1947 में देश के विभाजन के साथ पाकिस्तान अस्तित्व में आया था। भारत और पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू-मुस्लिम ने अपनी धार्मिक स्थिति के हिसाब से देश का चुनाव किया था। मुस्लिम समुदाय के लाखों लोग भारत से पाकिस्तान चले गए वहीं पाकिस्तान में रहने वाले हज़ारों परिवार भारत आ गए लेकिन जिन हिन्दू परिवारों ने पाकिस्तान में रहना चुना वो आज बहुत बुरी स्थिति में रहने को मजबूर हैं। कभी हिन्दुओं के मंदिरों, कभी हिन्दू बालिकाओं का अपहरण और जबरन धर्मांतरण और हिन्दुओं पर होते जघन्य अपराध की खबरें पाकिस्तान की पहचान हो गई है।
पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी पर लगाया गया है बड़ा आरोप
पाकिस्तान दो व्यापक कारणों से अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में तेजी से विफल रहा है। पहला मुख्य कारण है बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता और दूसरा कारण है हिंसक विचारधाराओं को स्थान देना। आम व्यक्ति तो आम व्यक्ति पाकिस्तान में रहने वाले प्रसिद्ध हिन्दू व्यक्तियों को भी नहीं बख्शा जाता है। इसका सबसे सटीक उदाहरण है पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर दानिश कनेरिया का जिन्होंने पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी पर बड़ा आरोप लगाया है।
दरअसल पाकिस्तान के पूर्व स्पिनर दानिश कनेरिया ने अपने खेल के दिनों से कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। कनेरिया, जिन्होंने पहले पाकिस्तान की ओर से धार्मिक आधार पर दुर्व्यवहार किए जाने के बारे में कुछ विस्फोटक खुलासे किए थे, अब उन्होंने पाकिस्तानी टीम के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। कनेरिया ने अफरीदी को लेकर कहा है कि पाकिस्तान टीम में उनके साथ सिर्फ इसलिए दुर्व्यवहार किया गया क्योंकि वह एक हिंदू थे और उन्होंने अफरीदी पर धार्मिक आधार पर अन्य खिलाड़ियों को उनके खिलाफ भड़काने तक का आरोप लगा दिया।
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान के पूर्व स्पिनर ने इस तरह के चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इससे पहले, पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने दावा किया था कि कनेरिया के साथ कुछ पाकिस्तानी खिलाड़ियों द्वारा हिंदू होने के कारण गलत व्यवहार किया गया था जिसके बाद उन्होंने मीडिया के सामने आकर अपना पक्ष रखा था।
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कनेरिया ने और क्या कहा है?
कनेरिया ने इस मामले को लेकर कहा कि “शोएब अख्तर सार्वजनिक रूप से मेरी समस्या के बारे में बात करने वाले पहले व्यक्ति थे। यह कहने के लिए उन्हें सलाम (हिंदू होने के कारण टीम में मेरे साथ कैसा व्यवहार किया गया)। हालांकि, बाद में कई अधिकारियों द्वारा उन पर दबाव डाला गया। उन्होंने आगे कहा, मुझे शाहिद अफरीदी ने हमेशा नीचा दिखाया। हम एक ही विभाग के लिए एक साथ खेलते थे, वह मुझे टीम के बाहर रखते थे और मुझे एक दिवसीय क्रिकेट मैच खेलने नहीं देते थे।
पाकिस्तान के पूर्व स्पिनर ने कहा “अफरीदी नहीं चाहते थे कि मैं टीम में रहूं। वह एक झूठा, जोड़-तोड़ करने वाला था … क्योंकि वह एक चरित्रहीन व्यक्ति है। हालांकि, मेरा ध्यान केवल क्रिकेट पर था और मैं इन सभी युक्तियों को अनदेखा करता था। शाहिद अफरीदी ही थे वह व्यक्ति जो अन्य खिलाड़ियों के पास जाता और उन्हें मेरे खिलाफ भड़काता। मैं अच्छा प्रदर्शन कर रहा था और उसे मुझसे जलन हो रही थी। मुझे गर्व है कि मैं पाकिस्तान के लिए खेला। मैं आभारी था।
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कनेरिया का प्रदर्शन
कनेरिया, जिन्होंने पाकिस्तान के लिए 61 टेस्ट और 18 एकदिवसीय मैच खेले, टेस्ट में उन्होंने अपने देश के लिए 261 विकेट के साथ देश के लिए चौथे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। टेस्ट में एक सफल गेंदबाज होने के बावजूद, कनेरिया को एकदिवसीय मैचों में सीमित अवसर नहीं मिला।
यही नहीं मैच फिक्सिंग के आरोपों में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) द्वारा आरोपित कनेरिया ने कहा कि उन्हें बोर्ड ने निशाना बनाया। पूर्व स्पिनर ने कहा कि वह पाकिस्तान की राष्ट्रीय टीम के लिए 18 से अधिक एकदिवसीय मैच खेल सकते थे पर अफरीदी ने उनके खिलाफ साजिश रची थी कि वह आगे न खेल सके।
कनेरिया ने कहा “मेरे खिलाफ (स्पॉट फिक्सिंग के) कुछ झूठे आरोप लगाए गए थे। मेरा नाम मामले में शामिल व्यक्ति के साथ जोड़ा गया था। वह अफरीदी समेत अन्य पाकिस्तानी क्रिकेटरों का भी दोस्त था।
कानेरिया ने कहा, मैं अपने देश के लिए खेला हूं और मुझे भी दूसरों की तरह मौका दिया जाना चाहिए। अब मैं खेल भी नहीं रहा हूं कोई भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट। पीसीबी से प्रतिबंध हटाने का अनुरोध करना चाहता हूं ताकि मैं अपना काम कर सकूं। मैं पीसीबी से कोई नौकरी नहीं मांग रहा हूं, लेकिन कृपया इस प्रतिबंध को हटा दें ताकि मैं शांति से रह सकूं और अपना काम सम्मान के साथ कर सकूं।”
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अफरीदी पर इस तरह के आरोप लगाया जाना कोई नयी बात नहीं है। अफरीदी एक कट्टरवादी और नफरती प्रवृति के इंसान हैं जो हर चीज को धर्म से जोड़कर देखते हैं। कश्मीर मुद्दे को लेकर उनकी जहर जगजाहिर है और कानेरिया प्रकरण से उनका हिन्दू विरोध होना साफ साफ दिखता है और पकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं की स्थिति को भी दर्शाता है।