बने करियप्पा? अंग्रेज अफसरों को फौज की कमान क्यों सौंपना चाहते थे नेहरू?

    दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बुद्ध के जन्म को ‘वेसाक' उत्सव के रूप में मनाते हैं जो 'वैशाख' शब्द का अपभ्रंश है

    भगवान बुद्ध: मानवता के लिए शांति और करुणा का रास्ता

    RSS के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी

    RSS के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी का 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान दिया गया संदेश

    28 अगस्त के भारतीय सैनिकों ने रणनीतिक हाजी पीर दर्रे पर कब्जा कर लिया था (सोर्स: www.adityaaryaarchive.com)

    हाजी पीर दर्रा: भूली हुई जीत, जिंदा ज़ख्म — पुरानी भूल सुधारने का यही वक्त है

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    जो बाइडन को हुआ ‘तेज़ी से फैलने वाला’ प्रोस्टेट कैंसर; जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव?

    जो बाइडन को हुआ ‘तेज़ी से फैलने वाला’ प्रोस्टेट कैंसर; जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव?

    IPL 2025 Suspended

    भारत पाकिस्तान तनाव के बीच IPL-2025 सस्पेंड, बचे हुए थे 16 मैच

    NC Classic Arshad Nadeem Neeraj Chopra

    नीरज चोपड़ा ने पाकिस्तान के अरशद नदीम को NC क्लासिक में खेलने का दिया न्यौता, आलोचना के बाद दी सफाई

    IPL 2025: पहलगाम आंतकी हमले के बाद MI vs SRH मैच में होंगे ये बदलाव; विराट-पांड्या समेत कई क्रिकेटर्स ने जताया शोक

    IPL 2025: पहलगाम आंतकी हमले के बाद MI vs SRH मैच में होंगे ये बदलाव; विराट-पांड्या समेत कई क्रिकेटर्स ने जताया शोक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    The thoughtful Indian

    अजेय और अडिग भारत का उदय, पश्चिम की मान्यताओं को चुनौती

    Nitasha Kaul OCI Card Cancelled

    ‘भारत विरोधियों’ के OCI कार्ड कैंसिल होने शुरू, जानें क्या हैं नियम, पात्रता और सुविधाएं?

    Mamta Banerjee and Yusuf Pathan

    ममता बनर्जी को क्यों नहीं जमता भारत का पक्ष? पाकिस्तान को घेरने की मुहिम से यूसुफ पठान की ना

    Congress All Party Delegation

    देशहित से आगे तुष्टिकरण! ऑल-पार्टी डेलिगेशन के लिए कांग्रेस के दिए नामों पर क्यों हुआ विवाद?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    चीन-तुर्की को बहुत महंगी पड़ रही पाकिस्तान से हमदर्दी

    चीन-तुर्की को बहुत महंगी पड़ रही पाकिस्तान से हमदर्दी: सेलेबी के शेयर दो दिन में 20% लुढ़के तो वहीं चीनी डिफेंस मार्केट में हाहाकार

    अमेरिका पर भारत लगाएगा रेसिप्रोकाल टैरिफ

    टैरिफ पर भारत का बड़ा एलान, एल्युमिनियम-स्टील इंपोर्ट पर 25% ड्यूटी वसूल रहे US पर लगाई जायेगी रेसिप्रोकाल टैरिफ

    Meta Facebook Double Face

    फेसबुक का दोगला चेहरा! फाइनेंशियल फ्रॉड को बढ़ावा, राष्ट्रवादी विचार पर एक्शन; क्या ये जानबूझकर कर रहा है मेटा?

    GST On UPI Transactions

    क्या सच में 2000 रुपये से ऊपर के UPI ट्रांजेक्शन पर लगेगा GST? जानें सरकार का स्पष्टीकरण

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    पाकिस्तान के क्रैश हुए फाइटर जेट की FILE PHOTO

    पाक की पोल खोलने को तैयार भारतीय वायुसेना, सबूत के साथ बताएगी कहां गिराए गए पाकिस्तानी जेट

    PMO PM Modi Indian Jet Engine Program

    PMO को अपने हाथों क्यों लेनी चाहिए जेट इंजन प्रोग्राम की कमान?

    Defence Budget

    ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अब सेना को मिलेगा 50,000 करोड़ का हाइपरसोनिक बूस्ट, आधुनिक तकनीक और हथियारों पर भारत का फोकस

    करियप्पा को उनके रिश्तेदार 'चिम्मा' कहकर बुलाते थे

    नेहरू के विरोध के बावजूद भारतीय सेना के पहले हिंदुस्तानी कमांडर-इन-चीफ कैसे बने करियप्पा? अंग्रेज अफसरों को फौज की कमान क्यों सौंपना चाहते थे नेहरू?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    स्वर्ण मंदिर (FILE PHOTO)

    पाकिस्तान ने स्वर्ण मंदिर की ओर दागी मिसाइलें: सेना का बड़ा खुलासा, क्यों सिखों को निशाना बना रहा है पाक?

    मोहम्मद युनूस और पीएम मोदी

    ट्रांस-शिपमेंट गया, एक्सपोर्ट लटका, अब बांग्लादेश को भारत की दरकार समझ आएगी

    जो बाइडन को हुआ ‘तेज़ी से फैलने वाला’ प्रोस्टेट कैंसर; जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव?

    जो बाइडन को हुआ ‘तेज़ी से फैलने वाला’ प्रोस्टेट कैंसर; जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव?

    पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ ने कबूला ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का सच, कहा- ‘रात 2:30 बजे मुनीर का फोन आया…’

    पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ ने कबूला ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का सच, कहा- ‘रात 2:30 बजे मुनीर का फोन आया…’

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    करियप्पा को उनके रिश्तेदार 'चिम्मा' कहकर बुलाते थे

    नेहरू के विरोध के बावजूद भारतीय सेना के पहले हिंदुस्तानी कमांडर-इन-चीफ कैसे बने करियप्पा? अंग्रेज अफसरों को फौज की कमान क्यों सौंपना चाहते थे नेहरू?

    दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बुद्ध के जन्म को ‘वेसाक' उत्सव के रूप में मनाते हैं जो 'वैशाख' शब्द का अपभ्रंश है

    भगवान बुद्ध: मानवता के लिए शांति और करुणा का रास्ता

    RSS के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी

    RSS के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी का 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान दिया गया संदेश

    28 अगस्त के भारतीय सैनिकों ने रणनीतिक हाजी पीर दर्रे पर कब्जा कर लिया था (सोर्स: www.adityaaryaarchive.com)

    हाजी पीर दर्रा: भूली हुई जीत, जिंदा ज़ख्म — पुरानी भूल सुधारने का यही वक्त है

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    जो बाइडन को हुआ ‘तेज़ी से फैलने वाला’ प्रोस्टेट कैंसर; जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव?

    जो बाइडन को हुआ ‘तेज़ी से फैलने वाला’ प्रोस्टेट कैंसर; जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव?

    IPL 2025 Suspended

    भारत पाकिस्तान तनाव के बीच IPL-2025 सस्पेंड, बचे हुए थे 16 मैच

    NC Classic Arshad Nadeem Neeraj Chopra

    नीरज चोपड़ा ने पाकिस्तान के अरशद नदीम को NC क्लासिक में खेलने का दिया न्यौता, आलोचना के बाद दी सफाई

    IPL 2025: पहलगाम आंतकी हमले के बाद MI vs SRH मैच में होंगे ये बदलाव; विराट-पांड्या समेत कई क्रिकेटर्स ने जताया शोक

    IPL 2025: पहलगाम आंतकी हमले के बाद MI vs SRH मैच में होंगे ये बदलाव; विराट-पांड्या समेत कई क्रिकेटर्स ने जताया शोक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

मनुस्मृति में वर्ण व्यवस्था और महिला अधिकार: क्यों लोगों से छिपाई जाती रही है असली कहानी?

जाति और वर्ण की व्यवस्था को जन्म के आधार पर मानने की अवधारणा पर सबसे पहली चोट स्वयं मनुस्मृति ने की है

Dr Alok Kumar Dwivedi द्वारा Dr Alok Kumar Dwivedi
6 March 2025
in धर्म
मनुस्मृति में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य और उपलब्ध होनी चाहिए तथा कोई भी व्यक्ति ज्ञान अर्जन कर सकता है

मनुस्मृति में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य और उपलब्ध होनी चाहिए तथा कोई भी व्यक्ति ज्ञान अर्जन कर सकता है

Share on FacebookShare on X

भारत की विशाल संस्कृति एवं आध्यात्मिक परंपरा ईसा पूर्व अनेकों हजार वर्ष की यात्रा का एक निर्विघ्न मार्ग है। भारतीय सनातन परंपरा में वेद पृथ्वी पर स्थित सर्व प्राचीन रचना मानी जाती है। वेदों के संबंध में यह महत्वपूर्ण है कि वेद का ज्ञान सनातन है परंतु कालांतर में इसे लिपिबद्ध किया गया। भारतीय परंपरा में श्रुति एवं स्मृति दो प्रकार के ग्रंथ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वेदों को श्रुति कहा जाता है जिसका अर्थ है कि यह स्वत: प्रमाण होते हैं। भारतीय दार्शनिक परंपरा में जितने भी आस्तिक दर्शन हैं वे सभी वेदों को स्वयं प्रमाण के रूप में स्वीकार करते हैं। ऐसा माना जाता है कि संपूर्ण भारतीय दार्शनिक वाङ्मय में वेदों के मंत्रों का ही प्रकटन एवं विस्तार है।

वेदों के पश्चात् ब्राह्मण, आरण्यक एवं उपनिषद् की रचना की गई। कुछ विद्वान इन सभी को समग्र रूप से श्रुति की संज्ञा देते हैं। इसके पश्चात् के ग्रन्थ स्मृति ग्रंथ माने जाते हैं। स्मृतियां या स्मरण किए गए साहित्य लोगों की मान्यताओं एवं प्रथाओं को प्रतिबिंबित करती हैं। स्मृति से आशय वेदविदों की स्मरणशक्ति में संचित उन रूढ़ियों और परंपराओं से है, जिनका वैदिक साहित्य में उल्लेख नहीं हुआ, जबकि शील का अर्थ विद्वानों के आचरण और व्यवहार में प्रकट प्रमाणों से है। आपस्तम्ब ने अपने धर्मसूत्र में स्पष्ट किया है—”धर्मज्ञसमयः प्रमाणं वेदाश्च” (धर्म का प्रमाण धर्मज्ञों की सम्मति और वेद हैं)। स्मृतियों की रचना वेदों के बाद, लगभग 500 ईसा पूर्व हुई। छठी शताब्दी ईसा पूर्व से पहले समाज में धर्म वेदों, वैदिक आचार और परंपराओं पर आधारित था।

संबंधितपोस्ट

मनुस्मृति: कैसा होना चाहिए एक आदर्श राजा और क्या हैं राज्य के सात अंग?

बृहस्पति स्मृति और मनु स्मृति से भारतीय संविधान तक: न्याय में परंपरा और आधुनिकता का कैसा रहा है संगम?

स्त्रियों के महत्त्व, अधिकार, सुरक्षा और विवाह को लेकर क्या कहती है मनुस्मृति?

और लोड करें

आपस्तम्ब धर्मसूत्र के अनुसार, स्मृतियों में वर्णित नियम समयाचारिक धर्म पर आधारित हैं, जिसका अर्थ है—सामाजिक परंपराओं से उपजा धर्म। स्मृति ग्रंथ इस बात के लिए सदैव तैयार रहे हैं कि समय बीतने के बाद बहुत सारी बातें और सिद्धान्त सामाजिक व्यवस्था के अनुरूप पुनर्व्याख्यित  किए जा सकते हैं । यही कारण है कि सामाजिक व्यवस्था और कालखंड के अनुरूप अनेकों स्मृतियाँ ऋषियों द्वारा लिखी गयी हैं। भारतीय सनातन परंपरा अपने लचीले स्वभाव के कारण सनातन बनी हुई है। यह स्वयं के भीतर रूढ़ियों को कभी इतना महत्व नहीं देती कि यह उनके प्रभाव से ही काल खंड मे अप्रासंगिक हो जाए।

वस्तुतः हिन्दुत्व का यह स्वभाव है कि वह जितना ही परिवर्तित होता है, उतना ही अपने मूल स्वरूप के अधिक निकट पहुँच जाता है। वैदिक काल से जिस यज्ञ, प्रकृति पूजा और पर्यावरण के प्रति कृतज्ञता के भावों को ऋषियों ने अपनाया उसे आज भी सनातन जनमानस संशोधित रूप में मूल को पकड़कर आगे बढ़ा रहा है। आज से 5 हज़ार वर्ष पूर्व भारतीय संस्कृति का जो रूप विद्यमान था मूलतः वह आज भी वैसा ही है। मिश्र, बेबीलोन, और यूनान में भी प्राचीन सभ्यताएं जागृत थीं पर वे सभी काल कवलित हो गईं। केवल भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जिसका अतीत कभी मरा नहीं। वह बराबर वर्तमान के रथ पर चढ़कर भविष्य की ओर चलता रहा है। भारत का अतीत कल भी जीवित था और आगे भी पुष्पित रहेगा। 

पी. वी. काणे ने अपनी पुस्तक धर्मशास्त्रों का इतिहास में लिखा है कि स्मृतियां धर्म के आचरण के लिए नियमों का एक मानदंड प्रस्तुत करती हैं। स्मृतियां विभिन्न कालखंड में सामाजिक व्यवस्थाओं एवं मान्यताओं की लिपिबद्ध संहिता हैं। इस प्रकार स्मृतियों को धर्मशास्त्र भी कहा जाता है। सामान्यतः प्रमुख रूप से 18 स्मृतियां मानी जाती हैं। मनु ने स्वयं को छोड़कर 6 अन्य स्मृतियों से संबंधित नाम लिखे हैं – अत्रि, उतस्थ के पुत्र, भृगु, वशिष्ठ, वैखानस एवं शौनक। पराशर ने खुद को छोड़कर 19 नाम गिनाए हैं। महर्षि गौतम ने केवल मनुस्मृति को ही स्वीकार किया है। कुमारिल के तंत्रवर्तिक में 18 धर्म संहिताओं के नाम आए हैं। गैरोला (1978) ने मनु, याज्ञवल्क्य, अत्रि, विष्णु, उशान, हरित, अंगिरा, यम, कात्यायन, बृहस्पति, पराशर, व्यास, दक्ष, गौतम, वशिष्ठ, नारद और भृगु को स्मृति के रचयिता के रूप में उल्लेख किया है। 18 प्रमुख स्मृतियों में निम्नवत स्मृतियां हैं – 

  • मनुस्मृति 
  • व्यास स्मृति 
  • लघु विष्णु स्मृति 
  • आपस्तम्ब स्मृति 
  • वशिष्ठ स्मृति 
  • पराशर स्मृति 
  • वृहत्पाराशर स्मृति 
  • अत्रि स्मृति 
  • लघुशंख स्मृति 
  • विश्वामित्र स्मृति
  • यम स्मृति
  • लघु स्मृति 
  • वृहद्यम स्मृति
  • लघुशतातप स्मृति
  • वृद्ध शातातप स्मृति 
  • शातातप स्मृति
  • वृद्ध गौतम स्मृति 
  • बृहस्पति स्मृति 
  • याज्ञवल्क्य स्मृति

इन स्मृतियों में मनुस्मृति अत्यंत ही लोकप्रिय हुई। इसका एक कारण यह था कि मनु को ही भारतीय सनातन परंपरा में प्रथम पुरुष और सतरूपा को प्रथम महिला माना जाता है। मनु ने श्रुति और स्मृति दोनों को समान महत्व दिया है। गौतम ने भी कहा है—”वेदो धर्ममूलं तद्धिदां च स्मृतिशीले” (अर्थात, वेद धर्म का मूल हैं, और वेदज्ञों की स्मृति तथा आचार भी धर्म का आधार हैं)। हरदत्त ने गौतम की व्याख्या करते हुए स्मृति को मनुस्मृति का पर्याय बताया है। स्मृति ग्रंथों की स्वीकृति समाज में इसलिए हुई क्योंकि इससे पूर्व जो परंपराएँ केवल मौखिक रूप में संरक्षित थीं, वे अब लिखित रूप में उपलब्ध हो गईं।

स्मृति की भाषा सरल थी, इसके नियम समयानुसार थे और नवीन परिस्थितियों का भी इसमें ध्यान रखा गया था। इसी कारण, ये अधिक जनग्राह्य बनी रहीं और समाज के अनुकूल रहीं। फिर भी, श्रुति की महत्ता स्मृति की अपेक्षा अधिक स्वीकार की गई है। है। गैरोला (1978) ने श्रुति और स्मृति को व्यापक रूप से समानार्थी शब्द बताया। हिंदू संस्कृति में श्रुति वेद, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद को संदर्भित करती है जबकि स्मृति षड्वेदांग, धर्मशास्त्र, इतिहास, पुराण, अर्थशास्त्रऔरनीतिशास्त्रको।

स्मृति ग्रंथों के चार प्रमुख भाग माने गए हैं—पहला आचरण, दूसरा व्यवहार, तीसरा प्रायश्चित और चौथा कर्म। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र चार वर्ण हैं, तथा ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास चार आश्रम, जिनकी विस्तृत व्यवस्था और विश्लेषण स्मृति में किया गया है।

कालांतर में श्रुति और स्मृति के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए बृहस्पति ने कहा कि श्रुति और स्मृति मनुष्य के दो नेत्रों के समान हैं—यदि केवल एक को ही महत्व दिया जाए, तो मनुष्य काना हो जाएगा। अत्रि ने तो यहाँ तक कहा कि यदि कोई व्यक्ति वेदों में पूर्ण रूप से पारंगत हो, लेकिन स्मृति को तिरस्कार की दृष्टि से देखे, तो उसे इक्कीस बार पशु योनि में जन्म लेना पड़ेगा। बृहस्पति और अत्रि के इन कथनों से स्पष्ट होता है कि कालांतर में स्मृति को भी वेदों के समान महत्त्व दिया जाने लगा। परंतु श्रुति और स्मृति में अंतर आज भी व्याप्त है। श्रुति में परिवर्तन नहीं होता क्योंकि वे आप्त वचन माने जाते हैं पर स्मृति सामाजिक नियम संहिता होने से समय समय पर बदलाव की अपेक्षा रखती हैं।  यही सनातन व्यवस्था की प्रगतिशीलता भी है।

समकालीन समाज राजनीतिक और सामाजिक संदर्भों में ‘मनुवाद‘ शब्द का उपयोग करता है। हालाँकि, यह चकित करने वाला है कि इस शब्द को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है और न ही कहीं इसके अर्थ पर चर्चा की गई है। अंग्रेज़ी आलोचकों से लेकर तथाकथित ‘मनुविरोधी‘ राजनीतिज्ञों और भारतीय लेखकों तक, अनेक लोगों ने मनुस्मृति का जो चित्र प्रस्तुत किया है, वह भयावह, विकृत, एकतरफा और पूर्वाग्रह से ग्रसित है। हालाँकि, यह चित्र वास्तविकता से कोसों दूर है। संसार में किसी भी धर्मग्रंथ के दो पक्ष देखे जा सकते हैं—श्रेष्ठ और सामान्य अथवा उच्च और निम्न। दुर्भाग्यवश, मनुस्मृति की आलोचना करने वाले विद्वानों ने इसके सकारात्मक पक्ष की पूरी तरह उपेक्षा की है और केवल नकारात्मक पहलुओं को ही उजागर करने का प्रयास किया है। इसका उद्देश्य सनातन हिंदू समाज को पिछड़ा और दमनकारी साबित करना रहा है। इसी एकतरफा दृष्टिकोण के कारण देश और विदेश में सनातन धर्म के प्रति अनेक भ्रांतियाँ उत्पन्न हुई हैं, जिससे न केवल इसकी सही समझ बाधित हुई है, बल्कि इसके मूल स्वरूप का ह्रास भी हुआ है।

मनुस्मृति की आलोचना करना तो सभी जानते हैं, लेकिन इसके वास्तविक संदेश और सकारात्मक पहलुओं पर बहुत कम लोग ध्यान देते हैं। यह ग्रंथ न केवल व्यक्ति की आत्मशुद्धि से लेकर संपूर्ण समाज व्यवस्था तक के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है, बल्कि कई ऐसी उच्च विचारधाराएँ प्रस्तुत करता है जो आज भी प्रासंगिक हैं। जाति और वर्ण की व्यवस्था को जन्म के आधार पर मानने की अवधारणा पर सबसे पहली चोट स्वयं मनुस्मृति ने की है। इसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य और उपलब्ध होनी चाहिए तथा कोई भी व्यक्ति ज्ञान अर्जन कर सकता है।

यही नहीं, स्त्रियों के सम्मान, उनकी पूजा, उन्हें प्रसन्न रखने और संपत्ति में विशेष अधिकार देने जैसी बातें भी मनुस्मृति में निहित हैं। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य, जिसे अक्सर अनदेखा किया जाता है, वह यह है कि मनुस्मृति में वर्ण व्यवस्था पूरी तरह कर्म, गुण और योग्यता पर आधारित बताई गई है, न कि जन्म पर। इसमें केवल कर्म–आधारित वर्ण व्यवस्था का उल्लेख मिलता है, जबकि किसी जाति या गोत्र का कठोर निर्धारण नहीं किया गया है। यदि इसे सही परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो यह ग्रंथ एक समतामूलक समाज की स्थापना की दिशा में भी मार्गदर्शन देता है।

शूद्रो ब्राह्मणतामेति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम्।
क्षत्रियाज जातमेवं तु विद्याद् वैश्यात् तथैव च ॥ 65 ॥

– शूद्र ब्राह्मण बन सकता है और ब्राह्मण शूद्र बन सकता है। यही बात क्षत्रिय या वैश्य के सम्बन्ध में भी समझनी चाहिए।

मनुस्मृति से संबन्धित एक पक्ष यह है कि जैसे ईसाइयों के लिए बाइबल और मुसलमानों के लिए क़ुरान है, वैसे ही हिंदुओं के लिए मनुस्मृति का अक्षरशः पालन करना कोई अनिवार्यता नहीं है। इसका वर्णन पहले भी किया जा चुका है कि स्मृति आगम ग्रंथ हैं जिनकी प्रासंगिकता इसी में है कि इनके सिद्धांतों को कालखंड के अनुसार व्याख्यायित किया जाए और नवीन संदर्भ निकाले जाएँ। कुछ ऐसी भी मान्यताएँ होंगी जो अब के समाज के लिए अप्रासंगिक हो चुकी होंगी, उन्हें अब स्वीकार किया जाना भी कोई बाध्यता नहीं है। 

गंभीरता से देखें तो मनुस्मृति का विरोध वही लोग कर रहे हैं, जिन्होंने इसे कभी पढ़ा तक नहीं, इसकी प्रति तक नहीं देखी। ऐसे लोग केवल पूर्वाग्रहों और सुनी–सुनाई बातों के आधार पर इसे जलाने या अपमानित करने का प्रयास करते हैं, मानो ऐसा करके वे स्वयं को अधिक सभ्य सिद्ध कर रहे हों। वास्तविक सभ्यता और तार्किक दृष्टिकोण तो यह होगा कि पहले किसी ग्रंथ को समझा जाए, उसके तात्पर्य को जाना जाए, फिर उस पर कोई निष्कर्ष निकाला जाए। केवल अज्ञान और पूर्वाग्रह के आधार पर किसी शास्त्र की निंदा करना, न तो बौद्धिकता को दर्शाता है और न ही सच्ची प्रगति को। मनु स्मृति की स्वयं की सार्थकता भी इसी में है कि उसके उन सिद्धांतो को ही स्वीकार किया जाए जो वर्तमान सामाजिक मूल्यों के अनुरूप हैं।

कबीर दास जी का प्रसिद्ध दोहा है –

साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय,
सार–सार को गहि रहे, थोथा देई उड़ाय।

इस संसार में ऐसे सज्जनों की आवश्यकता है, जो अनाज साफ़ करने वाले सूप के समान हों—जो सारगर्भित बातों को सहेज लें और निरर्थक बातों को दूर कर दें। मनुस्मृति का विरोध करने वालों को किसने रोका है कि वे उसमें से जो अधम विचार उन्हें प्रतीत होते हैं, उन्हें त्याग दें, और जो उत्तम विचार हैं, उन्हें स्वीकार करें? सही दृष्टिकोण यही होगा कि हम श्रेष्ठ विचारों को अपनाएँ, उन्हें अपने जीवन में उतारें और एक सुंदर समाज के निर्माण में योगदान दें। अंधविरोध की बजाय विवेकपूर्ण चयन ही प्रगति का मार्ग है।

स्रोत: हिंदू धर्म, मनुस्मृति, वर्ण व्यवस्था, हिंदू संस्कृति, Hinduism, Manusmriti, Varna system, Hindu culture,
Tags: Hindu cultureHinduismManusmritiVarna systemमनुस्मृतिवर्ण व्यवस्थाहिंदू धर्महिंदू संस्कृति
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

RSS नेता भैयाजी जोशी ने मराठी विवाद पर दी सफाई, बोले- ‘लोगों को गलतफहमी हुई, मुझे मराठी पर गर्व है’

अगली पोस्ट

‘जुमा साल में 52 बार, लेकिन होली एक बार’: संभल CO अनुज चौधरी बोले-जिन्हें रंग से दिक्कत वे घर से न निकलें

संबंधित पोस्ट

मनुस्मृति: कैसा होना चाहिए एक आदर्श राजा और क्या हैं राज्य के सात अंग?
धर्म

मनुस्मृति: कैसा होना चाहिए एक आदर्श राजा और क्या हैं राज्य के सात अंग?

2 May 2025

मनुस्मृति के सातवें अध्याय में राजधर्म, अर्थात् राज्य संचालन से जुड़े अनेक पहलुओं का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। धर्मशास्त्रों में राजधर्म की अवधारणा को...

Manu's Code Of Law
ज्ञान

बृहस्पति स्मृति और मनु स्मृति से भारतीय संविधान तक: न्याय में परंपरा और आधुनिकता का कैसा रहा है संगम?

29 April 2025

मनु ने न्याय और समानता (justice and equity) की अवधारणाओं पर विशेष बल दिया। उनका मानना था कि जो भी व्यक्ति न्याय का उल्लंघन करता...

स्त्रियों के महत्त्व, अधिकार, सुरक्षा और विवाह को लेकर क्या कहती है मनुस्मृति?
धर्म

स्त्रियों के महत्त्व, अधिकार, सुरक्षा और विवाह को लेकर क्या कहती है मनुस्मृति?

15 April 2025

पिछले लेख में हम लोगों ने देखा कि वर्तमान में महिलाओं को लेकर किस प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं। अब क्रमश: मनुस्मृति में महिलाओं को...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Pakistan needs money from IMF to feed their people

Pakistan needs money from IMF to feed their people

00:15:20

Vacate PoK and more: Steps Pakistan needs to take to avoid Indian military action

00:06:36

Taking The Wire’s Propaganda Piece on VP to the Cleaners – Feat. Prof. Kapil Kumar

00:09:19

Rahul Gandhi Undermines India’s Electoral Integrity as Trump Applauds It

00:07:09

Why Pakistan army chief reminds two nation theory| what is the plan| Waqf Bill |Asim Munir| Jinnah

00:13:02
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited