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क्यों कुकिंग तेल संग्राम में सरसों के तेल रहा विजयी!

ये है अपना देसी "सरसों का तेल"

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
21 August 2023
in भोजन
क्यों कुकिंग तेल संग्राम में सरसों के तेल रहा विजयी!
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कार और गैजेट्स के अजब गजब संसार की भांति कुकिंग तेल के संसार में भी भयंकर प्रतिस्पर्धा है. कई प्रकार के तेलों से हमारा परिचय हुआ है – चाहे वह सूर्यमुखी का तेल, मूंगफली का तेल, या फिर फिरंगियों वाले “राइस ब्रैन ऑइल” हो!

परन्तु एक ऐसा तेल है, जो लाख चुनौतियों, नाना प्रकार की बकवास के बाद भी कुकिंग ऑइल जगत में अपनी जगह बनाये हुए है. ये है अपना देसी “सरसों का तेल”. आइये चलते है इस तेल के बहुमुखी गुणों और इसके विविध इतिहास की एक अनोखी यात्रा पे, और जानते हैं कि कैसे इस सरल तेल ने हमारी संस्कृति, हमारे ह्रदय एवं हमारे अर्थव्यवस्था में अपने लिए एक विशिष्ट स्थान अर्जित किया!

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सरसों के तेल की उत्पत्ति

जिन सरसों के बीजों से तेल उद्धृत होता है, उनको देखते हुए हमारे और आपके मन में कुछ प्रश्न अवश्य उत्पन्न हुए होंगे. जैसे कि सरसों की खेती सर्वप्रथम कहाँ हुई, अथवा इसको तेल के रूप में सबसे पहले कौन प्रचलन में लाया?

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरसों की उत्पत्ति सर्वप्रथम प्राचीन मिस्र में हुई. इसकी खेती को फ़्रांसिसी मोनास्ट्रीज़ ने दी, और इसे पुर्तगाली अंतत: भारत लाये थे. परन्तु वास्तविकता इससे काफी भिन्न है.

वास्तव में सरसों के बीज एवं इसकी खेती उतनी ही प्राचीन है, जितना भारत और भारतीयता. इसके सबसे प्रथम प्रमाण सरस्वती सिंधु सभ्यता में मिलते हैं, जिसे कुछ लोग सिंधु घाटी सभ्यता के रूप में  भी जानते हैं. ३००० ईसा पूर्व के आसपास भारतीय किसान इसकी खेती में कार्यरत थे. ये हम नहीं बोल रहे, इसके प्रमाण हड़प्पा, मोहनजो डारो और ढोल वीरा में भी इसके ऐतिहासिक साक्ष्य मिले हैं. इतना ही नहीं, वेदों में भी सरसों का उल्लेख किया गया है.

तो, अगली बार जब आप सरसों के तेल की एक बूंद डालें, तो याद रखें कि आप एक ऐसी परंपरा में भाग ले रहे हैं जो सहस्राब्दियों से चली आ रही है, जिसकी जड़ें भारत  की प्राचीन भूमि में  विद्यमान हैं।

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कैसे है सरसों का तेल स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र के लिए गुणकारी!

सरसों के तेल के इतने लाभ हैं, जिनके बारे में लिखते लिखते एक लघु पुस्तिका तैयार हो सकती है! उन रिपोर्टों पे बिलकुल ध्यान मत दें, जो ये कहें कि इससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, ये बहुत “ऑइली” है, आदि आदि! जितने भी ये “लो फैट” और “लो कोलेस्ट्रॉल” छाप तेल हैं, उनसे कई गुना बेहतर और गुणकारी तेल है अपना सरसों का तेल!

वो कैसे? सर्वप्रथम चर्चा करते हैं सरसों के तेल से मानव स्वास्थ्य को मिलने वाले लाभ पर. इसमें  Glucosinolate की मात्रा भरपूर है, जो एक ऐसा antimicrobial तत्व है, जो भांति भांति के इन्फेक्शन्स से आपकी रक्षा करता है. इसके अतिरिक्त सरसों के तेल से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता, उलटे इसमें Alpha-linolenic acids जैसे तत्वों की उपलब्धता भी है, जो ह्रदय रोग की सम्भावना कम करता है, और आपके “गुड कोलेस्ट्रॉल” को बढ़ावा देता है!

इसके अतिरिक्त सरसों का तेल डीप फ्राई के लिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इसका स्मोक पॉइंट लगभग २५० डिग्री सेल्सियस है. यहाँ तक कि सब्जियों को रोस्ट करने की बात हो, तो ये ऑलिव  ऑयल से भी अधिक गुणकारी है. सबसे बड़ी बात, कोई साइड इफेक्ट नहीं!

अब गृहस्थी से बाहर निकला जाये, तो सरसों का उल्लेख हमारे आयुर्वेद शास्त्र में भी किया गया है. हमारे ऋषि मुनियों ने इस बीज और उसके अन्य उत्पादों के  anti-inflammatory, antimicrobial, antifungal, and antibacterial गुणों को काफी पहले ही पहचान लिया. इसके वॉर्मिंग इफेक्ट से हमारे त्वचा के pores भी खुलते हैं, जिससे हमारे देह में बीमारियां आसानी से घर नहीं कर पाती.

तो अगली बार आपकी माँ सरसों के तेल के गुणों की चर्चा करें, तो उसे हंसी में मत उड़ाएं. ये ट्राइड एन्ड टेस्टेड फार्मूला है, जिसके असफल होने की सम्भावना बहुत कम है.

लेकिन क्या आपको पता है कि सरसों का तेल केवल मानव स्वास्थ्य के लिए नहीं, अपितु कृषि एवं अन्य उद्योगों के लिए भी लाभकारी है? उदाहरण के लिए सरसों के बीजों का उपयोग अचार के निर्माण में होता है, जबकि इनके पत्तियों का उपयोग साग के रूप में भी किया जाता है.

परन्तु ये तो केवल प्रारम्भ है. सरसों वो क्रॉप है, जिसकी खेती से कई जंगली पौधे एवं मिटटी सम्बंधित रोग, जो कई पौधों के लिए हानिकारक होते हैं, नियंत्रण में आ जाते हैं. ये एक प्राकृतिक कीटनाशक समान है. इसके अतिरिक्त लेदर के उद्योग में सरसों का तेल टैनिंग प्रक्रिया के बहुत काम आता है.

सरसों की खेती से वायु, जल, भूमि एवं वनों को भी लाभ होता है. इनके रहते आपको कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं होगी। तो किचन के अतिरिक्त सरसों के बीज और उसके उत्पादों के बहुमुखी गुणों से अपने आप एवं संसार को परिचित कराना अति आवश्यक है!

कैसे सरसों का तेल हुआ “Great Cooking Oil War” में विजयी!

अगर कभी “The Great Cooking Oil War” हुआ, तो उसमें सरसों का तेल यदि विजेता नहीं, तो पोडियम फिनिश अवश्य प्राप्त करेगा। परन्तु इसकी यात्रा इतनी भी सरल नहीं है. इस तेल पर भांति भांति के आरोप लगे हैं. कुछ का मानना है कि सरसों का तेल low saturated fats की मात्रा कम, और Erucic Acids की मात्रा अधिक है, जिससे कथित तौर पर Anaemia का खतरा बढ़ सकता है. इसके कारण सरसों के तेल का प्रयोग अमेरिका और यूके में वर्जित है. परन्तु क्या यही सत्य है?

सच कहें तो असली विलेन सरसों का तेल नहीं, वो तेल है, जिन्हे कई लोग “बेहतर, हेल्दी विकल्प” के रूप में बेचते हैं. उदाहरण के लिए जिन रिफाइंड तेलों की प्रशंसा करते हुए हेल्थ विशेषज्ञ नहीं थकते, उनकी उत्पत्ति की प्रक्रिया ही आपको बीमार बनाने के लिए पर्याप्त है. सर्वप्रथम, इन्हे नेचुरली एक्सट्रैक्ट नहीं किया जाता. दूसरा, इसमें निकल का प्रयोग किया जाता है, जो हमारी त्वचा के लिए काफी हानिकारक है, और साथ ही साथ हमारी श्वास प्रणाली एवं हमारे लिवर के लिए भी हानिकारक है. अभी तो हमने प्रिजर्वेटिव एवं सोडियम हाइड्रोक्साइड के उपयोग पर चर्चा भी प्रारम्भ नहीं की है.

एक चर्चित फैमिली फिजिशियन एवं चर्चित लेखक डॉक्टर डेविड शानाहन के अनुसार, कई तेल ऐसे हैं, जो प्रचार के ठीक विपरीत आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है. इनमें मकई या कॉर्न का तेल, कैनोला का तेल, सॉय तेल, कॉटनसीड का तेल, सूर्यमुखी का तेल, ग्रेपसीड तेल, सैफ्लावर तेल और राइस ब्रैन तेल भी सम्मिलित हैं. अब इनकी तुलना में सरसों के तेल का क्या पोजीशन है, और उसके क्या साइड इफेक्ट हैं, कभी सोचा है?

इसीलिए लाख प्रयासों के बाद भी सरसों के तेल का वर्चस्व भारत में बना हुआ है. इसमें कुछ हद तक अडानी विल्मर लिमिटेड की भी भूमिका रही है, जिन्होंने सरसों के तेल के “कच्ची घानी” वाले रूप को एक ब्रांड में परिवर्तित किया, जिसके कारण फॉर्च्यून तेलों की लोकप्रियता नित नए आयाम छूने लगी!

पारम्परिक कच्ची घानी प्रक्रिया से उत्पन्न सरसों के तेल में ट्रांस फैट्स लगभग नगण्य है, जो ह्रदय के लिए बहुत अच्छा है. इसमें monounsaturated fats (MUFA) and polyunsaturated fats (PUFA) की संतुलित मात्रा है, जो HDL यानी गुड कोलेस्ट्रॉल को प्रोमोट करता है. यानी आपके हृदय के लिए ये एक कवच का काम करता है.

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होता कि अनेक चुनौतियों के बाद भी सरसों के तेल का प्रभाव विद्यमान है. रिफाइंड ऑयल्स की तुलना में ये कुकिंग के लिए अधिक गुणकारी और लाभकारी है. ऐसे में ये स्पष्ट है कि सरसों के तेल को पछाड़ना सबके बस की बात नहीं!

और पढ़ें: Telangana Cuisine: बिरयानी के अतिरिक्त भी तेलंगाना में अनेक व्यंजन है!

निष्कर्ष

कुकिंग तेलों के विविध जगत में सरसों के तेल ने अपना अनोखा स्थान अर्जित किया है. आज भी कई भारतीय गृहस्थियों की ये शोभा बढ़ाने से पीछे नहीं हटा है. इसकी यात्रा धैर्य से परिपूर्ण है, जिसका प्रभाव केवल उद्योग एवं संस्कृति पर, अपितु कई युगों से हमारे पीढ़ियों पर व्याप्त है!

भारत में इसकी उत्पत्ति से लेकर इसके विभिन्न उपयोगों तक, सरसों का तेल वह संसाधन है, जिसे उसका वास्तविक सम्मान मिलना बाकी है. तो अगली बार आप सरसों के तेल की बोतल उठाएंगे, तो स्मरण रखियेगा, आप केवल एक परंपरा का अनुसरण नहीं कर रहे, आप एक स्वस्थ विकल्प को चुन रहे हैं, जिसको सदियों का ज्ञान प्रमाणित करता है, और जो एक समृद्ध भविष्य की गारंटी भी देता है!

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