वर्ष 1979 में चीन ने अपनी आबादी पर लगाम लगाने के लिए देशभर में One Child नीति को लागू किया था। हालांकि, अब जाकर चीनी सरकार को अपने उस फैसले पर पछताना पड़ रहा है। कारण है चीन में खतरनाक स्तर तक नीचे गिरता जन्म दर! वर्ष 2019 में चीन में प्रति हज़ार लोगों पर जन्म दर केवल 10.48 तक गिर गया था जो सात दशकों में सबसे कम था। वर्ष 2016 में चीन ने देश से One Child नीति को हटाकर दंपत्तियों को दो बच्चे पैदा करने की छूट दी थी, लेकिन उससे भी कोई खास फर्क नहीं पड़ा! अब चीन के केंद्रीय बैंक ने अपनी सरकार से कहा है कि अगर भविष्य में चीन को भारत और US जैसे देशों की इकॉनमी का मुक़ाबला करना है तो प्रत्येक दंपत्ति को 3 या उससे भी ज़्यादा बच्चे पैदा करने की छूट देनी होगी!
BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार आज के समय चीन की जन्म दर अमेरिका से भी कम है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में वर्ष 2017 में प्रति एक हज़ार लोगों पर जन्म दर 12 थी, को कि चीन से ज़्यादा है। दूसरी ओर वर्ष 2016 में भारत में प्रति हज़ार लोगों पर जन्म दर 19.3 थी। इससे आप समझ सकते हैं कि आबादी के लिहाज से चीन कैसे अमेरिका और भारत से पिछड़ता जा रहा है। इसपर चीनी बैंक ने खास चिंता जताई है।
चीन के सरकारी People’s Bank of China ने अपनी रिपोर्ट में कहा “वैसे तो चीन की आर्थिक विकास दर भारत से अधिक ही रही है लेकिन युवा आबादी के कारण पिछले कुछ सालों में भारत ने तेजी से विकास किया है। अगले 10 सालों में चीन में बूढ़ों की संख्या बढ़ेगी जबकि भारत में युवा आबादी अपने चरम पर होगी। भारत में वर्ष 2050 तक 111 करोड़ की विशाल workforce होगी जो कि चीन के मुक़ाबले लगभग 30 करोड़ ज़्यादा होगी”।
आगे बैंक अपनी रिपोर्ट में लिखता है “वर्ष 2019 में भारत में बुज़ुर्गों की आबादी सिर्फ 6.4 प्रतिशत थी, जो कि चीन के मुक़ाबले 6.2 प्रतिशत कम था। वर्ष 2050 तक यह फासला 12.3 प्रतिशत बढ़ जाएगा।” अमेरिका के लिए बैंक ने कहा है कि अमेरिका में दूसरे देशों से बड़ी संख्या में लोग आकर रहते हैं, जिसके कारण अमेरिका के सामने workforce की कोई खास समस्या पेश नहीं आएगी। ऐसे में बैंक ने चीनी सरकार को प्रस्ताव दिया है कि चीन को देश में जन्मदर को बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए और प्रत्येक दंपत्ति को 3 से अधिक बच्चे पैदा करने की अनुमति देनी चाहिए। रिपोर्ट के आखिर में लिखा है “चीनी सरकार को ज़्यादा बच्चे पैदा करने को प्रोत्साहित करना होगा। यह सिर्फ दंपत्ति का ही काम नहीं है बल्कि सरकार और समाज का भी काम है।”
यह दर्शाता है कि चीन भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत से कितना घबराया हुआ है। चीनी सरकार अगर अपने नागरिकों पर ज़्यादा बच्चे पैदा करने का दबाव बनाती भी है, तो शायद ही इसका कोई प्रभाव पड़े। ऐसा इसलिए क्योंकि करियर और संघर्ष के चलते आजकल चीनी युवाओं में सिंगल रहने के चलन बढ़ रहा है। चीन की महिलाएं “बेवजह” के बंधनों में बंधने की बजाय अपने करियर में आगे बढ़ना पसंद कर रही हैं, जिसके कारण चीन में शादियाँ भी कम हो रही हैं। ऐसे में अगर चीनी सरकार अपने दंपत्तियों पर चार या पाँच बच्चे पैदा करने का दबाव बनाती भी है तो शायद ही उससे चीन की जन्म दर बढ़ाने में कोई सहायता हासिल हो!