चीन में रहना है, तो जिनपिंग-जिनपिंग कहना है। इस बात में तो किसी कोई कोई शक नहीं है। लेकिन क्या आपको पता है कि अगर चीन के डॉक्टर किसी एक ऐसी व्यक्ति का इलाज़ कर दें जो कम्युनिस्ट पार्टी का चहेता नहीं हो, तो कम्युनिस्ट पार्टी उन डॉक्टरों को भी प्रताड़ित करने से पीछे नहीं हटती। NTD न्यूज़ के अनुसार हाल ही में चीनी डॉक्टर को चीन छोड़कर सिर्फ इसलिए भागना पड़ा, क्योंकि उसने अपने नैतिक कर्तव्य के अनुसार कुछ चोटिल लोगों का इलाज़ कर दिया था। हालांकि, वे सभी लोग कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ काम करते थे, और मानवाधिकार को बढ़ावा देते थे, इसीलिए चीनी पुलिस द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया गया था। इसके बाद जब एक डॉक्टर ने उनका इलाज़ किया, तो उस डॉक्टर को भी जान बचाने के लिए अब देश छोड़ना पड़ा है।
.@news_ntd EXCLUSIVE: A Chinese doctor was #forced to flee China because he treated a group of patients who are not in the regime's good books— #HumanRights lawyers. Today we bring you the story of Dr. Zhao. pic.twitter.com/8vqv2dARkr
— China in Focus – NTD (@ChinaInFocusNTD) May 30, 2020
बता दें कि चीन में ऐसे वकीलों का एक संगठन है, जो अक्सर मानवाधिकारों के लिये चीनी सरकार से जंग लड़ता रहता है। ये लोग उन प्रताड़ित लोगों के मामलों को कोर्ट में ले जाकर उनका बचाव करते हैं, जो कम्युनिस्ट पार्टी के अन्याय का शिकार हो चुके होते हैं। हालांकि, इसके बाद वे खुद कम्युनिस्ट पार्टी के शिकार बन जाते हैं। चीन को छोड़कर भागने वाले डॉक्टर झाओ के मुताबिक ये वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता ही चीनी समाज की रीढ़ की हड्डी है और चीन के लोगों को इसी संगठन पर उम्मीद रहती है।
हालांकि, कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ जद्दोजहद में उन्हें बहुत कुछ गंवाना भी पड़ता है। उदाहरण के लिए वर्ष 2014 में इसी संगठन के कुछ सदस्यों ने पूर्वोत्तर के हिस्से में स्थित एक बंदीगृह का दौरा कर अवैध तरीके से पकड़े गए कुछ कैदियों की रिहाई की वकालत की थी, लेकिन वहाँ पर चीनी पुलिस ने इन लोगों को ही बंदी बना लिया और जमकर प्रताड़ित किया। कुछ को तो उसके बाद जेल में भी डाल दिया गया था।
इस घटना से इतना तो साफ है कि चीन में कोई भी डॉक्टर उन लोगों का इलाज़ नहीं कर सकता, जो कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ काम करते हैं। अगर आप इसे कोरोनावायरस से जोड़कर देखें, तो स्थिति और भी ज़्यादा भयावह दिखाई देती है। कोरोना वायरस के कारण चीन में लगभग 4 हज़ार लोगों की जान गयी और करीब 80 हज़ार लोग कोरोना के शिकार हुए। ये आधिकारिक आंकड़े हैं। हालांकि, सबका मानना है कि असल में चीन में इससे कई गुणा मौतें हुई होगी। अब यहाँ यह सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या कोरोना से ग्रसित उन लोगों का इलाज़ भी किया गया होगा, जो कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ बोलते हैं।
जिस प्रकार एक चोटिल कार्यकर्ता का इलाज़ करने के बाद ही चीनी डॉक्टर को चीन छोड़कर भागना पड़ा है, उससे यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि चीन में लोकतंत्र समर्थक कोरोना पीड़ितों को इलाज़ नहीं दिया गया होगा, और यह भी हो सकता है कि बाद में बड़ी संख्या में कोरोना से उनकी मौत हो गयी हो। इस साल जनवरी में जब कोरोना चीन में बड़ी तेजी से फैल रहा था, तो चीनी सरकार ने लोकतंत्र समर्थक वकीलों और कार्यकर्ताओं के एक समूह को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया था, क्योंकि उन्होंने चीन के शियामिन शहर में एक बैठक की थी। सवाल यह है कि क्या चीन ने कोरोना की आड़ में उन सब लोगों को खत्म करवा दिया, जो कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ बोलते थे। इस बात की पूरी संभावना है कि इसका उत्तर “हाँ” में होगा। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी मुक्त समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इसीलिए आज दुनिया के सभी देशों को चीन के खिलाफ इकट्ठा होकर एक स्वर में आवाज़ उठाने की ज़रूरत है।