प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की केंद्रीय मंत्रिमंडल का कल विस्तार हुआ। इस कैबिनेट फेरबदल में 36 नए चेहरे शामिल किये गए तथा 7 मंत्री पदोन्नत हुए। कुल 43 मंत्रियों ने शपथ ली। पूरे कैबिनेट पर नजर डालें तो यह बदलाव बेहद ही सूक्षमता से सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर किया गया है। देश के सभी राज्यों से लेकर सभी वर्गों तक को स्थान मिला है। उत्तर प्रदेश, जो यकीनन सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक राज्य है, उसको सबसे अधिक 7 मंत्री मिले हैं। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह और महत्वपूर्ण हो जाता है। राज्य से 7 मंत्रियों को स्थान मिलना दिखाता है कि बीजेपी ने मंत्रियों की मेहनत के साथ-साथ जातिगत राजनीति को भी ध्यान में रखा है।
प्रदेश से 7 मंत्रियों में महराजगंज से सांसद पंकज चौधरी, अनुप्रिया सिंह पटेल, सत्य पाल सिंह बघेल, भानु प्रताप सिंह वर्मा, कौशल किशोर, बीएल वर्मा, और अजय कुमार को स्थान मिला है। राज्यसभा सांसद हरदीप सिंह पुरी को मिला दें तो ये संख्या 8 हो जाती है।
Total 8 Ministers from Uttar Pradesh.
1. Hardeep Singh Puri- Minister of Petroleum and Natural Gas and Minister of Housing and Urban Affairs
2. Pankaj Choudhary-MoS for Finance
3. Anupriya Singh Patel-MoS Ministry of Commerce and Industry#CabinetReshuffle2021
— अभिनव (@abhinavpratap_s) July 8, 2021
एसपी सिंह बघेल और बी एल वर्मा, उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख बीजेपी ओबीसी नेता हैं। इससे न सिर्फ राज्य के चुनावों में OBC वोट साधने में आसानी होगी, बल्कि प्रतिनिधित्व बढ़ने से जनता का विश्वास भी हासिल होगा। पांच बार के सांसद सत्य पाल सिंह बघेल वर्तमान में भाजपा सांसद के रूप में लोकसभा में आगरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। पहले SP और फिर BSP में शामिल होने वाले बघेल 2015 में भाजपा ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष बने और दो साल बाद वे टूंडला से भाजपा विधायक बने। इस बार आगरा से भाजपा के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए। केंद्रीय मंत्री के रूप में यह उनका पहला कार्यकाल है।
वहीं, राज्यसभा के 59 वर्षीय बी एल वर्मा एक ओबीसी नेता हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश के बदायूं से एक सक्रिय पार्टी कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की। वह 2018 में यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष बने और राज्य सभा के सदस्य के रूप में, वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कल्याण समिति में हैं। ओबीसी समुदायों के बीच एक प्रमुख नेता, विशेष रूप से पश्चिमी यूपी में लोधी समुदाय के लिए वह बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का करीबी भी माना जाता है।
अपना दल की 40 वर्षीय अनुप्रिया सिंह पटेल बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री के रूप में शपथ लेने वाली सबसे कम उम्र की महिला मंत्रियों में से एक हैं। वह पिछड़े और वंचित वर्गों के हितों की हिमायती रही हैं। अगले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले मोदी की टीम में उनका शामिल होना महत्वपूर्ण है क्योंकि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के पास प्रमुख पूर्वांचल क्षेत्र में बड़ी संख्या में मतदाता हैं।
जातीय रणनीति को देखें तो ओबीसी जाति विधानसभा चुनाव में अहम होने वाला है, और यदि नॉन यादव वोट पुनः बीजेपी के पाले में जाता है तो यूपी में पिछली बार से भी बड़ी जीत बीजेपी की हो सकती है।
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उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से भारतीय जनता पार्टी के सांसद कौशल किशोर उन 43 नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री के रूप में शपथ ली। 61 वर्षीय कौशल किशोर को हाल ही में भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राज्य प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 2002 से 2007 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य के रूप में भी कार्य किया है।
इस लिस्ट में पांच बार के लोकसभा सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा चौधरी भी हैं। एक सांसद के रूप में, वह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण संबंधी समिति के सदस्य रहे हैं। वर्मा को साक्षरता और परिवार कल्याण के क्षेत्र में काम करके सरकारी योजनाओं को अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों तक पहुंचाने की दिशा में संघर्ष करने के लिए जाना जाता है।
अब यह देखना है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार का उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनावों में कितना फायदा होता है। हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने विकास कार्य को राज्य के सभी वर्गों तक पंहुचाया है जिससे जनता उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार है। परन्तु अब भी कुछ लोग हैं जो जातीय समीकरण को अधिक महत्व देते हैं और SP-BSP पूरी तरह से जातिगत राजनीति पर ही निर्भर हैं। यही कारण है कि इन पार्टियों का काउंटर करने के लिए इस मंत्रिमंडल विस्तार में इन बातों का ध्यान रखा गया है। अपने इस रणनीतिक कदम से बीजेपी एक बार फिर बड़े अंतर से विधान सभा चुनावों जीत सकती है।