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बंगाल का JNU कहे जाने वाले जादवपुर यूनिवर्सिटी में की गई आजाद कश्मीर और फ्री फिलिस्तीन की पेंटिंग; वामपंथी छात्र संगठन PDSF के खिलाफ दर्ज हुई FIR

जानें क्या है पूरा मामला

himanshumishra द्वारा himanshumishra
11 March 2025
in क्राइम
कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी में दिखे देश विरोधी नारे

कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी में दिखे देश विरोधी नारे (Image Source: Abp live)

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देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में से एक, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), 9 फरवरी 2016 को देशविरोधी नारेबाजी के कारण सुर्खियों में आ गया था। इस दिन, विश्वविद्यालय परिसर में अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की फांसी के विरोध में “सांस्कृतिक संध्या” के नाम पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें खुलेआम भारत विरोधी नारे लगाए गए। इस शर्मनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया और राष्ट्रवादियों के आक्रोश को भड़का दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए, दिल्ली पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए वसंत कुंज नॉर्थ थाने में प्राथमिकी दर्ज कर कन्हैया कुमार, सैयद उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया। हालांकि, बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने इन्हें सशर्त जमानत दे दी।

JNU में हुए इस देशविरोधी घटनाक्रम के बाद, पूर्वी दिल्ली के तत्कालीन सांसद महेश गिरी ने पुलिस को लिखित शिकायत दी, जिसके आधार पर 11 फरवरी 2016 की शाम को देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया। इसके महज एक दिन बाद, 12 फरवरी को कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन, चौंकाने वाली बात यह रही कि यही कन्हैया कुमार, जो कभी देशद्रोह के आरोपी थे, बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस ने उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया, लेकिन जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया। भाजपा के मनोज तिवारी ने उन्हें 1,37,066 मतों के विशाल अंतर से करारी शिकस्त दी।

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JNU में वामपंथी ताकतों द्वारा किए गए इस राष्ट्रविरोधी षड्यंत्र का असर आने वाले वर्षों में और अधिक गहराता चला गया। पिछले नौ वर्षों में लेफ्टिस्ट विचारधारा ने देशभर में कई शिक्षण संस्थानों को अपनी विचारधारा के रंग में रंगने का प्रयास किया। इसका ताजा उदाहरण है पश्चिम बंगाल का “JNU” कहे जाने वाला जादवपुर विश्वविद्यालय। 1 मार्च 2025 को पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु जब जादवपुर विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में पहुंचे, तो वहां वामपंथी विचारधारा से प्रभावित लोगों ने उन्हें रोक लिया और उनकी गाड़ी पर हमला कर दिया। इससे भी अधिक चिंताजनक यह है कि अब इस विश्वविद्यालय में देशविरोधी पेंटिंग का मामला भी सामने आया है।

जादवपुर यूनिवर्सिटी में आजाद कश्मीर, फ्री फिलिस्तीन की पेंटिंग

पश्चिम बंगाल की जादवपुर यूनिवर्सिटी एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार भी वजह वही पुरानी—देशविरोधी गतिविधियां। यूनिवर्सिटी कैंपस में ‘आजाद कश्मीर’ और ‘फ्री फिलिस्तीन’ जैसे विवादित नारे लिखे गए, जिससे माहौल गरमा गया। बताया जा रहा है कि जादवपुर यूनिवर्सिटी के गेट नंबर 3 के पास की दीवार पर इन नारों के साथ एक पेंटिंग भी बनाई गई। इसमें एक हाथ में फूल पकड़ा हुआ दिखाया गया है, लेकिन उसी हाथ को कांटेदार तार से जकड़ा गया है। यह प्रतीकात्मक चित्रण उस विचारधारा को दर्शाता है, जो हमेशा भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाने का प्रयास करती रही है। यह कोई पहली बार नहीं है जब इस संस्थान में इस तरह की गतिविधियां सामने आई हैं। पहले भी इस यूनिवर्सिटी को लेफ्ट विंग विचारधारा के गढ़ के रूप में देखा जाता रहा है, जहां राष्ट्रविरोधी नैरेटिव को खुलेआम बढ़ावा दिया जाता है।

पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 61 (ii) (आपराधिक साजिश) और धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य) के तहत केस दर्ज किया है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह सिर्फ एक अलग-थलग घटना है, या फिर यह किसी बड़े वामपंथी एजेंडे का हिस्सा है? पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जब तृणमूल कांग्रेस से जुड़े एक प्रोफेसर और कुछ पुलिस अधिकारी जांच के लिए विश्वविद्यालय पहुंचे, तो वहां मौजूद कुछ छात्रों और फैकल्टी ने विरोध जताया। यह वही पैटर्न है, जो JNU और अन्य वामपंथी विचारधारा से प्रभावित विश्वविद्यालयों में भी देखा गया है—जहां देशविरोधी घटनाओं पर कोई आत्ममंथन नहीं होता, लेकिन कानून लागू करने वाली एजेंसियों के खिलाफ जबरदस्त रोष दिखाया जाता है।

ऐसे में जहां एक ओर JNU से लेकर जादवपुर यूनिवर्सिटी तक, वामपंथी विचारधारा लगातार अपने नैरेटिव को फैलाने में लगी हुई है। इन विश्वविद्यालयों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है, जो सीधे-सीधे देश की अखंडता और संप्रभुता पर प्रहार करती हैं। वहां अब सवाल यह है कि क्या जादवपुर यूनिवर्सिटी भी “बंगाल का JNU” बनती जा रही है? क्या इन शिक्षण संस्थानों में अब ज्ञान और शोध से ज्यादा राजनीतिक प्रोपेगेंडा को बढ़ावा दिया जा रहा है? और सबसे अहम बात—क्या ऐसे कैंपस अब भारत-विरोधी विचारधारा के अड्डे बन चुके हैं?

छात्र संघ चुनाव की मांग 

जादवपुर यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनावों की बहाली को लेकर लंबे समय से मांग उठ रही है। इसी मुद्दे को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान यह विवादास्पद घटना घटी। सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ छात्र राजनीति का हिस्सा था, या फिर इसके पीछे एक सोची-समझी रणनीति काम कर रही थी?

इससे पहले, 1 मार्च 2025 को, पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु जब विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे, तो उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने न केवल उनके खिलाफ नारेबाजी की, बल्कि उनकी गाड़ी को भी घेरकर निशाना बनाया गया। यह घटना दर्शाती है कि जादवपुर यूनिवर्सिटी में छात्र राजनीति अब सिर्फ चुनावी प्रक्रिया की मांग तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह एक बड़े वैचारिक संघर्ष का अखाड़ा बन चुकी है।

एक ओर जहां छात्र चुनावों को लेकर आवाज़ उठाना लोकतांत्रिक अधिकार है, वहीं दूसरी ओर देशविरोधी नारेबाजी और पेंटिंग के जरिए इसे एक अलग दिशा में मोड़ने की कोशिश की जा रही है। यह पहली बार नहीं है जब इस यूनिवर्सिटी में इस तरह की गतिविधियां देखी गई हैं। इससे पहले भी वामपंथी छात्र संगठनों द्वारा JNU की तर्ज पर राष्ट्रविरोधी नैरेटिव गढ़ने की कोशिशें होती रही हैं। यह घटनाएं केवल अस्थायी विवाद नहीं हैं, बल्कि एक बड़े वैचारिक संघर्ष का संकेत देती हैं। सवाल यह है कि क्या जादवपुर यूनिवर्सिटी भी JNU की राह पर चल रही है, जहां छात्र राजनीति के नाम पर राष्ट्रविरोधी विचारधारा को खुला समर्थन मिलता है?

अब वक्त आ गया है कि सरकार और प्रशासन ऐसी गतिविधियों पर सख्त कदम उठाए, ताकि शिक्षण संस्थान अपनी मूल पहचान—ज्ञान, शोध और राष्ट्र निर्माण—पर केंद्रित रह सकें, न कि वैचारिक कट्टरता और राजनीतिक प्रचार के अड्डे बन जाएं।

स्रोत: जादवपुर यूनिवर्सिटी, जादवपुर यूनिवर्सिटी कोलकाता, कोलकाता न्यूज़, बंगाल न्यूज़, आजाद कश्मीर, आजाद फिलिस्तीन, जेएनयू, Jadavpur University, Jadavpur University Kolkata, Kolkata News, Bengal News, Azad Kashmir, Azad Palestine, JNU
Tags: Azad KashmirAzad PalestineBengal NewsJadavpur UniversityJadavpur University KolkataJNUKolkata Newsआजाद कश्मीरआजाद फिलिस्तीनकोलकाता न्यूजजादवपुर यूनिवर्सिटीजादवपुर यूनिवर्सिटी कोलकाताजेएनयूबंगाल न्यूज़
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