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साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने अवार्ड वापसी अभियान की खोली पोल

विपक्ष का एकमात्र एजेंडा मोदी को हटाना है और सत्ता पाना है, देश हित के बारे में बाद में जीत के बाद सोचेंगे। इसके लिए राजनीतिक षड्यंत्र बनाये जा रहे हैं उनपर अमल किया जा रहा है। राजनीतिक पार्टियां ...

नाम जपो, कीरत करो, वंड छको… समाज सुधार के लिए गुरु नानक ने किए कई कार्य, दिल्ली से काबा तक उनकी कहानियाँ

ऋषि-मुनियों एवं संतों की पवित्र भूमि भारत में ज्ञान की वैविध्य सभ्यता अत्यंत प्राचीन है। इस सभ्यता का विकास विविध कालखण्डों में इसी धरा पर जन्मे संतों, भक्तों आदि ने किया है। भारत की सभ्यता, संस्कृति का अध्ययन करने ...

वो राजा जिसने अरब के खलीफा को ही बंदी बना कर रखा, भील समाज मानता था अभिभावक: इस्लामी आक्रांताओं की तोड़ी रीढ़

भारत के महान सपूत एवं पराक्रमी योद्धा बप्पा रावल उर्फ कालभोज, जिन्हें कलियुग का भीष्म पितामह कहा जाता है, उन्होंने अपनी वृद्धावस्था में मेवाड़ की बागडोर अपने बेटे खुमाण को सौंप दी और स्वयं वन की ओर प्रस्थान कर ...

बिस्नु जू के पग तें निकसि संभु सीस बसि… माँ गंगा और गणेश के आराधक सैयद गुलाम नबी, सनातन परंपराओं से था स्नेह

मध्यकाल में जो हिंदी साहित्य हमें प्राप्त होता है उसे समृद्ध करने में तत्कालीन रचनाकारों का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है। मध्यकाल के रचनाकारों ने जो साहित्य रचा, उस साहित्य की समृद्धि के कारण ही इसे स्वर्ण युग कहा गया। ...

सेर सिवराज है… वो महाकवि जिन्होंने ठुकराया औरंगजेब का प्रस्ताव, भूषण ने अपनी रचनाओं से छत्रसाल और छत्रपति को कर दिया अमर

मध्यकाल के उत्तरार्द्ध में जहाँ एक ओर निरंकुश केंद्रीय मुगल सत्ता अपनी कुनीतियों से छोटे-बड़े देशी रजवाड़ों को विवश कर भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीयता का भाव और हमारे अतीत के प्रति गौरव के भाव का ह्रास कर रही थी, जब ...

गर्व से कहो हम हिन्दू हैं… सनातन के पुनर्जागरण के रथी लालकृष्ण आडवाणी, जब गाँव-गाँव में जुटती भीड़ ने हिला दिया था दिल्ली दरबार

'यात्रा' का शाब्दिक अर्थ एक स्थान से दूसरे स्थल तक जाना भर होता तो पर्यटन के पर्यायवाची में ये प्रयुक्त होता, लेकिन यात्रा में पर्यटन वाली सुविधाएँ नहीं होतीं। इसके अलावा यात्रा के उपरांत यात्री बदल जायेगा, ऐसा भी ...

शीर्ष देश अपनी मातृभाषा में ही कर रहे सारा काम, समझिए शिक्षा और अनुसंधान में क्यों ज़रूरी है अपनी भाषा

शिक्षा स्वयं में एक क्रिया भी है तथा संस्था भी। अपने व्युत्पत्तिमूलक अर्थ में यह संस्कृत की 'शिक्ष्' धातु में 'अ' प्रत्यय लगाने से बनती है जिसका अर्थ है, सीखना और सिखाना। इस प्रकार शिक्षा सीखने और सिखाने की ...

अंधे थे, लेकिन नेत्र ईश्वर को देखते थे… कुएँ में गिरे तो श्रीकृष्ण ने दिया दर्शन, ठुकरा दिया था अकबर का प्रस्ताव

मध्यकाल के पूर्वार्द्ध, अर्थात भक्तिकाल में जब कृष्ण भक्त कवियों की चर्चा की जाती है तो सूरदास का नाम सबसे पहले आता है। 1478 ईस्वी में मथुरा के रुनकता नामक ग्राम में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे सूरदास का ...

जय बोलो किशन कन्हैया की… 12 बच्चों की मौत के बाद जन्मे ‘वली मुहम्मद’, हिन्दू त्योहारों के मुरीद थे ‘नज़्म के जनक’

1739 ई. में जब दिल्ली पर नादिरशाह का हमला हुआ, उसी के आस-पास दिल्ली में एक ऐसे शख्स का जन्म हुआ, जो आगे चलकर एक बेहद शानदार शायर के रूप में उभरा। आज भी तीज-त्योहारों पर उस शायर की ...

कष्ट में बीता बचपन, जवानी में पत्नी से फटकार और रहीम से मित्रता: कुछ ऐसे रामबोला से बन गए गोस्वामी तुलसीदास

कहा जाता है कि कलम की ताकत से व्यक्ति यदि चाहे तो बहुत कुछ हासिल कर सकता है। हमारे सामने अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने वर्षों पहले अपनी लेखनी चलाई और उनकी रचनाओं के माध्यम से आज भी वे ...

जिनसे शेरशाह सूरी ने भी माँगी माफ़ी: कहानी ‘पद्मावत’ की रचना करने वाले मलिक मुहम्मद जायसी की

भारत के इतिहास में मध्यकाल का कालखंड एक सांस्कृतिक संक्रमण के दौर से गुजर रहा था। जहाँ एक ओर मुगलों द्वारा हिन्दू मंदिरों, इमारतों इत्यादि को तोड़कर भारतीय संस्कृति को जबरन नष्ट किया जा रहा था, तो इसी कालखंड ...

जब औरंगज़ेब ने कृष्णभक्ति के कारण अपनी ही बेटी को दी उम्रकैद, जानिए कैसा था ‘फ़ारसी की मीरा’ का जीवन

15 फरवरी, 1638 में मुगल शासक औरंगज़ेब और उनकी बेगम दिलरस बानो के आँगन में उनकी पहली संतान के रूप में एक बेटी ने जन्म लिया। मुगल बादशाह के घर में जन्मी इस बेटी का नाम जेबुन्निसा रखा गया। ...

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