भिन्न-भिन्न धर्म और विचारधारा को धारण करने वाले लोग भारत में वर्षों से एक साथ रह रहे हैं। लेकिन कुछ समुदायों द्वारा अब इसका गलत फायदा उठाया जा रहा है। क्योंकि भारत में अवैध धर्मांतरण के मामले काफी तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं। बहुसंख्यक वर्ग न चाहते हुए भी इस भ्रामक पीड़ा से ग्रसित है। अवैध धर्मांतरण को लेकर समय-समय पर चर्चा होती रहती हैं। भारत में धर्मांतरण अब एक विकराल रूप ले चुका है।
दबाव, धोखा और लालच
सुप्रीम कोर्ट ने दबाव, धोखे या लालच से धर्म परिवर्तन करवाने की कथित घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए सोमवार को बड़ी बात कही है। कोर्ट ने कहा कि अगर इस तरह के धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो यह देश की सुरक्षा को तो हानि पहुंचाएगा ही साथ ही यह नागरिकों के स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के लिए भी बहुत घातक है। इसी के चलते कोर्ट ने अवैध धर्मांतरण के विरुद्ध सख्त कानून की मांग पर केंद्र सरकार से 22 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। इसकी अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।
एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गयी थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही थी। इस याचिका में केंद्र और राज्यों को ‘धमकी देकर, उपहारों और पैसे का लोभ देकर धोखाधड़ी से धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने पर निर्देश देने की मांग की थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा है कि केंद्र सरकार को जबरन धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने की अब काफी आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर जबरन धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो एक ‘बहुत कठिन स्थिति’ पैदा हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और जहां तक धर्म का संबंध है, यह नागरिकों की अंतरात्मा की स्वतंत्रता के साथ-साथ राष्ट्र की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।
जस्टिस एमआर शाह और हिमा कोहली की बेंच ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस तरह के प्रलोभनों के माध्यम से की जा रही प्रैक्टिस के खात्मे के लिए कदम उठाए जाने बहुत जरूरी है।
अभी हाल ही में देश के गृह मंत्री ने राज्यों के एसआईबी के साथ बैठक कि थी इस अहम बैठक में शाह ने अधिकारियों से ईसाई समूहों के द्वारा संगठित धर्म परिवर्तन पर भी नज़र रखने को कहा है। क्योंकि देखा जाये तो पिछले कुछ समय से देश में धर्मपरिवर्तन की घटनाओं में काफी तेजी से वृद्धि हो रही है। हाल ही में अकाल तख्त ने सिखों के ईसाई धर्म में जबरन धर्मांतरण का हवाला देते हुए पंजाब में एक धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करने की मांग की है।
कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने सरकार के सामने रखे अपने पक्षों में कहा कि अवैध धर्मांतरण देश की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है। अगर कोई व्यक्ति अपनी स्वेच्छ से धर्मांतरण करता है तो उसमें कोई भी समस्या नहीं है, लेकिन अगर उनको किसी भी दूसरे ढंग से अवैध धर्मांतरण करवाया जा रहा है तो इस पर केंद्र सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने की जरूरत है।
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अवैध धर्मांतरण के एक बड़े कार्यक्रम को रुकवाया गया
अभी हाल ही में अमृतसर के ददुआना गांव में सिख निहंगों ने धर्मांतरण के एक बड़े कार्यक्रम को रुकवाया था। खास बात तो यह है कि इस धर्मांतरण के कार्यक्रम के विषय में यानी ईसाईयत के संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं थी। गांव के कुछ लोगों को तो लगता था कि कार्यक्रम के बीच में ये बीमार होने का नाटक करते हैं, जिसे ईसाई प्रतिनिधि ठीक करने का अभिनय करते हैं। इसी के चलते गांव के भोले भाले लोग ‘चमत्कार’ से प्रभावित होकर अनजाने में ही धर्मांतरित हो रहे थे।
अगस्त के महीने में ही दिल्ली गुरुद्वारा के प्रबंधक कमेटी के कठिन प्रयासों से अमृतसर में स्थित कोहलेवाल गांव के 12 परिवारों की ईसाईयत से सिख पंथ में वापसी करायी गयी थी। पंजाब में सिखों के धर्मांतरण काफी तेज़ी से बढ़ रहा है।
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देश के हर कोने से ऐसी तमाम खबरें आये दिन सामने आ रही हैं जहां जबरन धड़ल्ले से लोगों का अवैध धर्मांतरण करवाया जा रहा है। ईसाई मिशनरियां और इस्लामिस्ट देश में काफी लंबे समय से धर्मांतरण का गंदा खेल खेल रहे हैं। इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से धर्म परिवर्तन को अवैध घोषित करने की मांग की है। केंद्र सरकार को जल्द ही अवैध धर्मांतरण पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। जिससे देश में हो रहे धूर्ततापूर्ण कृत्यों पर नकेल कसा जा सके।
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