एक ओर जहां दुनिया भर के वैज्ञानिक COVID 19 का रामबाण इलाज ढूंढने में लगे हुए हैं, तो वहीं अमेरिका में एक ऐसी घटना हुई है, जिससे COVID 19 को दुनिया भर में फैलाने के पीछे चीन की भूमिका के अब और भी ज़्यादा पुख्ता होने का अंदेशा है। पेंसिल्वेनिया में हत्या का एक संदिग्ध केस सामने आया है, जिससे वुहान वायरस के पीछे China की भूमिका पर अब और बड़े सवाल उठ सकते हैं.
पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में एक रिसर्चर के रूप में काम कर रहे असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ बिंग लियू को कुछ दिनों पहले गोलियों से भून दिया गया था। रोचक बात तो यह है कि हत्यारा भी एक चीनी व्यक्ति था, जिसका नाम था हाओ गू, जिसने डॉ लियू को मारने के बाद गाड़ी में आत्महत्या कर ली.
परन्तु डॉ लियू की हत्या से China पर सवाल क्यों? ऐसा इसलिए कि डॉ लियू COVID 19 पर गहन अनुसंधान कर रहे थे। सूत्रों की माने, तो से इस वायरस के फैलने के पीछे के मूल कारण के बहुत करीब पहुंच चुके थे.
यूं तो पुलिस ने हत्या के पीछे उनके वर्तमान प्रोफेशन से कोई संबंध होने से साफ इंकार किया है, परन्तु उन्होंने इसके लिए भी कोई ठोस कारण नहीं दिए हैं, कि उनकी हत्या उनके COVID 19 पर शोध के कारण नहीं हुई थी। स्थानीय पुलिस की दलीलें भी लोगों को नहीं पच रही है।
ऐसे में अब ये प्रश्न उठने शुरू हो गए हैं कि कहीं China ने सच्चाई बाहर आने के डर से इस रिसर्चर की हत्या तो नहीं करवा दी। ऐसा संभव भी है, क्योंकि चीन ने हर उस व्यक्ति की आवाज दबाने का प्रयास किया है, जिसने विश्व को वुहान वायरस की भयावहता से अवगत कराने का प्रयास किया हो।
डॉ ली वेनलियांग का नाम याद है? ये चीन के उन चंद डॉक्टर्स में से एक थे, जिन्होंने China सहित पूरे विश्व को वुहान वायरस की भयावहता के बारे में सचेत करने का प्रयास किया था। पर उल्टे चीन की दमनकारी कम्युनिस्ट पार्टी ने उन्हें इतना सताया कि अन्त में वे उसी बीमारी से ग्रस्त होकर परलोक सिधार गए।
अब यदि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अमेरिका के एक रिसर्चर की हत्या करवाई है, तो वैश्विक ताकतों को अविलंब चीन के विरुद्ध मोर्चा खोल लेना चाहिएं। हो सकता है कि यह सब बस मिथ्या हो, परन्तु चीन के वर्तमान स्वभाव को देखते हुए ऐसा तो बिल्कुल नहीं लगता। दुनियाभर के बड़े बड़े मीडिया हाउस और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को China मानो खरीदने में लगा हुआ है, और WHO से बढ़िया उदाहरण कहीं और मिल सकता है क्या?
TFIPOST ने अभी हाल ही में बताया था कि कैसे विश्व के सबसे ताकतवर देशों में शुमार अमेरिका, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड चीन के विरुद्ध कमर का चुके हैं, और उसके विरुद्ध मोर्चा निकालने को भी तैयार है। 15 पेज के लीक हुए डॉसियर में इन 5 देशों ने China की चुप्पी को अंतरराष्ट्रीय पारदर्शिता पर हमला माना है.
सच कहें तो अगर चीनी रिसर्चर की हत्या में चीन की भूमिका सामने आती है, तो इससे एक बात तो स्पष्ट है – China की वर्तमान सत्ता अपना मानसिक संतुलन खो चुकी है। पर अकड़ में एडोल्फ हिटलर की नाजी सत्ता और USSR की कम्युनिस्ट सत्ता नहीं टिक पाई, तो आखिर चीन की सत्ता किस खेत की मूली ठहरी?