एनडीटीवी के दोहरे मापदंड किसी से छिपे नहीं हैं। एनडीटीवी पर वामपंथियों और कांग्रेसियों का एजेंडा चलाने के आरोप लगते रहे हैं। इसके साथ ही इस मीडिया संस्थान पर हिंदुओं को अपमानित करने के आरोप भी लगातार लगते रहते हैं। एक समय था जब NDTV भारत का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला समाचार चैनल था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस समाचार चैनल ने कुछ ऐसे कारनामें किए, जिसके बाद अब यह सिर्फ हंसी का पात्र बनकर रह गया है। इस आर्टिकल में विस्तार से जानेंगे कि कैसे कभी देश का नंबर-1 चैनल रहने वाला NDTV अपनी ‘प्रोपेगेंडा’ संस्कृति के कारण अब रसातल में समा चुका है
ऐसे हुई थी शुरुआत
साल था 1984। प्रणय रॉय और उनकी पत्नी, राधिका रॉय ने दूरदर्शन के लिए एक ठेकेदार के रूप में नई दिल्ली टेलीविजन (एनडीटीवी) लॉन्च करने का फैसला किया। इसका यह मतलब था कि एनडीटीवी समाचार सामग्री, खंड और रिपोर्ट तैयार करेगा, जो दूरदर्शन द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित किया जाएगा। उस समय सेंसरशिप ज्यादा थी। एनडीटीवी ने जो कुछ भी बनाया था, उसे दूरदर्शन पर सत्तारूढ़ कांग्रेस शासन और उसके कठपुतलियों की मंजूरी के बिना प्रसारित करने की अनुमति नहीं थी।
फिर NDTV ने 1998 में स्टार इंडिया के साथ साझेदारी में खुद को पहले राष्ट्रीय 24×7 अंग्रेजी समाचार चैनल के रूप में लॉन्च किया। वर्ष 1998 और 2003 के बीच, NDTV ने अपने सभी समाचार खंडों का निर्माण करने के लिए स्टार इंडिया के साथ एक विशेष समझौता किया था। वर्ष 2003 में, यह एनडीटीवी इंडिया और एनडीटीवी 24×7 के नाम से हिंदी और अंग्रेजी भाषा के समाचार चैनलों के एक साथ लॉन्च के साथ एक स्वतंत्र प्रसारण नेटवर्क बन गया।
और पढ़ें: NDTV बेशर्मी से बना तालिबान का प्रोपगैंडा चैनल, इसके लिए इसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए
शिखर से शून्य तक का सफर
यह तब की बात है, जब NDTV ने अपना नाम बनाया था। उस समय यह एकमात्र इलेक्ट्रॉनिक समाचार प्रदाता था, जिसने भारतीय जनता के लिए एक विकल्प की पेशकश की। देखते ही देखते NDTV भारत का नंबर-1 समाचार चैनल बन गया, लेकिन जैसे ही NDTV पत्रकारिता की दुनिया में नाम बनता गया, वैसे ही वो कांग्रेस की कठपुतली भी बनता गया। धीरे-धीरे कथित तौर पर कांग्रेस पार्टी का एजेंडा चलाने वाले एनडीटीवी को एक दूसरे के पर्याय के रूप में जाना जाने लगा। आज भी यह चैनल कथित तौर पर कांग्रेस और वामपंथियों के इशारे पर काम करता है।
ध्यान देने वाली बात है कि NDTV इस्लामिस्टों को खुश करने के लिए खबरें बनाता है, पर जब बात हिन्दुओं के मौलिक अधिकार की आती है, तो उस समय NDTV जैसा एजेंडा धारी चैनल मौन हो जाता है। इसलिए यह आश्चर्यजनक नहीं है कि एनडीटीवी इस्लामवादी अपराधों के शिकार हिंदुओं के नाम छिपाता है। हालांकि, जब पीड़ित मुसलमान होते हैं, तो यह प्रोपेगेंडाधारी चैनल एक सामान्य अपराध को भी ‘हिंदू फासीवाद’ के रूप में दर्शाता है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कभी एनडीटीवी ने अपने प्राइम टाइम शो में भीड़ का शिकार हुए पहलू खान और मोहम्मद अखलाक का नाम लिया था। लेकिन जब कर्नाटक के शिवमोग्गा में इस्लामवादियों द्वारा बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्षा की नृशंस हत्या की रिपोर्टिंग की बात आई, तो एनडीटीवी ने पीड़ित का वर्णन करने के लिए सिर्फ और सिर्फ ‘युवक’ शब्द का इस्तेमाल किया। यही दोगलापन साबित करता है कि एनडीटीवी हिन्दुओं के लिए कितनी कुंठा रखता है।
और पढ़ें: Covaxin को लेकर जानबूझकर झूठ फैलाने वाले NDTV के श्रीनिवासन जैन को जेल में बंद कर देना चाहिए
इससे पहले भी कई बार कर चुका है भ्रामक रिपोर्टिंग
लेकिन आदत से मजबूर NDTV की न यह पहली गलती है और न ही आखिरी। इससे पहले भी वामपंथियों और कांग्रेसियों के इशारे पर चलने वाला यह चैनल कई बार फेक और देशविरोधी खबरें फैला चुका है। NDTV ने देसी vaccine को लेकर भी बहुत भ्रांतियां फैलाई थी। ध्यान देने वाली बात है कि NDTV के पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने कोविड वर्किंग ग्रुप के चीफ डॉ. एन के अरोड़ा के साथ एक साक्षात्कार किया था, जहां पर उन्होंने डॉक्टर अरोड़ा के बयानों के आधार पर कोवैक्सिन की विश्वसनीयता को लेकर भ्रामक ट्वीट कर जनता को बरगलाने की नाकाम कोशिश की थी, जिसे लेकर जमकर बवाल भी मचा था। इस मामले पर एनडीटीवी ने खबर भी चलाई थी, लेकिन तब NDTV को आड़े हाथों लेते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने ट्वीट कर स्पष्ट कर किया कि जो खबर NDTV पर प्रसारित हो रही है, वो फेक न्यूज है।
हाल ही में, NDTV के श्रीनिवासन जैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का समर्थन करने वाली एक युवा स्कूली लड़की का उपहास उड़ाया था। जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी। वीडियो में लड़की ने पहले कहा कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से उनके लिए सब कुछ अच्छा रहा है। जैन द्वारा यह पूछे जाने पर कि पीएम मोदी ने क्या अच्छा किया है, लड़की ने कहा, “कोई कमी नहीं है, किसानों को हर महीने सहायता मिल रही है, महीने में दो बार राशन दिया जा रहा है।” फिर, NDTV के एंकर ने व्यंग्य से पूछा, “नौकरी के लिए आप क्या करेंगे? क्या तुम्हारे यहां नौकरी है?” इस पर लड़की ने यह कहते हुए उन्हें चुप करा दिया कि “अगर हमारे यहां नौकरी नहीं है तो क्या हो गया? हम वाराणसी जाएंगे। हमें कहीं न कहीं नौकरी मिल जाएगी और हम काम करेंगे।”
मजाक बनकर रह गया है NDTV
आपको बता दें कि मौजूदा समय में एनडीटीवी और उसके कर्मचारियों की स्थिति ऐसी हो गई है कि अगर उन्हें भाजपा का समर्थन करता हुआ कोई भी दिख जाता है, तो वो उसपर अपनी भड़ास निकालना शुरु कर देते हैं! गौर करने वाली बात है कि यह वही समाचार चैनल है, जो कभी देश का नंबर-1 चैनल हुआ करता था। 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों के दौरान नागरिकों की लाइव लोकेशन देने से लेकर हाल ही में तालिबान को एक मंच प्रदान करने तक, यहां तक कि कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान को सैन्य ठिकाने देने तक, एनडीटीवी ने कई बार ऐसा घटिया कारनामा किया है। आज एनडीटीवी कोई नहीं देखता। यह एक मजाक बनकर रह गया है और सही भी है।
गौरतलब है कि ‘मीडिया’ लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, ऐसे में मीडिया चैनल्स से निष्पक्ष ख़बरें दिखाने की उम्मीद की जाती है, लेकिन जब मीडिया ही झूठे ख़बरों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए व्याकुल हो जाए, तब कई प्रकार के अराजक घटनाओं के घटने की संभावना बढ जाती है। लेकिन इसके बावजूद भी एनडीटीवी जैसे एजेंडाधारी चैनल सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं, और वो हर समय प्रोपेगेंडा और सरकार विरोधी कार्यों में उनकी संलिप्तता देखी जा सकती है।
और पढ़ें: मुस्लिमों की ट्रोलिंग पर NDTV ने टेके घुटने तो टाइम्स नाउ और हिंदुस्तान टाइम्स ने ले लिए मजे