कल यानि रविवार को दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंसा देखी गई, कारण था नागरिक संशोधन कानून का विरोध प्रदर्शन और फिर इस प्रदर्शन का हिंसक स्वरूप लेना और पत्थरबाजी करना। प्रदर्शन के नाम पर हिंसा यहीं नहीं रुका और यह हिंदुओं से आज़ादी की मांग तक पहुंच गया। पुलिस ने भी कार्रवाई करते हुए भीड़ और पत्थरबाजों को तितर बितर करने के लिए आसूं गैस भी छोड़े।
दरअसल, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में पहले यह प्रदर्शन शांति पूर्ण तरीके से नागरिक संशोधन कानून के विरोध में शुरू हुआ और फिर इसने धीरे-धीरे हिंसक स्वरूप ले लिया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने 3 बसों में आग लगा दी है। इस पर फायर ब्रिगेड की चार गाड़ियां मौके पर पहुंची थीं। बसों में लगी आग बुझाने के दौरान ही छात्रों ने गाड़ियों पर हमला कर दिया, जिससे एक फायरमैन घायल हो गया है। दक्षिण दिल्ली के कुछ हिस्सों जैसे मथुरा रोड, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, जामिया नगर और सराय जुलाना में 1,000 प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की कम से कम छह बसों में आग लगा दी और साथ ही 50 से अधिक वाहनों में आगजनी की गयी। पत्थरबाजी से 12 पुलिसकर्मियों के घायल होने और उनमें से दो के दिल्ली विश्वविद्यालय के आईसीयू में भर्ती होने की खबरें आई थीं।
यह प्रदर्शन केवल पुलिस पर हमलों तक सीमित नहीं रहा बल्कि, देश के हिंदुओं के खिलाफ नारे भी लगाए गए। स्पष्ट रूप से इस कानून का विरोध अब पूरी तरह से सांप्रदायिकता का रंग ले चुका है। विरोध करने वाले जामिया छात्रों को “हिंदुओं से आज़ादी” का नारा लगाते हुए सुना गया है – वही नारा जो 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे के दौरान उठाए गए थे, वही नारा जो भारत के विभाजन का ऐतिहासिक कारण बना था।
In Jamia University, in the heart of Delhi, this j!hadi mob is openly giving a clarion call to seek azadi from Hindus – "Hinduon Se Azadi". Similar slogans were railed during the Direct Action Day in 1946 and in 1990s in Kashmir.
Cc @DelhiPolice @CPDelhi https://t.co/a99EnWS983— The Lazy Lawyer (@BBTheorist) December 15, 2019
हिंसक प्रदर्शन के दौरान AAP विधायक अमानतुल्ला खान के उन इलाकों में भी होने की खबर मिली। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि यात्रियों के साथ बसों में आग लगा दी गई। यह हिंसक भीड़ सिर्फ सार्वजनिक संपत्ति और बसों को निशाना नहीं बना रही थी, बल्कि वे बस में यात्रा कर रहे निर्दोष यात्रियों के जीवन के साथ भी खिलवाड़ कर रहे थे।
#WATCH Earlier today AAP MLA Amanatullah Khan was seen in the area in Delhi where violent protests took place, police sources tell ANI that they are investigating elements that caused violence. #CitizenshipAmendmentAct pic.twitter.com/3Guwak4sDJ
— ANI (@ANI) December 15, 2019
Delhi: Delhi Transport Corporation (DTC) buses set ablaze by protesters near Bharat Nagar over #CitizenshipAmendmentAct. One fire tender was rushed to the spot. Two firemen also injured. More details awaited. pic.twitter.com/j6vH9tG8O4
— ANI (@ANI) December 15, 2019
हिंसक विरोध प्रदर्शन में AAP विधायक के शामिल होने से राष्ट्रीय राजधानी में हिंसा भड़काने की दिशा में एक नया मोड़ आया है। झूठ की चरम सीमा तब पार कर गयी जब दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने यह कहा कि बसों को पुलिस की निगरानी में जलाया गया था।
Shocking that buses were put on fire by protestors in Jamia Nagar with passengers in it… And people expect Delhi police to be mute spectators… #AAPBurningDelhi pic.twitter.com/s48ROgZtgJ
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 15, 2019
उन्होंने कहा, “भाजपा लोगों की संपत्ति में आग लगा रही है क्योंकि वे चुनाव हारने से डरती है … इस वीडियो में, आप देख सकते हैं कि वे पुलिस के संरक्षण में आग लगा रहे हैं।” हालांकि, उनके झूठ का पर्दाफाश खुद दिल्ली पुलिस ने किया है। दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त पीआरओ अनिल मित्तल ने कहा, “पुलिस ने बसों में आग लगाई नहीं बल्कि बुझाई थी, कर्मचारी आग की लपटों और बस में पानी डाल रहे थे।”
Thank god the water bottle is clearly visible in this video. Won't suit the "Delhi Police was the one setting buses on fire" narrative. pic.twitter.com/yxedBG1TGo
— Raj Shekhar Jha (@rajshekharTOI) December 15, 2019
जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय में यह व्यापक सांप्रदायिक प्रदर्शन, पत्थरबाजी, आगजनी और AAP विधायक की मौजूदगी बताती है कि हिंसा अपने आप नहीं हुई बल्कि यह भयावह साजिश का हिस्सा है। हिंसा के पीछे राजनीतिक कोण इस बात से और स्पष्ट हो जाता है कि कैसे पूरा AAP नेतृत्व बस की आग के बारे में फर्जी खबरें फैलाता रहा। AAP और जामिया के छात्र अब स्पष्ट रूप से सवालों के घेरे में हैं, इसके बावजूद मानवाधिकार के नाम पर सवाल दिल्ली पुलिस से किया जा रहा है।