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अनिल अंबानी के अर्श से फर्श तक पहुंचने की कहानी।

एक समय दुनिया के छठे सबसे धनाढ्य व्यक्ति रहे अनिल अंबानी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। उन्हें ताजा झटका उच्चतम न्यायालय के फैसले से लगा है।

Akash Gaur द्वारा Akash Gaur
11 April 2024
in चर्चित, व्यवसाय, व्यापार
रिलायंस इंफ्रा,अनिल अंबानी, सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली मेट्रो,दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लि.
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एक समय दुनिया के छठे सबसे धनाढ्य व्यक्ति रहे अनिल अंबानी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। उन्हें ताजा झटका उच्चतम न्यायालय के फैसले से लगा है। फैसले में उनके समूह की कंपनी को 8,000 करोड़ दिये जाने के मध्यस्थता न्यायाधिकरण के निर्णय को खारिज कर दिया गया है। 

अंबानी 2008 में दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे लेकिन बार-बार लगते झटकों के कारण उनकी स्थिति बदल गयी और अब वह धनाढ्यों की सूची से बाहर हैं। अमेरिका के व्हार्टन स्कूल से एमबीए करने वाले 64 वर्षीय अनिल अंबानी चर्चित उद्योगपति धीरूभाई अंबानी के छोटे पुत्र हैं। वह अपने सफल कारोबारी कौशल के मामले में तेजतर्रार स्वभाव के जाने जाते थे। उन्होंने बॉलीवुड अभिनेत्री टीना मुनीम से शादी की और दो साल तक राज्यसभा सदस्य रहे।

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कारोबार में लगे कई झटके

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में उन्हें अपने कारोबार में कई असफलताओं का सामना करना पड़ा। इन झटकों ने उन्हें अरबपतियों की सूची से बाहर कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लि. (DAMEPL) के पक्ष में दिये गये 8,000 करोड़ रुपये के मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले को रद्द कर दिया। 

यह निर्णय 2008 में डीएएमईपीएल (अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सब्सिडियरी कंपनी) और दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के बीच हुए ‘रियायती समझौते’ से उत्पन्न विवाद के मामले में था। न्यायालय ने डीएएमईपीएल को मध्यस्थता फैसले के अनुसार, दिल्ली मेट्रो रेल द्वारा पहले भुगतान की गई सभी रकम वापस करने को कहा। डीएमआरसी ने रिलायंस इन्फ्रा की इकाई को 3,300 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। इसे अब वापस करना है।

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रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. ने क्या कहा

अनिल अंबानी की रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश से उसपर कोई देनदारी नहीं बनती है। कंपनी ने कहा, “रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर यह स्पष्ट करना चाहती है कि न्यायालय के 10 अप्रैल, 2024 को पारित आदेश में कंपनी पर कोई दायित्व नहीं डाला गया है और कंपनी को मध्यस्थता निर्णय के तहत डीएमआरसी/डीएएमईपीएल से कोई पैसा भी नहीं मिला है।’’ डीएएमईपीएल भले ही रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की सब्सिडियरी कंपनी है। यह एक अलग इकाई है और देनदारी उसपर आती है।

दोनों भाइयों के बीच विवाद

धीरूभाई को साल 1986 में दौरा पड़ने के बाद अनिल ने अपने पिता की देखरेख में रिलायंस के वित्तीय मामलों को संभाला था। अपने पिता की 2002 में मृत्यु के बाद उन्होंने और उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने रिलायंस कंपनियों को संयुक्त रूप से संभाला। लेकिन जल्द ही उनके बीच नियंत्रण को लेकर विवाद शुरू हो गया। 

परिणामस्वरूप कारोबार का विभाजन हो गया। मुकेश को कंपनी का प्रमुख कारोबार तेल और पेट्रो रसायन की जिम्मेदारी मिली जबकि अनिल ने 2005 के विभाजन के जरिये दूरसंचार, बिजली उत्पादन और वित्तीय सेवाओं जैसे नये कारोबार का नियंत्रण हासिल किया।

जियो ने सबको छोड़ दिया पीछे

इसके बाद भी दोनों भाइयों के बीच विवाद खत्म नहीं हुआ। दोनों के बीच मुकेश की कंपनी से अनिल अंबानी की अगुवाई वाले समूह के बिजली संयंत्र को गैस की आपूर्ति को लेकर विवाद हुआ। बड़े भाई ने उच्चतम न्यायालय में मामला जीता। इसमें कहा गया कि पारिवारिक समझौता सरकार की आवंटन नीति को खत्म नहीं कर सकता। अनिल ने बुनियादी ढांचा, रक्षा और मनोरंजन कारोबार में विस्तार के लिए कर्ज लिया। 

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2009 में अनिल अंबानी की अगुवाई वाले समूह द्वारा उत्तर प्रदेश के दादरी में प्रस्तावित वृहद गैस-आधारित बिजली परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया। भाइयों के बीच गैर-प्रतिस्पर्धा उपबंध ने मुकेश को दूरसंचार से दूर रखा लेकिन 2010 में इस प्रावधान को समाप्त कर दिया गया। 

इसके बाद मुकेश ने इस क्षेत्र में तेजी से वापसी की। उन्होंने 4जी वायरलेस नेटवर्क बनाने के लिए अगले सात साल में 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया। इससे अनिल की रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) सहित कई कंपनियां प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गयीं। 

इसके साथ ही 2005 में एडलैब्स और 2008 में ड्रीमवर्क्स के साथ 1.2 अरब डॉलर के सौदे के साथ मनोरंजन कारोबार में उनका उद्यम सफल नहीं रहा। 2014 में उनकी बिजली और बुनियादी ढांचा कंपनियां भारी कर्ज में डूब गई।

अनिल अंबानी पर हो गया काफी कर्ज

अनिल ने अपनी कुछ कंपनियों के ऊपर कर्ज को लेकर निवेशकों की चिंताओं को दूर करने के लिए संपत्तियां बेचीं। उन्होंने बिग सिनेमा, रिलायंस बिग ब्रॉडकास्टिंग और बिग मैजिक जैसी कंपनियां बेचीं। देश में दूरसंचार क्रांति की शुरुआत करने वाली आरकॉम को कर्ज चुकाने के लिए दिवालिया कार्यवाही का सामना करना पड़ा। रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में भी उन्हें सफलता नहीं मिली। 

रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के एरिक्सन एबी की भारतीय इकाई को 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने में विफल रहने के बाद उच्चतम न्यायालय ने अनिल अंबानी को जेल में डालने की बात कही थी। न्यायालय ने उन्हें पैसा देने के लिए एक महीने का समय दिया। उस समय मुकेश अंबानी अपने भाई की मदद के लिए आगे आये थे। 

दिवालिया हुई रिलायंस कैपिटल

इतना ही नहीं तीन चीनी बैंकों ने 2019 में 68 करोड़ डॉलर के कर्ज चूक पर अनिल अंबनी को लंदन की अदालत में भी घसीटा था। इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना लि., चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ चाइना ने 2012 में उनके समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस को इस शर्त पर 92.5 करोड़ डॉलर का ऋण देने पर सहमति व्यक्त की थी कि वह व्यक्तिगत गारंटी प्रदान करेंगे। 

आरकॉम के कर्ज लौटाने में चूक के बाद तीनों बैंकों ने अंबानी पर मुकदमा किया। अनिल ने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर गैर-बाध्यकारी पत्र मात्र देने के लिए सहमत हुए। उन्होंने कभी भी उनकी व्यक्तिगत संपत्ति से जुड़ी गारंटी नहीं दी। मामला अब भी अदालत में है। रिलायंस कैपिटल ने 24,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड के मामले में चूक करने के बाद 2021 में दिवाला कार्यवाही के लिए आवेदन दिया है।

और पढ़ें:- गौतम नवलखा को चुकाने होंगे 1.64 करोड़, SC ने दिया आदेश।

Tags: Anil AmbaniDelhi Airport Metro Express Pvt Ltd.Delhi MetroReliance InfraSupreme Courtअनिल अंबानीदिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लि.दिल्ली मेट्रोरिलायंस इंफ्रासुप्रीम कोर्ट
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