भारतीय शिक्षा प्रणाली की खराब स्थिति के बारे में लगभग 3 दशकों से सार्वजनिक चर्चा हो रही है। केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों ने समय-समय पर इस प्रणाली को पुनर्जीवित करने के लिए अपने संसाधनों और मानव प्रयासों को लगाया है। आज के समय में कोरोना के कारण जो सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, वह है एजुकेशन सेक्टर। कोरोना महामारी के फैलाव के बाद विद्यालयी शिक्षा को ऑनलाइन माध्यमों से संपन्न कराने का चलन तेजी से बढ़ा है। इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव सामने आ रहे हैं। एक ओर ऑनलाइन शिक्षा ने एजुकेशन सेक्टर को 9:00 से 5:00 के व्यवसाय से बदलकर 24×7 का व्यवसाय बना दिया है। ऑनलाइन शिक्षा ने शिक्षकों और विद्यार्थियों को यह सुविधा दे दी है कि वे अपनी सुविधानुसार अध्ययन व अध्यापन का कार्य कर सकते हैं। हालांकि कई निजी कंपनियाँ ऑनलाइन शिक्षा में अपना वर्चस्व बना चुकी हैं परंतु शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जहां सरकार को नियंत्रण रखना चाहिए जिससे देश में शिक्षा का अधिकार सभी को मिले। आज के समय को देखते हुए भारत को BYJU सरकारी Edtech पोर्टल जैसे की आवश्यकता है, जो शिक्षा प्रणाली को 24X7 मॉडल में बदल दे।
डिजिटल डिवाइड की समस्या
ऑनलाइन शिक्षा का एक बड़ा नकारात्मक परिणाम यह है कि इसने डिजिटल डिवाइड की समस्या को और अधिक बढ़ा दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में और शहरी पिछड़े एवं मध्यम वर्ग के पास इंटरनेट के उपयोग के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध नहीं होते हैं, इस कारण यह सभी लोग ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम के अंतर्गत चल रही शिक्षा में आर्थिक रूप से संपन्न वर्ग से पिछड़ सकते हैं। इसे ही डिजिटल डिवाइड की समस्या कहते हैं। पिछले डेढ़ वर्षो में ऑनलाइन शिक्षा ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को शैक्षणिक स्तर पर पीछे धकेल दिया है।
अतः मोदी सरकार के ऊपर दोहरी जिम्मेदारी है। पहली यह कि ऑनलाइन शिक्षक को सभी लोगों तक उपलब्ध करवाया जाए, सरकार की ओर से गुणवत्ता युक्त निःशुल्क अथवा नाममात्र के शुल्क पर ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध करवाई जाए। दूसरी जिम्मेदारी डिजिटल डिवाइस की समस्या को पाटने के लिए आर्थिक रूप से पिछड़े व ग्रामीण समाज के विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा से संबंधित सभी संसाधन मुहैया करवाई जाए।
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निजी कंपनियों का वर्चस्व
इस समय ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में BYJU’s, Unacademy, Udemy, Coursera जैसे बड़े नाम कार्य कर रहे हैं। कई निवेशकों ने विद्यालय शिक्षा के स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक, सभी स्तरों के लिए ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था की है। ऐसे में केंद्र सरकार को ऑनलाइन माध्यम से विद्यालय शिक्षा की व्यवस्था के लिए BYJU’s की तरह कोई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित करना चाहिए। यह इसलिए आवश्यक हो जाता है क्योंकि शिक्षा, जल, भोजन, वस्त्र की तरह ही किसी भी मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता होती है। एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के सिद्धांत का एक मुख्य अवयव निःशुल्क अथवा आसानी से सुलभ शिक्षा की व्यवस्था होता है। अतः सरकार को ऑनलाइन शिक्षा के सेक्टर को पूरी तरह से प्राइवेट प्लेयर्स के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए।
ऐसा नहीं है कि सरकार के लिए इस तरह के कोर्स नए हैं। पहले से ही IIT और IISC, NPTEL के माध्यम से ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। WizIQ IIT दिल्ली द्वारा पेश किया जाने वाला एक और कोर्स है। भारत सरकार SWAYAM और NISHTHA पोर्टल के माध्यम से विभिन्न पाठ्यक्रम चलाती है। परंतु सरकार द्वारा चलाये जा रहे ये पोर्टल्स, प्राइवेट Edu-Tech कंपनियों द्वारा चलाये जा रहे प्लैटफ़ार्म के मुक़ाबले कहीं नहीं टिकते। यही कारण है कि सरकार को इन पोर्टल्स को Revamp करना चाहिए।
सरकार ऑडियो वीडियो कक्षाओं के माध्यम से ऑनलाइन एजुकेशन में डिस्टेंस लर्निंग को बढ़ावा दे सकती है। इसका विशेष लाभ उन विद्यार्थियों को मिल सकता है जो अपनी आर्थिक विपन्नता के कारण पारंपरिक शिक्षा, जैसे स्कूल या कॉलेज जाकर शिक्षा लेने से दूर हैं।
भारतनेट के जरीय गांवों तक को इंटरनेट से जोड़ा जा रहा है
यही नहीं डिजिटल डिवाइड की समस्या को पाटने का प्रश्न है तो इसके लिए पहले ही बड़े पैमाने पर कार्य हो रहे हैं। भारतनेट जैसी महत्वकांक्षी योजना के कारण अब तक लाखों गांव को इंटरनेट की सुविधा से जोड़ा गया है और भविष्य में भी भारत में इंटरनेट का विस्तार तेजी से होता रहेगा। किंतु इंटरनेट के उपयोग के लिए मोबाइल फोन अथवा टेबलेट की आवश्यकता होती है।
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आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में बहुत से परिवार ऐसे होते हैं जहां घर के मुखिया के पास ही स्मार्टफोन उपलब्ध होता है। अधिकांश मामलों में स्मार्टफोन पिता के पास ही होता है और यदि वह अपने किसी काम से घर के बाहर हो तो बच्चों के लिए उस समय ऑनलाइन अध्ययन संभव नहीं होता है। सरकार दो प्रकार से इस समस्या का समाधान कर सकती है। या तो सरकार सब्सिडी पर कम कीमत पर बनाए गए मोबाइल फोन और लैपटॉप का वितरण करें अथवा शिक्षा के उद्देश्य से नया मोबाइल फोन खरीदने के लिए फाइनेंस की कोई योजना बनाए।
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पूर्व में यूपीए सरकार के दौरान आकाश टेबलेट की योजना सामने आई थी जिसमें $35 की कीमत में ही टेबलेट उपलब्ध कराने की बात कही गई थी। इसके लिए सरकार ने IIT जबलपुर और कनाडा की एक कंपनी डाटाविंड के साथ समझौता किया था। आईआईटी जबलपुर को टेबलेट के विकास के लिए ₹49 करोड़ रुपये दिए गए थे। हालांकि या योजना बुरी तरह असफल हुई थी।
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अतः केंद्र सरकार, वर्तमान परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन एजुकेशन के लिए फोन को फाइनेंस करवाने की योजना ला सकती है। वैसे भी इस समय भारत स्मार्ट फोन मैन्युफैक्चरिंग में दुनिया का हब बन चुका है और आने वाले कुछ सालों में भारत में स्मार्टफोन उपभोक्ताओं की संख्या बहुत तेजी से बढ़ने वाली है। फाइनेंस के अतिरिक्त डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
सरकार ऑनलाइन एजुकेशनल प्लेटफार्म शुरू करके एवं फाइनेंस अथवा डायरेक्टबेनिफिटट्रांसफर जैसी कोई योजना बनाकर गरीब से गरीब भारतीय विद्यार्थी को भी ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम का भाग बना सकती है।