नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ताइवान में प्लेन क्रैश में मारे जाने की थ्योरी को अब तथ्यों के आधार पर लगभग नकारा जा चुका है। अब इस थ्योरी को लेकर एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसने लोगों को हैरान कर दिया है। जापान द्वारा दावा किया जाता रहा है कि ताइवान में एक विमान दुर्घटना के बाद नेताजी की मृत्यु हो गई थी और जिस विमान में नेताजी सवार थे उसी में लेफ्टिनेंट जनरल सुनामासा शिदेई भी सवार थे। जापान का दावा है कि यह विमान 18 अगस्त 1945 को ताइपे हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिससे दोनों की मौत हो गई थी। साथ ही, जापान ने दावा किया कि बोस और शिदेई के शवों का ताइपे में अंतिम संस्कार किया गया और उनकी अस्थियों को टोक्यो भेज दिया गया था।
‘द बोस डिसेप्शन: डिक्लासिफाइड’ के लेखक अनुज धर और चंद्रचूड़ घोष ने चीनी युद्ध इतिहासकारों के हवाले से बताया है कि उस प्लेन में लेफ्टिनेंट जनरल शिदेई उस दौरान बोस के साथ नहीं थे। शिदेई की मृत्यु इससे इतर बिल्कुल अलग परिस्थितियों में एक बिल्कुल अलग घटना में हुई थी। हालांकि, बोस और शिदेई की एक ही साथ मौत होने के जापान के दावे को 2006 में मनमोहन सिंह सरकार ने बरकरार रखा था।
सरकार ने एमके मुखर्जी के नेतृत्व वाले आयोग के निष्कर्ष को खारिज कर दिया कि जापानियों ने सोवियत रूस की ओर भागने के लिए कवर प्रदान करने के लिए बोस की मौत की फर्जी खबर फैलाई थी। मुखर्जी ने तब इसके सबूत भी दिए थे कि इस योजना के तहत एक जापानी सैनिक के शव को बोस का शव बता दिया गया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में आगे बताया कि शिदेई की मौत भी साबित नहीं हुई थी।
धर और घोष का का कहना है कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले कि बोस और शिदेई 18 अगस्त को एक साथ ताइपे पहुंचे थे। उनका कहना है कि ताइपे में बोस की तस्वीर 17 अगस्त को ली गई थी लेकिन शिदेई के साथ उनकी यहां और उसके बाद कोई तस्वीर नहीं है। अब चीनी इतिहासकारों द्वारा दिए गए तथ्यों के आधार पर दोनों लेखकों का मानना है कि शिदेई की मौत की खबर के ज़रिए जापानियों ने बोस के सोवियत रूस की ओर भागने में इस्तेमाल किया था। उनका मानना है कि इस खुलासे के बाद विमान दुर्घटना में नेताजी के मौत की थ्योरी पूरी तरह गलत साबित होती है। साथ ही, चीन के पक्ष से सामने विश्वसनीय इनपुट है कि शिदेई के विमान को उनके द्वारा मार गिराया गया था। शिदेई बोस के साथ नहीं बल्कि एक अन्य जनरल के साथ थे।
कई चीनी इतिहासकारों ने अपनी किताबों में इस बात का ज़िक्र किया है। चीन के युद्ध इतिहासकार झांग जिशेन और ज़ू चुंडे ने अपनी किताब ‘द पिलर ऑफ़ शेम इन हिस्ट्री: ए कम्प्लीट रिकॉर्ड ऑफ़ द डेथ्स ऑफ़ 171 जापानी जनरल्स हू इनवेड चाइना’ में भी शिदेई की मौत का ज़िक्र किया है। इस किताब को 2009 में चीनी आर्मी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) प्रेस, बीजिंग द्वारा प्रकाशित किया गया था।
जिशेन और चुंडे ने कहा है कि शिदेई कथित तौर पर वहां पहुंचने से कुछ दिन पहले ताइपे में थे मेजर जनरल सुगुरु सातो ने 5 अगस्त को ताइपे में शिदेई का औपचारिक स्वागत किया। 18 अगस्त को शिदेई और सातो को लेकर एक विमान ताइपेई से उड़ा था और इसे अमेरिकी नौसेना ने पकड़ लिया था। अमेरिकियों के कहने पर चीनियों ने शिदेई के विमान को रोकने के लिए अपने लड़ाकू विमान भेजे और इस विमान को एक हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग करने का आदेश दिया गया।
साथ ही, जब जापानियों ने आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया तो इस विमान पर गोली चलाई गई जिससे यह विमान पूर्वी चीन सागर में गिर गया था। धर और घोष कहते हैं कि शिदेई की मौत के चीनी संस्करण को ना मानने की उनके पास कोई वजह नहीं है क्योंकि यह एक निष्पक्ष पक्ष हैं। उनका कहना है, “हमें डर है कि हम जापानी और भारतीय सरकारों के लिए ऐसा नहीं कह सकते हैं जिन्होंने न्यायमूर्ति मुखर्जी की रिपोर्ट से साबित तथ्यों को छिपाया है।”
नेताजी के कथित प्लेन क्रैश के बाद शिदेई के साथ क्या हुआ था इसे लेकर भी लोगों में मतभेद हैं। शिदेई को अस्पताल ले जाया गया या नहीं, उनके अंतिम संस्कार में किसी के शामिल होने को लेकर भी कोई स्पष्टता नहीं है। जापान की सरकार ने शिदेई की मृत्यु को लेकर कोई रिकॉर्ड नहीं दिया है और दिलचस्प बात यह है कि शिदेई की मृत्यु के संबंध में जापानियों के साथ पत्राचार वाले भारत सरकार के रिकॉर्ड गायब हो गए हैं। यहां तक कि जस्टिस मुखर्जी को ताइपे से मिले अंतिम संस्कार के रिकॉर्ड में यह साबित भी हुआ था कि शिदेई और बोस का वहां अंतिम संस्कार नहीं किया गया था। बोस की कथित मृत्यु को लेकर पहली जांच अमेरिकी सेना द्वारा की गई थी और उनका आंकलन था कि भारत सरकार के पास बोस की मृत्यु का कोई प्रमाण नहीं था।
धर और घोष ने मोदी सरकार से शिदेई की मृत्यु के मुद्दे को चीन और जापान के साथ उठाने की अपील करते हुए बताया है कि यह मामला एक दूसरे से जुड़ा हुआ है।वे कहते हैं कि जापानियों ने कहा कि बोस और शिदेई दोनों की मृत्यु एक साथ हुई, जबकि चीनियों का कहना है कि उन्होंने शिदेई को एक अलग घटना में मारे गए। इन दोनों दावों में सामंजस्य नहीं हो सकता है।