यह सर्वविदित है कि वैश्विक स्तर पर परस्पर सहयोगी रहे देशों के बीच विचारधारा में भिन्नता होती है। चाहे कितना भी बड़ा मित्र देश ही क्यों न हो, एक वर्ग सदैव उस मित्रता में खलल डालने की चाह रखता है। ऐसे ही कुछ रूस के मामले में जान पड़ता है, जहां कुछ कथित मीडिया समूह भारत और विशेषकर कश्मीर की स्थिति को भयानक प्रदर्शित करने में जुटे हुए हैं। जैसे न जाने कितनी बड़ी फंडिंग मिल गई हो भारत और उसकी सरकार की छवि धूमिल करने के लिए।
सत्य तो यह है कि रूस से भारत के संबंध बहुत पुराने हैं, हिंदी-रुसी भाई-भाई का नारा यूँही इतना लोकप्रिय नहीं है। भारत और रूस के मैत्रीपूर्ण संबंधों में खलल डालने का प्रयास करने वाले रूस के ही इस मीडिया संस्थान का मुख्य उद्देश्य भारत में कश्मीर की हालत को बदतर दिखाना है और साथ ही रुस और भारत की बरसों पुरानी मित्रता को चोट पहुंचना है।
कश्मीर को लेकर बनाई एक विवादित डॉक्यूमेंटरी
अपने आप को रूस राज्य से संबद्ध मीडिया बताने वाले Redfish ने कश्मीर को लेकर एक डॉक्यूमेंटरी (Documentary) बनाई है, जिसका ट्रेलर ट्वीट करते हुए Redfish ने लिखा कि, “भारतीय कश्मीर तेजी से एक आबाद-औपनिवेशिक राज्य बनता जा रहा है जबकि भारतीय राजनेता कश्मीर में ‘इजरायल मॉडल’ का आह्वान करते हैं। हमने अलग-अलग परिवारों, बेदखल किए गए चरवाहों और सैन्यीकरण के शिकार लोगों से बात की। कश्मीर: पलेस्टाइन इन द मेकिंग के लिए 11 फरवरी को 17:00 CET पर मिलें।” ऐसी भड़काऊ रिपोर्ट परोसने वालों को यह कौन बताए कि जो खुशहाली 70 सालों में कश्मीर को प्राप्त नहीं हुई थी वो अब हो रही है।
Indian Kashmir is fast becoming a settler-colonial state. While Indian politicians call for ‘the Israeli model’ in Kashmir, we spoke to separated families, evicted shepherds and victims of militarisation. Tune in on February 11 at 17:00 CET for “Kashmir: Palestine in the Making”. pic.twitter.com/yLbv0w67ru
— redfish (@redfishstream) February 4, 2022
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अपने ट्वीट में आगे Redfish ने लिखा कि, “हमारे कश्मीर वृत्तचित्र अर्थात डॉक्यूमेंटरी (Documentary) ट्रेलर पर अनुचित विवाद के जवाब में हम अपने समुदाय को आश्वस्त करते हैं कि पूर्ण वृत्तचित्र संतुलित है और इसमें जम्मू-कश्मीर में भाजपा और कश्मीरी कार्यकर्ताओं सहित सभी हितधारकों के दृष्टिकोण शामिल हैं।” ऐसा नहीं है कि यह सोच रूस के अधिकांश लोगों या मीडिया संस्थानों की है। बता दें कि रूस झूठी पत्रकारिता पर सदैव आक्रामक रहा है। यही कारण है कि हाल ही में द हिन्दू की झूठी खबर पर रूस के भारतीय दूतावास की ओर से उसे लताड़ लगाई थी।
In response to the unwarranted controversy over our Kashmir documentary trailer: We assure our community that the full documentary is balanced and includes the perspectives of all stakeholders, including the BJP in Jammu Kashmir and Kashmiri activists. pic.twitter.com/rsQFySLQEi
— redfish (@redfishstream) February 5, 2022
एक फ़िलिस्तीन समर्थक मीडिया समूह है Redfish
गौरतलब है कि Redfish को Ruptly द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है। Ruptly एक रूसी वीडियो समाचार एजेंसी है। वहीं, बर्लिन में स्थित, इसका स्वामित्व रूस टुडे (RT) के पास है, जो एक रूसी सरकार द्वारा नियंत्रित अंतरराष्ट्रीय टेलीविजन नेटवर्क है। यह पहली बार नहीं है कि Redfish ने वामपंथी एजेंडे को आगे बढ़ाया है। दरअसल, अप्रैल 2021 में जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय के एक जर्नल में प्रकाशित एक पेपर ने संकेत दिया था कि Redfish फ़िलिस्तीन समर्थक है। बता दें कि कश्मीर को लेकर जैसे ही इस वीडियो को ट्वीट किया गया तब लोगों ने इसपर अपनी असहमति व्यक्त करनी शुरू कर दी। हालांकि, Redfish ने स्पष्ट करते हुए कहा कि यह वृत्तचित्र संतुलित है।
भारत-रूस संबंध में दरार डालने की कोशिश
बताते चलें कि भारत और रूस के मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। हाल ही में, रूस और युक्रेन में चल रहे विवाद के बीच भारतीय समाचार पत्र ‘द हिन्दू’ ने रूस को लेकर की झूठी पत्रकारिता का नमूना पेश करते हुए एक ट्वीट किया था, तथ्यों की जांच के बिना क्रीमिया के विलय पर ‘द हिन्दू’ ने प्रश्न पूछा था, इसपर भारत में रुसी दूतावास ने ‘द हिन्दू’ को लताड़ लगाई, जिसके बाद ‘द हिन्दू’ ने अपना ट्वीट डिलीट किया था। अब ऐसा ही कुछ रूस के इस वामपंथ उपासकों द्वारा वित्त-पोषित Redfish ने भारत की छवि को ख़राब करने और भारत-रूस संबंध में दरार पैदा करने के लिए कश्मीर मुद्दे को उठा लिया है। उन्हें यह समझना होगा कि ओछी हरकतों से कोई भी संस्थान आगे नहीं बढ़ सकता।
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ऐसे में, अपने चंद दर्शकों की संख्या को बढ़ाने के लिए इस कथित मीडिया समूह ने जानबूझकर कश्मीर के मुद्दे को चुना क्योंकि धारा 370 और 35-A हटने के बाद से इन वामपंथियों में खलबली मची हुई थी। कश्मीर भारत से कैसे अलग रहे इस ध्येय के साथ कुछ कथित मीडिया समूह अपनी वाहवाही लुटने के लिए इस तरह की रिपोर्ट और डॉक्यूमेंटरी (Documentary) बनाते हैं। वे इस तथ्य को अनदेखा करते हैं कि आज के समय में पाठक, दर्शक और श्रोता वर्ग जागरूक हो चुका है।