भारत में विदेशी अक्राताओं ने कई हमले किये और इसका शिकार अधिकतर हिंदू हुए हैं। समय के साथ ये हमले बढ़ते गये और सनातन धर्म को खत्म करने के कई प्रयास किये गये परन्तु इस धर्म को जड़ से मिटाने में ये आज तक सफल नहीं हो पाए हैं। जम्मू-कश्मीर इसका प्रमुख उदाहरण है। आजादी के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में लगातार हिंदू इस तरह के हमलों से जूझते रहे हैं, यहां तक कि इस राज्य के अन्य धर्म के लोगों ने भी इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी। पहले अपने फायदे के लिए शेख अब्दुल्ला ने कश्मीर में इस्लाम को बढ़ावा दिया और मंदिरों को विध्वंस करवाया।
इस बात की जानकारी राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के पूर्व डीजी वेद मरवाह ने अपनी पुस्तक “इंडिया इन टरर्मोइल” में भी वर्णन किया है कि शेख अब्दुल्ला मुख्यमंत्री रहते हुए इस्लाम को शह देने के लिए लगभग हजारों मंदिरों को तोड़वाया था। इस कट्टरवादिता का ही परिणाम था कि वर्ष 1989 में कश्मीरी पंडितों पर असहनीय हमले हुए और घाटी से हिंदुओं का नामों निशान मिटाने की कोशिश की गयी थी। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दशकों के दौरान जम्मू-कश्मीर में लगभग 208 मंदिरों को तोड़ा गया। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि घाटी में मंदिर की भूमि का कोई अवैध अतिक्रमण नहीं किया गया है। घाटी में 436 मंदिरों के अधीन लगभग 63 हेक्टेयर जमीन थी। कश्मीरी पंडितों को घाटी से निकालने के बाद खाली घरों के बारे में सरकार ने बताया था कि श्रीनगर जिले में 1,234 घरों में से लगभग 75% खाक हो चुके हैं। दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में 754 घरों में से लगभग 85% क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
हालांकि यह आंकड़े सिर्फ सरकारी हैं और जमीनी स्तर पर कुछ और ही तांडव किया गया था। कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) के संजय टिकू ने इन आंकड़ों पर प्रश्न खड़ा किया और दावा किया कि, “लगभग 550 मंदिर क्षतिग्रस्त किए गए थे और 50,000 कनाल में फैले घरों का अतिक्रमण किया गया था।” यह सब उग्रवादियों की बर्बरतापूर्ण हमले के कारण ही हुआ था। ये आंकड़े किसी को भी परेशान कर सकते हैं। उस समय न केवल कश्मीरी पंडितों को घर से बाहर निकाला गया था बल्कि आतंकवादियों ने हिन्दू धर्म के सभी प्रतीकों जैसे मंदिर और पूजनीय स्थानों को भी मिट्टी में मिला दिया था। इन हमलों का उद्देश्य हिंदू धर्म की विरासतों को जड़ से मिटाने के लिए ही था जो हमारे देश की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति के खिलाफ था।
अब जब अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया है, और जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए कवायदें तेज़ हो चुकी हैं, इससे एक बार फिर से घाटी में लगभग समाप्त हो चुकी हिंदू सभ्यता अस्तित्व में आएगी और इस्लामिक आतंकवाद का अंत होगा।
गृहमंत्री अमित शाह इसे सुनिश्चित करने के लिए पहले से ही कदम उठा रहे हैं। Zee News की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमित शाह गृह मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ राज्य में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए एक “प्रभावी नीति” तैयार कर रहे हैं। विश्वसनीय स्रोतों के माध्यम से सामने आया है कि अमित शाह एक महीने पहले इस संबंध में गृह मंत्रालय के कश्मीर डिवीजन के प्रमुख अधिकारियों के साथ कई बैठकें की थीं।
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार घाटी में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए सुरक्षित आवासीय क्षेत्र बनाने की योजना बना रही है। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 19 जुलाई को संकेत दिया था कि केंद्र की मोदी सरकार कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की ठोस योजना तैयार कर रही है। उन्होंने यह भी उम्मीद लगाई थी कि अगर चीजें योजना के अनुसार चलती हैं, तो नीति को जल्द ही घोषित किया जाएगा।
इस प्रकार, अब कश्मीरी पंडित अपने घर लौटेंगे जिसके बाद फिर से घाटी में सनातन धर्म पुनर्जीवित होगा और टूटे मंदिरों की जगह नए मंदिर बनाए जाएंगे और खंडित मूर्तियों की जगह प्राण-प्रतिष्ठित मूर्तियां स्थापित की जाएगीं।