जब से पीएम नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं, भारतीय विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है। पश्चिम एशिया की राजनीति से स्वयं को अलग थलग रखने वाला भारत अब पश्चिम एशिया में महत्वपूर्ण देशों के साथ मजबूत सामरिक और कूटनीतिक संबंध बना चुका है। इनमें से एक है मुस्लिम जगत की महाशक्ति सऊदी अरब।
सऊदी अरब और भारत के संबंध पिछले कुछ वर्षों में बहुत तेजी से विकसित हुए हैं। कुछ समय पूर्व तक भारत सऊदी से तेल के आयात तक का ही संबंध रखता था। किन्तु अब दोनों देश सामरिक साझेदार तो हैं ही एक दूसरे के भरोसेमंद साथी भी हैं। यह बात कोरोना संकट में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुई है जब सऊदी ने भारत में पैदा हो रहे ऑक्सीजन संकट में भारत की मदद की है। सऊदी ने भारत को 80 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू कर दी है।
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सऊदी के भारतीय दूतावास ने इसकी जानकारी देते हुए लिखा “भारतीय दूतावास, Adani group और M/s Linde के साथ साझेदारी करते हुए अति आवश्यक 80 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन की शिपिंग करने में गर्व महसूस कर रहा है। हम सऊदी राज्य के स्वास्थ मंत्रालय को उनके समर्थन, सहायता और सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद करते हैं।”
सऊदी और भारत के मजबूत रिश्ते में सबसे बड़ा कारण सऊदी के प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान का ‛विजन 2030’ कार्यक्रम है। इसके तहत वह सऊदी को तेल निर्यातक अर्थव्यवस्था के बजाए आर्थिक हब की तरह विकसित करना चाहते हैं। सऊदी को निवेश और साझेदारी के लिए सहयोगियों की आवश्यकता है। इसी कारण सऊदी अरब भारत में निवेश करने को तैयार है तथा भारतीय निजी कंपनियां सऊदी के विकास को रफ्तार देने वाली हैं।
आर्थिक सहयोग ने दोनों देशों की विदेश नीति को बहुत हद तक एकमंच पर ला दिया है। सऊदी कश्मीर से लेकर आतंकवाद के विरुद्ध अभियान तक, हर मामले में भारत के साथ है। हाल ही में सऊदी अरब के शाही परिवार के मुखपत्र में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने की तारीफ की गई थी।
CAA NRC के मुद्दे पर जब कट्टरपंथी इस्लामिक ताकतों और वामपंथी प्रचारतंत्र द्वारा भारत सरकार को निशाना बनाया जा रहा था, तब भी सऊदी ने ऐसे तत्वों को कोई तवज्जो नहीं दी। इतना ही नहीं सऊदी अरब की भूमि में भारत विरोधी प्रदर्शन आयोजित करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई करते हुए सऊदी अरब ने उन्हें डिपोर्ट कर अपने देश से बाहर निकाल दिया।
इतना ही नहीं जब रियाध में मौजूद पाकिस्तान का दूतावास 27 अक्टूबर को कश्मीर के “काले दिवस” के रूप में मनाने की तैयारी कर रहा था, तो सऊदी अरब सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए इस कार्यक्रम को रोक दिया साथ ही उन्हें स्पष्ट संदेश दिया कि वह ऐसा कोई कार्यक्रम सऊदी की भूमि पर आयोजित न करें।
हाल ही में भारतीय थलसेना प्रमुख एम० एन० नरवणे ने सऊदी की यात्रा की थी। इस यात्रा के दौरान उन्होंने सऊदी के नेशनल डिफेंस कॉलेज को भी संबोधित किया, जो दोनों देशों के नजदीकी मिलिट्री साझेदारी को दिखाता है। खाड़ी देश भारत-रूस द्वारा विकसित अचूक ब्रम्होस मिसाइल को खरीदना चाहते हैं। अब जब अमेरिका ने सऊदी को हथियारों की आपूर्ति बंद कर दी है, भारत के लिए सऊदी का हथियार सेक्टर खुल गया है। भारत अपने रक्षा उपकरणों आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टर, Swathi Radar के अलावा पिनाका मिसाइल सिस्टम बेच सकता है।
भारत सऊदी का सहयोग सांस्कृतिक पक्ष पर भी दिख रहा है। हाल ही में सऊदी सरकार ने निर्णय लिया है कि वह सनातन संस्कृति की शिक्षा को अपने करिकुलम का हिस्सा बनाएंगी। सऊदी के बच्चों को रामायण और महाभारत की पढ़ाई करवाई जाएगी। हालांकि हम भारतीयों का यह दुर्भाग्य है कि सऊदी सरकार ने रामायण और महाभारत की महत्ता को स्वीकार कर लिया किंतु हम आज भी इन्हें अपने स्कूली शिक्षा का हिस्सा नहीं बना पाए हैं।
सऊदी और भारत का बढ़ता सहयोग व्यापक रूप से सऊदी और भारतीय हितों के लिए तो अच्छा है ही क्षेत्रीय शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है। भारत विश्व की बड़ी सैन्य शक्ति है और एशिया की महाशक्ति है, अगर भारत और सऊदी अरब का सहयोग इसी प्रकार बढ़ता है तो इस्लामिक आतंकवाद को कमजोर करने में बड़ी सफलता मिल सकती है।