जब से बाइडन सत्ता में आये हैं उन्होंने एक के बाद एक उन देशों को निशाना बनाया है जो ट्रम्प शासन के दौरान अमेरिकी विदेश नीति का प्रमुख अंग थे। दरअसल अमेरिका में सत्तासीन डेमोक्रेटिक पार्टी स्वयं को लोकतंत्र का चैंपियन सिद्ध करने की सनक में अमेरिका के व्यापक हितों को नुकसान पहुंचा रही है। बाइडन शासन में अमेरिका के इजराइल और सऊदी जैसे देशों से सम्बंध तल्ख हुए और अब अमेरिका में कुछ तबकों द्वारा भारत को निशाना बनाया जा रहा है।
वैश्विक स्तर पर वामपंथी उदारवादी राजनीति का नेतृत्व करने वाले स्वार्थी तत्वों ने अमेरिका भारत सम्बंध बिगाड़ने के लिए एक नई योजना बनाई है। अमेरिका स्थित तथाकथित डेमोक्रेसी वाचडॉग Freedom House ने भारत को लोकतांत्रिक देशों की रेटिंग में Free स्टेट से हटाकर Partially Free अर्थात अर्धस्वतंत्र देश की सूची में रख दिया है। इससे भी आगे बढ़ते हुए इस संस्था ने जम्मू कश्मीर को भारत के मानचित्र से अलग कर प्रदर्शित किया है।
BREAKING: India is not rated "Free" in Freedom in the World 2021. Political rights and civil liberties have eroded in India since Narendra Modi became prime minister in 2014, causing the country to drop from Free to Partly Free in 2020. #FreedomInTheWorld https://t.co/HuNzEAc6Nw pic.twitter.com/mae0CmGpi5
— Freedom House (@freedomhouse) March 3, 2021
इसकी जानकारी देते हुए संस्था ने कहा “भारत विश्व में स्वतंत्रता की सूची में 2021 में स्वतंत्र देशों की सूची में स्थान नहीं बना सका।2014 में जबसे नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने है राजनीतिक अधिकार और नागरिक स्वतंत्रता भारत में गायब हो रही है। जिसके कारण देश को स्वतंत्र से अर्ध स्वतंत्र देश की सूची में डाल दिया गया है।”
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की न्यायव्यवस्था स्वतंत्र नहीं है, भारत में राजनीतिक आंदोलनों की स्वतंत्रता कम हो गई है, भारत में मुस्लिम समुदाय के अधिकारी सुरक्षित नहीं है। आरोप है कि राममंदिर का फैसला न्यायालय को प्रभाव में लेकर सरकार ने करवाया था। लगभग वही सब बातें दोहराई गई हैं जो वामपंथी उदारवादी प्रोपोगेंडा मशीन भारत में कहती हैं। CAA बिल को मुस्लिम विरोधी बताया गया है और यह भी बकवास छापी गई है कि सरकार NRC लागू करने के लिए कदम उठा रही है। फरवरी दंगों में, जिसमें हिन्दू और मुस्लिम दोनों मारे गए थे, उसका उल्लेख करते हुए रिपोर्ट कहती है कि यह हिंसा मुस्लिमों को निशाना बनाकर की गई थी।
जमीनी हकीकत से कोसों दूर रहते हुए यह रिपोर्ट में बताती है कि सरकार ने बिना तैयारी के लॉकडाउन लागू किया। रिपोर्ट लिखने वालों ने भारत सरकार द्वारा दिये गए मुफ्त राशन, गरीब तबके को मिली आर्थिक मदद आदि को नजरअंदाज कर दिया। प्रत्येक आम भारतीय जानता है कि भारत की विविधता और पिछड़े हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के बाद भी, भारतीय चिकित्सकों, वैज्ञानिकों, पुलिसकर्मियों आदि की मेहनत और प्रधानमंत्री मोदी की सूझबूझ का नतीजा है, कि भारत में कोरोना का प्रकोप थमा रहा।
ऐसा लगता है कि रिपोर्ट लिखने वालों ने कुछ चुने हुए सरकार विरोधी ट्विटर हैंडल को ही अपने अध्ययन की विषयवस्तु बनाया है, रिपोर्ट पढ़ कर ऐसा लगता है जैसे संस्था की राजनीतिक समझ बहुत कम है और रिपोर्ट लिखने वाले का IQ स्तर बहुत नीचे।
महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसी सभी बातें भारत और अमेरिका के रिश्तों को नुकसान पहुंचा रही हैं। हाल ही में टूलकिट प्रकरण के समय कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस ने भी, ऐसे ही भारत विरोधी प्रोपोगेंडा को बढ़ाया था। अमेरिका के वामपंथी उदारवादी राजनीतिक धड़े ने यह ठान लिया है कि वह दक्षिणपंथी राजनीतिक ताकतों के विरुद्ध वैश्विक स्तर पर संघर्ष को आगे बढ़ाएंगे। यही कारण है कि वह बिना सोचे समझे दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में नाक घुसा रहे हैं। हाल ही में खबर आई थी कि बाइडन प्रशासन इजराइल में भी ऐसी ही नीति अपना रहा है। वहाँ भी नेतन्याहू का केवल इसलिए विरोध हो रहा है क्योंकि वह दक्षिणपंथी राजनेता हैं।
वामपंथी उदारवादी राजनीति हमेशा से ही अंतरराष्ट्रीय प्रोपोगेंडा को अपना हथियार बनाए हुए है। इसी कारण Freedom House जैसे थिंकटैंक तब कुछ नहीं बोलते जब बाइडन, अपने राजनीतिक स्वार्थ के कारण, सीरिया में बमबारी करवा देते हैं अथवा ओबामा अपनी मूर्खता से पूरे मिडिलईस्ट को आग में झोंक देते हैं। ऐसे संस्थान एक महत्वपूर्ण तथ्य को नजरअंदाज कर रहे हैं की वैश्विक पावर स्ट्रक्चर में चीन के विरुद्ध महाशक्ति बने रहने के लिए अमेरिका को भारत की आवश्यकता है, रही बात भारत की तो हम वैश्विक राजनीति में अपना उचित स्थान बिना किसी की सहायता के भी प्राप्त करने में सक्षम है।