भले ही चावल की कटोरी के उपनाम के लिए आंध्र प्रदेश और चंडीगढ़ में मतभेद हो, लेकिन कोरोना महामारी के बीच वैश्विक स्तर पर चावल की कटोरी बनने के लिए भारत तैयार है। भारत में निर्यात अब दहाड़ें मार रहा है और अब उम्मीद जताई जा रही है कि भारत विश्व में सबसे बड़ा चावल निर्यातक होने के साथ-साथ लगभग दुनिया का आधे से ज्यादा चावल निर्यात करेगा। अर्थात भारत जल्द ही वैश्विक चावल सप्लाई चेन की अगुवाई करने वाला है।
अमेरिकी खाद्य विभाग की मानें तो इस बार पूरे विश्व में 48.5 मिलियन टन चावल निर्यात होने की संभावना है और भारत अकेले लगभग 23 मिलियन टन चावल निर्यात कर सकता है।
भारत 2021 में वैश्विक चावल निर्यात में 45% तक का योगदान दे सकता है क्योंकि विस्तारित पोर्ट-हैंडलिंग क्षमता के चलते, चीन के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चावल उत्पादक भारत को अफ्रीका और एशिया में खरीदारों को रिकॉर्ड मात्रा में निर्यात करने की ताकत मिल चुकी है। भारत वैश्विक चावल व्यापार के लगभग आधे हिस्से को निर्यात कर सकता है क्योंकि निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर है।
भारत लगातर कृषि उत्पादन के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ इसीवर्ष भारत ऐसा कर रहा है। 2020 में भी भारत का निर्यात 49% बढ़कर रिकॉर्ड 14.7 मिलियन टन हो गया था और गैर-बासमती चावल का शिपमेंट भी 77% बढ़कर रिकॉर्ड 9.7 मिलियन टन हो गया था।
TFI ने उस समय बताया था कि कैसे वियतनाम समेत कुछ विश्व के नए बाजार भारतीय चावल के लिए खोल दिए गए थे। भारतीय व्यापारियों ने वियतनाम को 70,000 टन चावल निर्यात करने का अनुबंध हासिल किया था, जो पहली बार भारतीय चावल खरीद रहा था क्योंकि कोरोना के कारण घरेलू चावल की कीमतें 500 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थीं; जबकि भारत 310 डॉलर प्रति टन की दर से निर्यात कर रहा है। तब राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी वी कृष्णा राव ने रॉयटर्स को बताया था, “पहली बार, हम वियतनाम को निर्यात कर रहे हैं।”
पिछले ही साल KRBL के सीएमडी अनिल मित्तल ने कहा था, “यूरोपीय संघ को भारत द्वारा बासमती निर्यात में अप्रैल से नवंबर 2020 की अवधि के दौरान पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग 71 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। भारत ने यूके को लगभग 140,000 टन ब्राउन राइस का निर्यात किया। 2020 में 31,000 टन से 56,000 टन तक 78 प्रतिशत की वृद्धि के साथ नीदरलैंड दूसरे स्थान पर है और 2019 में 6,800 टन की तुलना में 2020 में भारत 15,818 टन निर्यात के साथ इटली तीसरे स्थान पर है।”
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों की मानें तो 2020 के पहले दस महीनों में भारत का चावल निर्यात 8.34 मिलियन टन से बढ़कर 11.95 टन हो गया था। 2021 में भी गैर-बासमती चावल का शिपमेंट एक साल पहले से लगभग दोगुना होकर 18 मिलियन टन हो सकता है।
पिछले साल कुल 1 करोड़ 47 लाख टन चावल को भारत से निर्यात किया गया था और इस वर्ष यह आंकड़ा 2 करोड़ 20 लाख टन होने की सम्भावनाएं हैं। भारत के पुराने ग्राहकों को छोड़कर इस बार चीन, वियतनाम और बांग्लादेश के रूप में नए ग्राहक भी जुडे़ हैं।
गुजरात में कैबिनेट में हुआ बाद फेरबदल 2022 के चुनावों में भाजपा की राह और आसान करेगा
काकीनाडा बंदरगाह सबसे बड़ा चावल निर्यातक बंदरगाह है लेकिन वहां पर बुनियादी ढांचों की कमी है। अतिरिक्त बंदरगाह क्षमता के बावजूद, काकीनाडा की लोडिंग दर अभी भी दक्षिण पूर्व एशियाई बंदरगाहों से काफी पीछे है क्योंकि समर्पित चावल-हैंडलिंग के लिए बुनियादी ढांचे की कमी है। भारत भले ही हर टन पर 100 डॉलर का डिस्काउंट देता है लेकिन देरी के चलते वो कीमत एक जैसी ही हो जाती है। कंटेनर द्वारा चावल की शिपिंग की लागत बढ़ने के बाद काकीनाडा बंदरगाह पर तनाव बढ़ गया है। फहीम शम्सी, जो कि एक जहाज के कप्तान हैं, उन्होंने बताया कि काकीनाडा में हर महीने 33000 टन चावल लोड होता है वहीं, थाईलैंड में यह काम 11 दिनों में पूरा हो जाता है। सरकार को अपनी निर्यात शक्ति बढ़ाने के लिए बंदरगाहों को मजबूत करना होगा।
2021 के शुरुआती सात महीनों में 12.84 मिलियन टन चावल निर्यात किया जा चुका है जो कि पिछले वर्ष की अपेक्षा 65% अधिक है। उम्मीद है कि बाकी 5 महीनों में 10 मिलियन टन चावल और निर्यात किया जाएगा। इस बार खरीफ फसलों के लिए मौसम अनुकूल रहा है, उम्मीद है भारत तमाम आंकड़ो को पीछे छोड़ते हुए नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।