बड़े दिनों तक गुमनाम रहने के बाद पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी एक बार फिर से सुर्खियों में है, और इस बार भी गलत कारणों से। हाल ही में काँग्रेस सांसद शशि थरूर के पुस्तक के विमोचन के अवसर पर हामिद अंसारी ने एक बार फिर राष्ट्रवाद के विरुद्ध विष उगला और उसे वुहान वायरस की महामारी से भी भयानक बताया।
हाल ही में हामिद अंसारी शशि थरूर के पुस्तक ‘The Battle of Belonging’ के ऑनलाइन विमोचन में हिस्सा लेने आए। उनके अनुसार, “केवल चार वर्षों में भारत ने एक लंबी यात्रा की है। अपने नागरिक राष्ट्रवाद की आधारशिला को त्यागकर भारत ने एक नए प्रकार के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को अपनाया है, जो अब जनमानस में रच बस चुका है।”
परंतु महोदय वहीं पर नहीं रुके। वे आगे बताते हैं, “एक विविध समाज का काल्पनिक इतिहास के आधार पर एकाकीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है। वुहान वायरस जैसी महामारी तो बहुत बुरी है ही, पर उससे पहले हमारा समाज इससे भी बुरी बीमारी से जूझ रहा है – धर्मांधता और उग्र राष्ट्रवाद। धर्मांधता का अर्थ है अपने धर्म के लिए अपार प्रेम, उसके लिए आक्रामक होना और दूसरे धर्मों को नीच दिखाना। समाज और सरकार द्वारा इस वातावरण को लागू करने का दबाव भी बनाया जा रहा है।”
इसी को कहते हैं, रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। 2007 से 2017 तक देश के उपराष्ट्रपति रहने के बाद भी हामिद अंसारी को तनिक भी शिष्टाचार नहीं प्राप्त हुआ। वे भले ही मोदी सरकार को निशाने पर लेने का प्रयास कर रहे हों, परंतु सच्चाई यह भी है कि असल में वे केवल अपनी बात न मनवा पाने की कुंठा जगजाहिर कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने यूं ही नहीं हामिद अंसारी के पद छोड़ने पर उनकी खिंचाई करते हुए कहा था कि उनका सोचने का दायर बहुत ही संकुचित है।
हामिद अंसारी वही व्यक्ति है जिनके ऊपर कट्टरपंथी इस्लाम को बढ़ावा देने वाले संगठनों का समर्थन करने से लेकर बतौर आईएफ़एस अफसर अपने मिडिल ईस्ट के कार्यकाल में रॉ अफसरों की जान खतरे में डालने तक के आरोप हैं। उदाहरण के लिए 2019 में प्रकाशित द संडे गार्डियन में अभिनंदन मिश्रा की एक रिपोर्ट के अनुसार रॉ के पूर्व अधिकारियों ने हामिद अंसारी के खिलाफ जांच की मांग की थी जिसमें उनके खिलाफ रॉ के ‘ऑपरेशन को क्षति को पहुंचाने’ का आरोप लगाया गया था।
बता दें कि वर्ष 1990 में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ईरान की राजधानी तेहरान में राजदूत की हैसियत से तैनात थे, और रॉ के पूर्व अधिकारियों के मुताबिक वहां तैनाती के दौरान उन्होंने जमकर देशहित के खिलाफ काम किया। इन अधिकारियों ने प्रधानमंत्री से पहली बार अगस्त 2017 में अंसारी के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की थी। शिकायत करने वाले अधिकारियों में से एक, रॉ से वर्ष 2010 में रिटायर हुये एन के सूद थे, जिन्होंने संडे गार्डियन को बताया कि हामिद अंसारी ने तो ईरान में रॉ के केंद्र को बंद करने की सलाह तक दे डाली थी। सूद ने कई ऐसे मौके बताए जब अंसारी ने अपनी कर्तव्यों को सही से नहीं निभाया।
इसके अलावा हामिद अंसारी को आतंकी संगठन पीएफआई का समर्थन करते हुए भी पाया गया है। 2017 में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने केरल के कोझिकोड में हुए एक समारोह में भाग लिया था। इस कार्यक्रम का सह-आयोजन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफआई) की महिला शाखा ‘राष्ट्रीय महिला मोर्चा’ (एन डब्ल्यू ऍफ़) ने किया था। ऐसा संगठन जिस पर युवाओं को इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल करवाने के आरोप हैं उस पीएफआई के कार्यक्रम में हामिद अंसारी के भाग लेने से ये स्पष्ट होता है कि उनकी वफादारी आखिर किसके प्रति अधिक है।
ऐसे में राष्ट्रवाद को वुहान वायरस से भी हानिकारक बताकर हामिद अंसारी ने सिद्ध किया है कि आखिर क्यों उनका उपराष्ट्रपति होना भारत के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं था, और आखिर क्यों वे इतने वर्षों से अपने बयानों के कारण हंसी के पात्र बने हुए हैं।