‘जहां हम जीतेंगे वहां तो राज करेंगे ही, जहां नहीं जीतेंगे वहां डेफिनिटली राज करेंगे’, प्रतीत होता है कि मोदी-शाह इसी संवाद के इर्द-गिर्द अपनी राजनीतिक चालें चलते हैं- तभी तो ऑपरेशन लोटस ने उद्धव ठाकरे की चूलें हिला दी। मातोश्री जो एक वक्त महाराष्ट्र की ताक़त का केंद्र हुआ करता था- आज बस एक बिल्डिंग है। मोदी शाह ने एक दांव फेंका और उद्धव ठाकरे को बोरिया-बिस्तरा बांधकर निकलना पड़ा।
खुद को मराठवाड़ा का शेर कहने वाले शरद पवार और स्वयंभू चाणक्य संजय राउत की आंखों से उनका काजल निकालकर मोदी-शाह ने राजनीति के खेल को और ज्यादा मजेदार बना दिया है। ऑपरेशन लोटस, मोदी-शाह का ऐसा चक्रव्यूह है, जिससे बचना विपक्षी पार्टियों के लिए नामुमकिन हो गया है।
अब भारतीय राजनीति सही मायनों में मजेदार और दांव-पेंच भरी हुई है। 2014 के पहले तक भारत में राजनीति के नाम पर जाति का बोरिंग और ख़तरनाक खेल खेला जाता था। हिंदी पट्टी में तो विशेष तौर पर जाति से ऊपर कभी नेता जा ही नहीं पाते थे। राजनीति से ज्यादा मजेदार तो कंचों का खेल होता था। जिसमें कम से कम यह सस्पेंस तो रहता था कि निशाना लगेगा या नहीं। लेकिन राजनीति में सबकुछ उबाऊ और पूर्वनिर्धारित था। मोदी-शाह की जोड़ी ने आकर भारतीय राजनीति का फ्लेवर ही बदल दिया।
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अब राजनीति शतरंज के खेल की तरह खेली जा रही है। जो एक दांव दिख रहा है, उसके पीछे पचास दांव ऐसे हैं जो आपको नहीं दिखते। ऑपरेशन लोटस ऐसा ही एक दांव है। जो मोदी-शाह को राजनीति का अजेय योद्धा बनाता है। तो आइए, हम आपको बताते हैं कि कैसे भाजपा ने महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस क्रियान्वित किया।
शुरू से शुरू करते हैं- बात 2008 की है- भाजपा के नेता और पूर्व मंत्री जी. जनार्धन रेड्डी ने कर्नाटक में भाजपा की सरकार बनाने के लिए एक थ्योरी दी- उन्होंने कहा कि सरकार बनानी है तो बड़ी संख्या में विधायकों को दूसरी पार्टी से अपनी पार्टी में ले आओ, क्योंकि जब दो-तिहाई विधायक आ जाएंगे तो दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई भी नहीं हो पाएगी- इस तरीके को ऑपरेशन लोटस कहा गया।
ऑपरेशन लोटस के तहत भाजपा कई राज्यों में जोड़तोड़ से बनी सरकार को बेदखल करके स्वयं सत्ता पर विराजमान हो गई। कर्नाटक, मध्य-प्रदेश, मणिपुर, गोवा इसके उदाहरण हैं।
अब आपको बताते हैं कि इस बार महाराष्ट्र में मोदी-शाह और फडणवीस की तिकड़ी ने कैसे ऑपरेशन लोटस को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया। ऑपरेशन लोटस के लिए इस बार भाजपा ने मैदान में अपने पांच ख़िलाड़ियों को उतारा। यह चार खिलाड़ी हैं- देवेंद्र फडणवीस, हिमंता बिस्वा सरमा, सीआर पाटील, भूपेंद्र यादव और सीटी रवि।
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इस ऑपरेशन की कमांड अमित शाह के हाथ में है। सबसे पहले देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र से बिना किसी को भनक लगे एकनाथ शिंदे और शिवसेना के विधायकों के निकलने का रास्ता बनाया। उद्धव ठाकरे से विद्रोह करके एकनाथ शिंदे अपने विधायकों के साथ गुजरात के सूरत में पहुंचे। सूरत में सीआर पाटील उनका इंतजार कर रहे थे। सीआर पाटील, महाराष्ट्र के ही हैं और गुजरात में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
उन्होंने सभी विधायकों के फाइव स्टार होटल में रुकने की व्यवस्था की। अब ऑपरेशन लोटस आगे बढ़ता है। सूरत से एकनाथ शिंदे और सभी विधायकों को गुवाहाटी शिफ्ट किया जाता है। गुवाहाटी में तैनात थे हिमंता बिस्वा सरमा। गुवाहाटी एयरपोर्ट पर जब शिंदे और शिवसेना के विद्रोही विधायक पहुंचे तो वहां हिमंता के दो ख़ास आदमी उनका इंतजार कर रहे थे।
इधर हिमंता, गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू होटल में उन विधायकों की सुरक्षा का निरीक्षण कर रहे थे। इस तरह से सीआर पाटील और हिमंता की टीम ऑपरेशन लोटस में आतिथेय की भूमिका में थी। भूपेंद्र यादव और सीटी रवि, इन दोनों व्यक्तियों को जिम्मेदारी थी कि इन्हें एकनाथ शिंदे और उनके साथ मौजूद विधायकों से बातचीत करनी थी। बातचीत करके आगे की रणनीति तय करनी थी- रणनीति यही कि शिंदे आगे क्या चाहते हैं? भाजपा में आना चाहते हैं, तो उसके लिए रणनीति तैयार करना और उनसे बातचीत करना।
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वहीं, दूसरी तरफ देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र की उथल-पुथल पर नज़र रख रहे हैं। इस तरह ऊपर से नीचे तक एक बेहतरीन समन्वय के साथ ऑपरेशन लोटस को चलाया जा रहा है- हर सिपाही अपनी जगह तैनात है और अपना काम कर रहा है- वज़ीर अपनी जगह, घोड़ा अपनी जगह और हाथी अपनी जगह- क्योंकि अगर एक भी गड़बड़ाया तो बीजेपी का कांग्रेस बनने में देर नहीं लगेगी- तभी तो मैं कहता हूं कि आज की राजनीति मजेदार है- रोमांचक है- साहसिक है- यहां जाति-जाति करके कोई मिमिया नहीं रहा है बल्कि राजनीतिक दांव-पेंच से राजनीति की जा रही है- जोकि राजनीति में होना ही चाहिए- तभी तो वो राजनीति है।
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