हाल ही में आईआईटी मद्रास में विवाद खड़ा हो गया है, जब महिला हॉस्टल में एक 19 वर्षीय युवती का मृत शरीर उसके हॉस्टल रूम में लटकता हुआ पाया गया। फातिमा लतीफ़ नामक इस युवती ने अपने शिक्षकों के भेदभाव से आहत होकर ये कदम उठाया, जिसे उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा है।
शुरूआती रिपोर्ट के अनुसार पता चला है कि प्रोफेसर सुदर्शन पद्मनाभान फातिमा की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार है। फातिमा ने इसके बारे में अपने सुसाइड नोट में उल्लेख भी किया है। नोट के अनुसार, “सुदर्शन पद्मनाभान मेरी मृत्यु के लिए दोषी होंगे।”
परंतु जैसे ही सुदर्शन पद्मनाभान का बैकग्राउंड सामने आया, हमारे वामपंथी ब्रिगेड ने सोशल मीडिया पर अपना विषैला एजेंडा फैलाना शुरू कर दिया। कई सारे ट्वीट्स में फातिमा लतीफ़ को न्याय दिलाने पर कम, और रोहित वेमुला के केस की भांति जातिवाद का विष फैलाने ज्यादा होने लगा। स्थिति तो यहां तक पहुंच गयी कि ‘द्रोणाचार्यों का नाश हो’ जैसे ट्वीट्स ट्विटर पर ट्रेंड होने लगे।–
This is the 3rd case.
1. Rohith Vemula
2. Payal tadvi
3. Fathima LathifEnough is Enough 😡😡#JusticeForFathimaLatheef pic.twitter.com/BLn6UkXWsd
— υzzιє (@imuzzie07) November 13, 2019
एक ट्विटर यूजर ने दावा किया कि फातिमा इस्लामोफोबिया का शिकार बनी। उसके अनुसार, “इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि सुदर्शन पद्मनाभान जैसा हत्यारा संघियों का प्रिय है। उनके लालच के कारण एक छोटी सी लड़की की बलि चढ़ा दी गयी”।
It isn’t surprising that the MURDERER Sudarshan Padmanabhan, who used to harass Fathima for being a Muslim, is a Sanghi favorite. They seek extermination of Muslims institutionally & their bloodlust has just claimed a young life. #JusticeForFathima #JusticeForFathimaLatheef pic.twitter.com/8cyhHu8FeT
— Rameez Akbar Khan Mayo (@MayoZaada) November 13, 2019
केवल इतना ही नहीं, हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस प्रोपेगेंडा को उछालते हुए रीट्वीट किया।
डॉ॰ कफील खान, जिन्हें लिबरल ब्रिगेड ने गोरखपुर में जापानी बुखार वाले त्रासदी के बाद उनके कथित परोपकार के लिए सर आँखों पर बैठाया था, स्वयं फातिमा लतीफ़ को न्याय दिलाने के नाम पर प्रोपगैंडा फैलाते दिखाई दिये। उनके अनुसार, “इस छात्रा को इसलिए आत्महत्या करनी पड़ी क्योंकि जाति धर्म के नाम पर कथित रूप से सुदर्शन नामी प्रोफ़ेसर परेशान कर रहा था, छात्रा के पिता का कहना है कि मेरी बेटी को जातिवादी और धार्मिक भेदभाव का सामना करना पड़ा है, उन्हें इंसाफ चाहिए”।
The parents of 19-year-old Fathima Latheef,IIT Madras) student who committed suicide,alleged that their daughter took the extreme step after being mentally harassed by her faculty member, Sudarsan Padmanabhan.@narendramodi #JusticeForFathimaLatheefhttps://t.co/ginrraAwqh
— Dr Kafeel Khan (@drkafeelkhan) November 13, 2019
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सुसाइड नोट में केवल सुदर्शन पद्मनाभन का फातिमा की ‘मृत्यु का कारण’ होना बताया है। इस नोट में धार्मिक भेदभाव या इस्लामोफोबिया के प्रति कोई संदर्भ नहीं है। इस आत्महत्या के पीछे का वास्तविक कारण क्या था, इसकी जांच करने का दायित्व पुलिस पर है। परंतु मृतक के धर्म और शिक्षक की ब्राह्मण पृष्ठभूमि को देखते हुए कुछ लोग आत्महत्या के मामले में इस्लामोफोबिया का तर्क देने की कोशिश कर रहे हैं और आत्महत्या मामले के पीछे धार्मिक भेदभाव के एक काल्पनिक कारण को थोपना चाहते हैं। ये अवसरवादी संगठन और व्यक्ति इस त्रासदी को अपने स्वार्थ के लिए उपयोग में लाना चाहते हैं ताकि इस्लामोफोबिया या मुसलमानों के खिलाफ संस्थागत भेदभाव के झूठे आरोप लगा सकें। स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया (SIO) ने ट्वीट किया, “SIO फ़ातिमा शैफ़ की संस्थागत और इस्लामोफोबिक हत्या की कड़ी निंदा करता है।”
SIO strongly condemns institutional and Islamophobic murder of Fathima Lateef. #JusticeForFathimaLatheef #sioindia @sioindia @iitmadras @HRDMinistry @CMOKerala @CMOTamilNadu pic.twitter.com/hfkUx6EVfo
— Syed Azharuddin (@SyedAzhars) November 13, 2019
परंतु इस प्रोपगैंडा के वायरल होते ही संस्थान के विद्यार्थी भी मैदान में उतर पड़े और उन्होंने इन प्रोपगेंडावादियों को एक्स्पोज़ करना प्रारम्भ कर दिया।
एक स्टूडेंट ने ट्वीट किया, “यहाँ का एक विद्यार्थी होने के नाते मैं कह सकता हूँ कि मेरा संस्थान इस्लाम विरोधी नहीं है। पुलिस को जांच करने दिये और सत्य सामने आने दीजिये। यदि प्रोफेसर दोषी हैं, तो उन्हे अवश्य दंडित करना चाहिए। बिना ठोस आधार के ऐसे धार्मिक उन्माद को बढ़ावा न दें”।
As a student studying here, IITM is not islamophobic. Let the police investigate and truth come out. If the prof is found guilty he should be punished
Dont just jump to religious conclusions without concrete proof.— IITian (@IITian_chora_) November 13, 2019
एक और स्टूडेंट ने ट्वीट किया, “जो #जस्टिसफॉरफातिमालतीफ़ ट्रेंड कर रहे थे, उनके लिए एक निवेदन। मैं इसी संस्थान का एक विद्यार्थी हूँ और ऐसा कोई भेदभाव नहीं हो रहा है। मेरे मुस्लिम मित्रों में से एक क्लास टॉपर है और हम यहाँ बिना किसी भेदभाव के मिलजुलकर रहते हैं”। अगले पोस्ट में इसी व्यक्ति ने बताया है कि कैसे हमारा वर्तमान एजुकेशन सिस्टम की खामियों के कारण फातिमा जैसे कई मामले सामने आते हैं, न कि धार्मिक भेदभाव के कारण –
Request to those trending #JusticeForFathimaLatheef.
I study in IIT Madras, and there is no discrimination going on here. One of my Muslim friends is the class topper, and we live here in harmony without any division or difference. Nice post below. Do read it 👇 pic.twitter.com/aChpYWr49L
— Ashwin 🇮🇳 (@ashTwenty5) November 13, 2019
अब इसी प्रोपगैंडा को ध्वस्त करते हुए कुछ तथ्य सामने आए हैं, जहां पर मृतका ने दो और प्रोफ़ेसरों को अपने हालत के लिए दोषी ठहराया। फातिमा के सुसाइड नोट के अनुसार, “मेरी मृत्यु होने पर मेरी मृत्यु के मामले में, इसे मेरा अंतिम बयान माना जाना चाहिए। मुझे कभी एहसास नहीं हुआ कि मैं अपने घर को इतना मिस करूंगी। मैं इस जगह से घृणा करती हूँ। मैं अपने घर के लिए कैसे तरस रही हूं, और मेरी मृत्यु के स्थिति में सारा दोष हेमाचंद्रन कराह और मिलिंद ब्राह्मे पर रहेगा”।
अब रोचक बात तो यह है कि मिलिंद ब्राहमे न केवल जेएनयू से पीएचडी हैं, बल्कि आईआईटी मद्रास में एक स्वतंत्र विद्यार्थी संगठन के फ़ैकल्टी एड्वाइज़र भी हैं, जिसका नाम है अंबेडकर पेरियार स्टडी सर्कल। ऐसे में सभी प्रकार के बेतुके आरोप, जैसे इस्लामोफोबिया, ब्राह्मणवादी वर्चस्व इत्यादि को ध्वस्त करता है। अंबेडकर-पेरियार स्टडी सर्किल वही संगठन है जिसने कथित तौर पर IIT मद्रास के सभी मेस में अनिवार्य मांसाहारी भोजन का समर्थन किया था।
इस आत्महत्या को ‘ब्राह्मण बनाम मुस्लिम’ एंगल देने की कोशिश की गई। परंतु सुसाइड नोट में जिन प्रोफेसर का उल्लेख किया गया है, उनमें से एक अम्बेडकरवादी होने के कारण, मामला पूरी तरह एक्सपोज हो गया है। संस्थान के छात्रों ने पहले से ही धार्मिक भेदभाव और सांप्रदायिक पूर्वाग्रह के आरोपों को उजागर किया है और देश में अराजकता फैलाने का एक प्लान टेक ऑफ करने से पहले ही क्रैश कर चुका है।