हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे जैसे-जैसे सबके सामने आते जा रहे हैं, वैसे ही एक बार फिर यह प्रश्न सबके सामने खड़ा हो गया है कि क्या अच्छी राजनीति का आधार अच्छी अर्थव्यवस्था ही मानी जाएगी? वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव हो या वर्ष 2019 का, भाजपा ने विकास मुद्दे को काफी प्राथमिकता दी है। विकास को आप अर्थव्यवस्था से भी जोड़कर देख सकते हैं। हालांकि, लोकसभा चुनावों के बाद जैसे ही वित्तीय वर्ष 2019 की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े सामने आए, ठीक वैसे ही देश में आर्थिक विकास के सकारात्मक माहौल को बड़ा झटका लगा और भारत से दुनिया की सबसे तेज़ी से विकास कर रही अर्थव्यवस्था का भी टैग छिन गया।
इन आंकड़ों के जारी होने के बाद अब हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों पर नज़र डाली जाये तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि देश की अर्थव्यवस्था को पहुंचें नुकसान का खामियाजा सत्ताधारी पार्टी को भुगतना पड़ा है। एक तरह जहां हरियाणा में भाजपा को बड़ा झटका लगते हुए सिर्फ 40 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है, तो वहीं महाराष्ट्र में भी भाजपा-शिवसेना का गठबंधन उम्मीद से बेहद कम प्रदर्शन करता दिखाई दे रहा है।
बता दें कि महाराष्ट्र और हरियाणा, दोनों ही कृषि बहुल राज्य हैं। दोनों राज्यों की अर्थव्यवस्था में किसानों और कृषि का अहम योगदान होता है। हालांकि, दोनों ही राज्यों में हमें कृषि क्षेत्र में कई समस्याएँ देखने को मिली। दोनों राज्यों में किसानों ने बड़े पैमाने पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए। GDP के सबसे ताज़ा आकड़ों के अनुसार देश में कृषि विकास दर महज़ 2 प्रतिशत रही। वहीं रियल एस्टेट में भयंकर मंदी आने के कारण भी हरियाणा में इसका ज़्यादा प्रभाव पड़ा। आर्थिक मंदी और बिल्डर्स पर भरोसे की कमी की वजह से रियल एस्टेट को नुकसान उठाना पड़ा, जिसने पूरे भारत में हरियाणा और महाराष्ट्र को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया।
इसके अलावा महाराष्ट्र की बात करें तो पिछले पांच सालों में इस राज्य में निवेश में कमी देखने को मिली हैं। कभी महाराष्ट्र देशभर में निवेश करने के हिसाब से सबसे आकर्षक गतंव्य हुआ करता था, हालांकि आज कर्नाटका ने महाराष्ट्र को इस दौड़ में पीछे छोड़ दिया है।
बता दें कि इस वर्ष फरवरी में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने स्वयं यह कहा था कि अच्छी राजनीति का आधार अच्छी अर्थव्यवस्था ही होती है। वही बात इन चुनावों में प्रमाणित होती दिखाई दे रही है। विकास के बड़े-बड़े दावों और वादों के बीच जीडीपी के आंकड़ों ने वोटर्स को निराश करने का काम किया है। इन चुनावों में आर्थिक मंदी के मुद्दे को विपक्ष काफी हद तक भुनाने में असफल ही रहा था, लेकिन उसके बावजूद जिस तरह चुनावी नतीजों में भाजपा को झटका लगा है, यह दर्शाता है कि वोटर्स देश के विकास के मुद्दे पर वोट करते हैं और अबकी बार आर्थिक मंदी के कारण ही हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा का प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा है।