डेढ़ महीने पहले संपन्न हुए चुनाव में ईवीएम के भरोसे पर बीजेपी को प्रचंड जीत मिली थी वरना जी वहाँ बीजेपी को कौन पूछता था, वह तो बिना चुनाव लड़े केजरीवाल साब की 350 सीटें आई होती लेकिन ससुरे अमित शाह ने न जाने कब जाकर ईवीएम ही छेड़ दी। जिस तरीके से अरविंद केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश चुनाव नतीजे के बाद हल्ला मचाया था, लग तो यही रहा था कि सबसे ज्यादा नुकसान उन्ही का हुआ है यूपी में। वरना काहे इतना चिल्लाते बहन मायावती के साथ मिलके? बहन मायावती का समझ में आता है वो अपने विलुप्त होती पार्टी के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है और ये दिखाना था की ईवीएम को छेड़ा नही जाता तो कम से कम 100 सीट जीत जाते, अमित शाह को ऐसे नही करना चाहिए था।
अच्छा मजे की बात तो यह थी अमित शाह जैसे चतुर राजनीतिज्ञ और चाणक्य और न जाने क्या क्या कहते है आप लोग लेकिन सच कहूँ तो मुझे कोई चाणक्य नहीं लगते, अरे ये भी कोई बात हुई एक राज्य विशेष उत्तर प्रदेश के लिए आप इतने व्यस्त हो गये की आपके अपनी सरकार वाले गोवा और पंजाब में जाकर आपको ईवीएम छेड़ने का समय नही मिला, ये क्या बात हुई? काहे के चाणक्य? अरे भाई चाणक्य तब मानूंगा मैं की जीतनी प्रचंड मात्रा में उत्तर प्रदेश में ईवीएम में खराबी कर पाए उतना ही पंजाब और गोवा में कर पातें तो बात होती कुछ। जहाँ जहाँ ईवीएम छेड़ पाये वहाँ छेड़ दिए जहाँ नहीं छेड़ पाये वहाँ विरोधियों को छेड़ दिए।
केजरीवाल जी तिलमिलाए सोच रहें हैं कि अब देखो दिल्ली में पहले ये बीजेपी वाले सिर्फ ईवीएम छेड़ते थे। MCD इलेक्शन में इन लोगो ने ईवीएम तो ईवीएम एग्जिट पोल भी छेड़ लिया जी, ये भी क्या तरीका है? अमित शाह जी इस देश में लोकतंत्र नाम की कोई चीज है की नहीं? यार ईवीएम तक ठीक था ये तुम एग्जिट पोल और जनता के दिमाग को जाकर छेड़ोगे तो यार हम नही खेलेंगे।
जो जनता आम आदमी पार्टी को वोट डालकर आयी थी वो भी सर्वे में बीजेपी का नाम ले रही है, यही तो स्कैम है। इसी के खिलाफ तो हमारी लड़ाई है जी।
ये मोदी जी भी न केजरीवाल जी को काम ही नही करने देते है। काम से याद आया बहुत दिनों से मूवी रिव्यु नही किया है सर जी ने। कमाल है गुरु जनता उधर ढूँढ रही है आपको रिव्यु के लिए इधर ईवीएम के चलते आपने तो अपना जॉब प्रोफाइल ही बदल लिया। सच में मुख्यमंत्री तो नही समझ रहे हो न आप खुद को? कहाँ आप भी ये ईवीएम के झंझट में फंस गए गुरु? मस्त मूवी देखते VIP केबिन में बैठकर, अपने सिसोदिया और कुमार सर को लेकर।
अब देखो न जब पूरी पार्टी ईवीएम पे चिल्ला रही है कुरता फाड़ के तो ये तुम्हारे कुमार विश्वास ने कोई कड़ी निंदा नहीं की। कड़ी तो छोडो दाल, मट्ठा, और तो और तुम्हारा पसंदीदा रायता वाली भी निंदा कर दी होती, लेकिन नही की तो आप समझ जाईये इनको प्रशांत भूषण बना डालिए।
अभी पिछले दिनों ही एक इंटरव्यू पर केजरीवाल सर 10 तरीके बतला रहे थे ईवीएम से छेड़छाड़ करने के। तो क्या? हाँ तो बता रहे थे, ये जरुरी नहीं है कि बतायेंगे। आप लोग भी यार पीछे ही पड़ जाते हो मतलब सर के। अरे भाई केजरीवाल सर है वो बताये याे नही बताये उनके बारे में आईडिया तो है ही आपको न उनके आगे गिरगिट भी शरमा जाता है। उनका मूड था तो कह दिया की 10 तरीके पता है। वो तो अच्छा है कि 10 ही तरीके कहा था मूड ख़राब होता न 100 तरीके कह देते तो क्या बिगाड़ लेते आप?
अच्छा आपको शायद सुनकर अजीब लगे लेकिन सच यही है की उत्तर प्रदेश छेड़छाड़ के मामले में दुसरे नंबर पर है ईवीएम अब भी सबसे ज्यादा छेड़े जाने के मामले में पहले नंबर पर है। किसी ने अगर योगी जी से कह दिया न तो वो वैसे इतने तेजी से फैसले लिए जा रहे है देर न करते हुए तुरंत ‘एंटी रोमियो स्क्वाड फॉर ईवीएम’ बना डालेंगे। केजरीवाल जी कहना है की बटन कोई भी दबाओ वोट मोदी को ही जाता है माने बीजेपी को नही जाता मोदी को जाता है। फिर मोदी सारे वोट कलेक्ट करके बीजेपी को ट्रान्सफर करते है लेकिन मीडिया ये सब नहीं बताएगा, सब मिले हुए है जी। केजरीवाल जी की मान ले तो जनता भी मिली हुई है मोदी से क्योंकि ‘आप’ को वोट देकर सर्वे में बीजेपी का नाम ले रही है जी। केजरीवाल जी ने तो EVM का नाम ही बदल कर EVM माने Everybody Voted Modi (EVM) कर डाला है। वैसे मैं केजरीवाल जी के ‘ईवीएम से छेड़छाड़ हुई है’ वाली दलील से सहमत हूँ जी अगर छेड़छाड़ नहीं होती तो आप ही बताइए जिस पार्टी ने पिछले दो साल में सिर्फ नौटंकी की है, घोटाले किये है, उसको 48 सीट मिल रही है MCD में तो लगता है छेड़छाड़ तो हुई है वरना केजरीवाल जी की दो साल की नौटंकी देखने के बाद 48 सीटें कुछ ज्यादा नही हो गई?
सिसोदिया ने कहा कि भाजपा ने 2009 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद ईवीएम में छेड़छाड़ को लेकर ‘रिसर्च’ कर रही थी। और 2014 से वो लगातार ईवीएम में छेड़छाड़ से जीत रही है। सर आपने 2009 के बाद जब अडवाणी के नेतृत्व में बीजेपी हार गयी थी तब मोदी जी को एक दिव्य स्वप्न आया था जिसमे उन्हें पता चल गया था की उन्हें प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाया जायेगा बस फिर क्या था ? उन्होंने अपने चाणक्य को लगा दिया रिसर्च पर ईवीएम हैक करने के लिए। गुरु शाह भी कम नही है पूरी बुक लिख डाली “ईवीएम छेड़ने के 101 तरीके” लेकिन बुक पब्लिश नही होने दी और फिर शुरू हुआ ईवीएम हैक का कारनामा और जैसे ही मोदी उमीदवार बने इन्होने सबसे पहले 2014 के आम चुनाव में प्रचंड तरीके से देश भर में कांग्रेस सरकारों के राज्यों में भी ईवीएम हैक करवाए और मोदी जी को प्रधानमंत्री बनवाया। आडवानी बेचारे सोचते ही रह गए की काश उन्होंने भी रिसर्च किया होता ईवीएम हैक करने में तो आज राष्ट्रपति की लिस्ट में उनका नाम दुसरे नंबर पर नही होता।
हालांकि पूर्व चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा, “जो मशीन भारत में इस्तेमाल की जाती है, मुझे नहीं लगता कि उन्हें हैक किया जा सकता है।” अब इन्हें कौन समझाए की ये सब तो हमारे केजरीवाल सर को भी पता है की ईवीएम को कोई नहीं छेड़ सकता लेकिन उनकी पार्टी की हार की जिम्मेदारी फिर कौन लेगा जी। होशियार है हमारे केजरीवाल जी, ऐसे ही नही मुख्यमंत्री बने दिल्ली को दो बार बनाके। और अगर ईवीएम नहीं बोलेंगे तो ये मीडिया दो दिन के बाद दिखाना बंद कर देगी। तो भाई पब्लिसिटी भी करनी है, मीडिया फुटेज भी जरुरी है आखिर 2019 के लिए जमीन बनानी है न, अभी से टीवी पर झलकते रहेंगे तो तो 2019 में सब पहचानेंगे वरना फिर मोदी जी से हार जायेंगे। जैसे ट्रेन से बनारस गए थे 500 रु लेकर और हरने के बाद प्लेन से वापस आ गए थे।