दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में पुलिस ने एक पाकिस्तानी नागरिक को गिरफ्तार किया है, जिस पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े होने का शक है। यह देश में पहली बार है जब किसी व्यक्ति को संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन से संबंध रखने के आरोप में पकड़ा गया है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आरोपी दिसंबर 2023 से सियोल में रह रहा था और एक बाजार में क्लर्क की नौकरी कर रहा था। उसने सितंबर 2023 में पाकिस्तान में स्थित कोरियाई दूतावास से व्यापार वीजा हासिल किया था। जांच अधिकारियों का मानना है कि उसने कोरिया में व्यापार शुरू करने की झूठी जानकारी देकर वीजा लिया और इस तरह देश में वैध रूप से दाखिल हुआ।
धन के लेन-देन और नेटवर्क की जांच
जांच चल रही है कि क्या आरोपी ने लश्कर-ए-तैयबा के लिए किसी तरह की फंडिंग या पैसों के लेन-देन में मदद की है। खासतौर से इस बात की जांच हो रही है कि क्या दक्षिण कोरिया से या कोरिया के जरिए किसी आतंकी गतिविधि के लिए पैसा भेजा गया। पुलिस यह भी पता लगा रही है कि क्या उसका यहां कोई लोकल नेटवर्क या संपर्क था।
वैध वीजा सिस्टम का दुरुपयोग, सुरक्षा एजेंसियों में सतर्कता
इस मामले ने कोरियाई सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है। इससे साफ है कि दक्षिण एशिया के आतंकी संगठन अब दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी अपनी मौजूदगी बढ़ा रहे हैं। ये संगठन कानूनी इमिग्रेशन व्यवस्था का गलत इस्तेमाल कर व्यापार या आम नागरिक के बहाने छिपकर काम कर रहे हैं। यह उन देशों के लिए एक चेतावनी है जो अब तक आतंकवाद के खतरे से दूर समझे जाते थे।
लश्कर-ए-तैयबा: आतंकवाद का लंबा इतिहास
लश्कर-ए-तैयबा एक पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन है, जिसे मई 2005 में संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक रूप से आतंकवादी संगठन घोषित किया था। यह कई बड़े हमलों में शामिल रहा है, जिनमें 2008 का मुंबई हमला सबसे बड़ा था, जिसमें 170 से अधिक लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। इस संगठन ने अल-कायदा जैसे अन्य आतंकी समूहों को भी समर्थन दिया है। इसके प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हैं और वह निगरानी में है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल रहे आतंक के जाल की चेतावनी
यह गिरफ्तारी दिखाती है कि अब आतंकी संगठन सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। वे नए देशों में अपने ठिकाने बना रहे हैं और कानूनी रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह जांच आने वाले समय में यह समझने में मदद कर सकती है कि ये संगठन किस तरह वैश्विक स्तर पर अपने पाँव पसार रहे हैं।