देश की राजनीति में नई बयार चलाने का दावा करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विषय में यदि ये कहा जाए कि मुस्लिम तुष्टिकरण के मामले में उन्होंने कांग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया है, तो संभवतः गलत नहीं होगा। बीजेपी पर जो केजरीवाल हिन्दुओं की राजनीति करने का आरोप लगाते नहीं थकते थे, उन्हीं केजरीवाल की सरकार द्वारा दिल्ली में मौलानाओं को प्रति वर्ष 9 करोड़ रुपए का वेतन दिया जा रहा है। ये दावा कोई राजनीतिक नहीं अपितु आरटीआई द्वारा निकाला गया है। इसके विपरीत अगर बात मंदिर के पुजारियों की करें तो केजरीवाल सरकार की जेब से पुजारियों के लिए एक फूटी कौड़ी भी खर्च नहीं की गई है। ये दिखाता है कि अरविंद केजरीवाल कांग्रेस को तुष्टीकरण के प्रतिस्पर्धा मे पीछे छोड़ने की शपथ ले चुके हैं।
किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री हो, या देश का प्रधानमंत्री… उसके लिए धर्म से बड़ा संविधान होता है। यदि किसी एक धर्म के लोगों को अन्य की अपेक्षा अधिक महत्व दिया जा रहा है, तो ये संवैधानिक रूप से एक आपत्तिजनक बात हैं, किन्तु दिल्ली की केजरीवाल सरकार ये सारी बातें भूल चुकी है। हाल ही में पार्थ कुमार नाम के एक शख्स द्वारा डाली गई आरटीआई के जवाब में खुलासा हुआ है कि केजरीवाल सरकार प्रति वर्ष मौलानाओं के वेतन के लिए करीब 9 करोड़ 34 लाख रुपए खर्च करती है, जो कि एक अप्रत्याशित बात है।
और पढ़ें- ‘हिंदुओं का पलायन होगा’, कांग्रेस के बाद अब केजरीवाल करदाताओं के पैसों से बनवा रहे हैं हज हाउस
दरअसल आरटीआई का जवाब बताता है कि साल 2015-16 से ही दिल्ली सरकार मौलानओं को वेतन प्रदान कर रही है। खास बात ये भी है कि वेतन पहले करीब दो से चार करोड़ के बीच ही सिमट जाता था, किन्तु 2019-20 एवं 2020-21 में ये आंकड़ा 9 करोड़ रुपए से भी अधिक हो गया है, संभावनाएं है कि इस वित्त वर्ष तक ये नया आंकड़ा साढ़े 9 करोड़ तक पहुंच जाएगा।
मित्रों क्या आपको पता है @ArvindKejriwal के पास मौलवियों को तनखा देने के लिए 9.5 करोड़ हर साल के है लेकिन मंदिर में पुजारी के लिए एक पैसा भी नहीं है।
आरटीआई की जानकारी के अनुसार @CMODelhi हर साल मौलवियों को 9.5 करोड़ सैलरी के रूप में देते है।@BJP4Delhi @BJP4India @blsanthosh
— Harish Khurana (@HarishKhuranna) August 31, 2021
इस मुद्दे पर दिल्ली बीजेपी नेता हरीश खुराना ने केजरीवाल सरकार पर तगड़ा हमला बोला है। उन्होंने इस आरटीआई के जवाब की कॉपी ट्वीट करते हुए लिखा, “मित्रों क्या आपको पता है अरविंद केजरीवाल के पास मौलवियों को वेतन देने के लिए 9.5 करोड़ हर साल के लिए हैं, लेकिन मंदिर में पुजारी के लिए एक पैसा भी नहीं है। आरटीआई की जानकारी के अनुसार दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा प्रतिवर्ष मौलवियों को 9.5 करोड़ सैलरी के रूप में देते है।”
मित्रों मुझे कहा जा रहा था ऐसी कोई आरटीआई है ही नहीं ।
लो देख लो। यह आरटीआई की कॉपी पिछले दो साल से लगभग 9.5 करोड़ रुपए मौलवियों की सैलरी के लिए दिल्ली सरकार ने दिए।
मैं इतना ही तो कह रहा हूँ पुजारियों के लिए भी दो।
इतनी काहे मिर्ची लग गयी @AAPDelhi के विधायकों और कार्यकर्ता को। pic.twitter.com/LPrkby6J5Z— Harish Khurana (@HarishKhuranna) August 31, 2021
इसमें कोई शक नहीं है कि दिल्ली सरकार मुस्लिम तुष्टीकरण की सीमाएं लांघ चुकी है। हम सभी ने ये देखा है कि कैसे कोरोना के दौरान कई मंदिरों क पुजारियों ने भी सरकारी वेतन की मांग उठाई थी, लेकिन केजरीवाल सरकार ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसके विपरीत दिल्ली सरकार मौलानाओं के वेतन में प्रतिवर्ष बढ़ोतरी करती जा रही है, जो कि केजरीवाल की कथित धर्म निरपेक्ष राजनीति पर प्रश्न नहीं उठाता, अपितु उनके द्वारा एक नई राजनीति शुरु करने का आपत्तिजनक संकेत देता है।