दोपहिया वाहनों के मामले में आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बन चुका है। दुनियाभर के तमाम देशों में भारत के दोपहिया वाहनों को पसंद किया जाता है। हालांकि एक दशक पहले अफ्रीकी महाद्वीप पर चीन के दोपहिया वाहन ने अपना दबदबा बनाया हुआ था। एक समय ऐसा था जब चीन की करीब 200 कंपनियां अफ्रीका के दोपहिया वाहन बाजार पर राज कर रही थीं।
अफ्रीका के दोपहिया वाहन बाजार में चीनी कंपनियों की 95 प्रतिशत के करीब हिस्सेदारी थीं। परंतु फिर एंट्री हुई भारत की और चीन की कंपनियों का नामो-निशान ही मिट गया। दुनियाभर में अपने दोपहिया वाहनों के लिए लोकप्रिय भारतीय कंपनियों वहीं जो बाकी 40 कंपनियां बची हैं, वो भी अपने अंतिम दिन गिन रही हैं।
बजाज और TVS ने अफ्रीकी बाजार पर हिस्सेदारी के मामले में उतना ही कब्जा कर लिया है, जितना की 40 चीनी कंपनियों ने संयुक्त रूप से कर रखा है। यह कैसे संभव हुआ? कैसे बाजार और TVS ने मिलकर अफ्रीका पर अपना वर्चस्व बनाया और 160 चीनी कंपनियां को उखाड़ फेंका? आज इसी के बारे में जानेंगे…
और पढ़ें भारत के शॉपिंग मॉल ‘डेड मॉल’ या ‘जॉम्बी मॉल’ क्यों बन रहे हैं?
चीनी निर्माता अपना कारोबार समेटने पर मजबूर
पूरी कहानी जानने के लिए आपको कुछ साल पीछे जाना होगा। बात साल 2005 की है, जब चीनी मोटरसाइकिलों ने 30 फीसदी कम दाम में भारत के दोपहिया वाहन बाजार में घुसने का प्रयास किया। कई डीलरों ने चीनी मोटसाइकिल को बेचना भी शुरू किया। चूंकि चीन अपनी मोटरसाइकिल भारत के बाजार में सस्ते दाम में उपलब्ध करा रहा था, तब ऐसी भविष्यवाणी की जाने लगी कि इससे भारतीय निर्माताओं का अंत हो जाएगा। परंतु गुणवत्ता के मामले में चीनी मोटरसाइकिल भारतीय निर्माताओं के दोपहिया वाहन के आगे कहीं टिक नहीं पाई। इसके चलते छह महीनों के भीतर ही चीनी निर्माताओं का अपना कारोबार भारत से समेटने को मजूबर होना पड़ा।
इसके बाद भारतीय निर्माताओं ने अफ्रीकी बाजार में एंट्री लीं। तब तक अफ्रीका के लोगों के पास केवल जापान और चीन के दोपहिया वाहन में से किसी एक को चुनने का विकल्प होता था। समस्या यह थीं कि जापान की मोटरसाइकिल गुणवत्ता में तो अच्छी थीं, परंतु यह महंगी हुआ करती थी, जिसके चलते अफ्रीका के लोगों के लिए इसे खरीद पाना मुश्किल होता है। अफ्रीका देश दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल हैं और यहां के लोगों का महंगे वाहन खरीदना आसान बात नहीं है। दूसरा विकल्प चीन था, जापान के मुकाबले चीनी मोटरसाइकिल सस्ती तो हुआ करती थीं। लेकिन चीनी उत्पादों की गुणवत्ता कैसे होती है, इससे तो पूरी दुनिया अच्छे से परिचित है। यही दिक्कत चीन के दोपहिया वाहनों की भी थीं। अफ्रीकी सड़कों के लिए चीनी मोटरसाइकिल विश्वसनीय नहीं थीं।
चीन की मोटरसाइकिल अफ्रीका में बॉक्स में आया करती थीं और इसे असेंबल कराने के लिए लोकल मैकेनिक के पास लेकर जाना पड़ता था। खराब गुणवत्ता के अलावा चीनी मोटरसाइकिल की सबसे बड़ी समस्या यह भी हुआ करती थी कि चीनी कंपनियों द्वारा बिक्री के बाद की कोई भी सेवा यानी After Sale Services नहीं दी जाती थीं। चीनी कंपनियों द्वारा वहां पर सर्विस सेंटर और ऑफिस बनाए ही नहीं गए थे। चाइनीज कंपनियां अपने यहां से मोटरसाइकिल निर्यात करती थीं। परंतु मजबूरन अफ्रीका के लोगों को चीनी मोटरसाइकिलों को ही खरीदना पड़ता था क्योंकि जापान की मोटरसाइकिल महंगी होने की वजह से उनकी पहुंच की बाहर थीं।
और पढ़ें: एनर्जी ड्रिंक्स: जब समाधान बेचने के लिए समस्या बनाई गई, केस स्टडी
अफ्रीका की बाजार पर बजाज और TVS का दबदबा
ऐसे में अफ्रीका की जनता को तलाश थीं बीच के विकल्प की। वो ऐसी मोटरसाइकिल की तलाश में थे, जो गुणवत्ता में भी अच्छी हो और कम कीमत में उपलब्ध हो। अफ्रीकी लोगों की इसी मांग को पूरा किया भारतीय कंपनियों ने। बजाज और TVS अफ्रीकी लोगों की जरूरत के अनुसार ही ऐसे वाहन लेकर बाजार में उतरीं। इन कंपनियों के द्वारा लोगों को खरीदने में सस्ती, आसान, गुणवत्ता में बेहतर और कम रख रखाव वाली मोटरसाइकिल प्रदान की गईं। भारतीय कंपनियों की मोटरसाइकिल की कीमत चीन से तो अधिक हुआ करती थीं, लेकिन जापानी मोटरसाइकिल से यह कम होती है। साथ ही इसकी गुणवत्ता जापानी मोटरसाइकिल के बराबर हैं। इन्हीं कारणों से चीनी कंपनियों को पीछे छोड़कर अफ्रीका की बाजार पर अपना कब्जा जमाने लगीं। बजाज ने मौके का फायदा उठाते हुए अफ्रीका में अपने असेंबली प्लांट लगा लिए और फिर वहां सर्विस सेंटर भी खोले गए।
यहां आपको बता दें कि अफ्रीका में मोटरसाइकिल को टैक्सी की तरह इस्तेमाल किया जाता है और इन्हें बोडा बोडा के नाम से जाना जाता है। अधिकांश अफ्रीकी देशों में मोटरसाइकिल का उपयोग निजी से अधिक व्यावसायिक रूप में किया जाता है। इनका इस्तेमाल लोगों और सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए करते हैं। अक्सर अफ्रीकन एंबुलेंस की तरह भी इस्तेमाल करते हैं। अफ्रीका में खासतौर पर बजाज की बॉक्सर मोटरसाइकिल लोगों के बीच काफी ज्यादा लोकप्रिय है। यह उनकी पहली पसंद बनी हुई है। बजाज की बॉक्सर मोटरसाइकिल पूरे अफ्रीका पर अपना दबदबा बना रखा है। अफ्रीकी बाजार में इसकी हिस्सेदारी 2019-20 में बढ़कर 40 फीसदी पहुंच गई है, जो पांच साल पहले तक 25 प्रतिशत हुआ करती थीं। ।
बॉक्सर की खासियत यह है कि यह बेहद ही बढ़िया परफॉर्मेंस देती है, जिसमें चीन की मोटरसाइकिल इसके आसपास भी नहीं टिक पाती। बजाज ने इस बात का ध्यान रखा है कि मोटरसाइकिल अफ्रीका के कठिन इलाकों में भारी-भरकम सामान ले जाने के दौरान बढ़िया तरीके से काम करें। लोगों को इसमें किसी भी तरह की कोई समस्या ना आए। बॉक्सर में 100CC के इंजन के बजाए 150 cc का इंजन दिया गया है और इसके यह काफी वजन आराम से उठा पाने में कामयाब है। 2019-20 के बीच ही बजाज 10 लाख से भी अधिक मोटरसाइकिल अफ्रीकी देशों में बेच चुका है। बजाज के अलावा TVS की स्टार सिटी भी काफी मशहूर है। केवल अफ्रीका ही नहीं दुनियाभर में भारतीय दोपहिया वाहनों की भारी डिमांड है। बजाज दुनियाभर में 70 से अधिक देशों में अपना कारोबार करता है। वहीं TVS भी 60 से ज्यादा देशों में काम करता था। इसके अलावा हीरो 40 से अधिक देशों में अपनी मोटरसाइकिल बेचता है।
और पढ़ें: एक या दो दशक में Parle-G बिस्किट का उत्पादन बंद करने पर विवश हो जाएगी पारले कंपनी
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।