पश्चिम बंगाल में चल रहे विधान सभा चुनाव में एक बड़ी धांधली की खबर सामने आई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस के नेता गौतम घोष के घर से EVM और 4 VVPAT मशीन बरामद हुई हैं। यह मामला हावड़ा जिले के विधानसभा सीट नंबर 177 के सेक्टर 17 का है। यह खबर सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने सेक्टर अधिकारी तपन सरकार को निलंबित कर दिया है। साथ ही बरामद की गईं EVM और VVPAT मशीनों को चुनाव प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है।
आज पश्चिम बंगाल में तीसरे चरण का चुनाव प्रगति पर है। तीन जिलों हुगली, हावड़ा और दक्षिण 24 परगना की 31 सीटों पर मतदान हो रहा है। इस दौरान हावड़ा जिले के उलबेरिया क्षेत्र में TMC नेता गौतम घोष के घर से ग्रामीणों ने EVM और 4 VVPAT मशीनें बरामद की हैं। यह मामला सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने तत्कालीन प्रभाव से मामले का संज्ञान लेते हुए सेक्टर अधिकारी को निलंबित कर दिया। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने तृणमूल नेता के घर से बरामद हुईं EVM और VVPAT मशीनों को अपने कब्जे में ले लिया।
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तीसरे चरण के चुनाव से एक रात पहले यह खबर सामने आने से हड़कंप मच गया। समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, केन्द्रीय मंत्री और भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि “पश्चिम बंगाल में आज तीसरे चरण का चुनाव चल रहा है। TMC का चुनाव में धांधली करने एक और प्रयास सामने आया है। उलुबेरिया में बीती रात TMC नेता गौतम घोष के घर 4 VVPAT और EVM मशीन बरामद हुए हैं। इन मशीनों को चुनाव ड्यूटी में लगी कारों से लाया गया।”
उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि, “ यह अधिक गंभीर है, क्योंकि आज चुनाव है। चुनाव आयोग ने अधिकारी को निलंबित कर दिया है और बरामद की गई मशीनों को चुनाव प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है, लेकिन हमें डर है कि यह मामला जितना दिख रहा है, उससे बड़ा है। हम चुनाव आयोग से विस्तृत जांच की मांग करते हैं।”
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अगर हम पूरे मामले को विस्तार में देखें तो यह साफ हो जाएगा कि कैसे सेक्टर अधिकारी और TMC नेता की सांठ-गांठ है। सेक्टर अधिकारी तपन सरकार के अनुसार, तीसरे चरण के चुनाव से एक रात पहले (05 अप्रैल) को तपन के पास रिजर्व EVM और VVPAT मशीन थे। इसी रात को तपन सोने के लिए अपने रिश्तेदार के घर चले गये। तपन का यह रिश्तेदार कोई और नहीं तृणमूल कांग्रेस का नेता निकला।
बीते घटनाक्रम पर नज़र डालें तो यह स्पष्ट हो रहा है कि, तृणमूल कांग्रेस के आलाकमान ने अपने क्षेत्रीय नेताओं की मदद से विधान सभा चुनाव में धांधली कर रहे हैं। इस तरह की करतूतों के लिए क्षेत्रीय नेता का इस्तेमाल करना यह संकेत देता है कि, तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेता अब हार मान चुके हैं।
पहले और दूसरे चरण के चुनाव में जनता का भाजपा के प्रति झुकाव देख कर ममता बनर्जी को समझ आ गया है कि अगर अब कुछ हो सकता है तो सीधे तरीके से नहीं हो सकता। ‘अगर घी सीधी उंगली से न निकले तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है’। टीएमसी के नेता इसी कहावत को अपना रहे हैं और शायद इसी वजह से TMC के बड़े नेता इस तरह की करतूतों का सारा दामोदर अपने पार्टी के क्षेत्रीय नेता को सौंप रहे हैं, जिससे अगर कुछ गड़बड़ हो तो बड़े नेता मामले से खुद कोअलग कर सकें।