आपको वह वीडियो याद है, जहां UN में पाकिस्तान द्वारा CAA एवं कश्मीर के मुद्दे पर घेरे जाने के प्रयास में एक भारतीय कूटनीतिज्ञ ने न केवल पाकिस्तानी सरकार को पटक-पटक के धोया, बल्कि इमरान खान को उनके असली नाम इमरान खान नियाजी से संबोधित किया? अब उन्हीं भारतीय कूटनीतिज्ञ को संयुक्त राष्ट्र में एक अहम पद पर चुना गया है।
संयुक्त राष्ट्र में एक महत्वपूर्ण जीत प्राप्त करते हुए भारतीय राजनयिक विदिशा मैत्रा को जनरल असेंबली के सहायक अंग प्रशासनिक और बजटीय प्रश्न (एसीएबीक्यू) पर संयुक्त राष्ट्र सलाहकार समिति के लिए चुना गया है। मैत्रा ने 126 वोट हासिल किए, जबकि उनके प्रतिद्वंदी को मात्र 64 वोट मिले। इस समिति के सदस्यों की नियुक्ति 193 सदस्यीय महासभा सलाहकार समिति द्वारा की जाती है। इस खबर के बारे में यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति की तरफ से ट्विटर पर एक वीडियो क्लिप पोस्ट कर विदिशा की नियुक्ति के बारे में जानकारी दी गई ।
परंतु ये विदिशा मैत्रा है कौन, और इनकी विजय इतनी अहम क्यों है? दरअसल, विदिशा मैत्रा वही कूटनीतिज्ञ है, जिन्होंने अनुच्छेद 370 के हटाए जाने पर इमरान खान द्वारा फैलाए जा रहे झूठ का पर्दाफाश किया था, और यह कहा था कि भारतीयों को किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा उनका प्रतिनिधित्व करने की कोई आवश्यकता नहीं है ।
विदिशा मैत्रा भारत की पहली राजनयिक थीं, जिन्होंने पिछली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का पूरा नाम लिया था। विदिशा ने राइट टू रिप्लाई के तहत इमरान खान का नाम इमरान खान नियाजी के तौर पर लिया। उन्होंने इमरान को याद दिलाया था कि उनके देश की असलियत क्या है। इमरान को इस तरह से संबोधित करने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत तमाम लोगों ने विदिशा की तारीफ की थी। लोगों की मानें तो यह एक बहुत बड़ा राजनयिक फैसला था, जो न सिर्फ विदिशा बल्कि भारत की भी एक सशक्त छवि को सामने लेकर आया है।
यह चुनाव भी काफी कड़ा माना जा रहा था, लेकिन मैत्रा ने भारत की कूटनीतिक ताकत के बूते 126 यूएन सदस्यों का समर्थन हासिल कर लिया। विदिशा जिस पोस्ट के लिए चुनी गई हैं, वह एशिया पैसेफिक ग्रुप में अकेला पद है। जिस समय भारत का इंडो पेसिफिक क्षेत्र में कूटनीतिक रूप से बढ़ रहा है, उस समय ये विजय किसी वरदान से कम नहीं है।
सन् 1946 में जब से इस कमेटी का गठन हुआ है, तब से ही भारत इसका सदस्य है। इस कमेटी को UN का सबसे प्रतिष्ठित कमेटी माना जाता है क्योंकि यह संगठन के वित्तीय और बजट से जुड़े मामलों को देखती है।
यह विजय ऐसे समय पर मिली है, जब भारत जनवरी 2021 से शुरू होने वाले दो साल के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गैर-स्थायी सदस्य चुना जा चुका है। सच कहें तो इस कूटनीतिक विजय से भारत ने एक बार फिर ये सिद्ध किया है कि यूएन में उसका कद घटाना कोई आसान काम नहीं है और देखा जाये तो आज UN में भारत किसी स्थाई सदस्य से कम शक्तिशाली भी नहीं है।