सेहतमंद जीवन जीने के लिए क्या जरूरी है? अच्छा खाना और नियमित व्यायाम। व्यायाम में लोगों का सबसे पसंदीदा है रनिंग यानी दौड़ लगाना फिर चाहे वह सड़कों पर हो या ट्रेडमिल पर। लेकिन कहीं आपकी यह रनिंग आपको धीरे-धीरे सेहतमंद बनाने के बजाय मौत के करीब तो नहीं लेकर जा रही?
2 सितंबर 2021 को अभिनेता-मॉडल सिद्धार्थ शुक्ला ने अंतिम सांस ली। बिग बॉस 13 के विजेता को मुंबई के कूपर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने घोषणा की कि उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई है। उनके आकस्मिक और असामयिक निधन ने सभी को स्तब्ध कर दिया। वह अपनी फिटनेस का बड़ा ख्याल रखते थे। वह शायद ही कभी अपने वर्क आउट रिजीम से चूके हों। लेकिन उनका फिटनेस में ध्यान इतना बढ़ गया था कि सिद्धार्थ को डॉक्टरों ने सलाह भी दी थी कि वे अपने कसरत पर आराम करें। पर उन्होंने किसी की नहीं सुनी।
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कई अभिनेता जिनको पड़ा दिल का दौरा
बिग बॉस 13 के विजेता की तरह, कई भारतीय अभिनेता हैं जिन दिल का दौरा पड़ने से युवावस्था में मृत्यु हो गई। उन्हीं में से एक है, ‘अग्ली’, ‘लक्ष्य’ और जैसी फिल्मों के लिए प्रसिद्ध अबीर गोस्वामी जिनका 2013 में 37 वर्ष की आयु में निधन हो गया। जब वह ट्रेड मिल पर दौड़ रहे थे तब उन्हें दिल का दौरा पड़ा और कुछ ही पलों में उनकी मृत्यु हो गई। इतने फिटनेस फ्रीक होने के बाद भी कैसे उनकी मौत हो सकती थी शायद यह सवाल आपके मन में भी जरूर उठा होगा। हर व्यक्ति के शरीर की संरचना अलग होती है। कुछ लोग बहुत अधिक दबाव नहीं संभाल सकते। इसलिए जब वे अपनी शारीरिक क्षमता से अत्यधिक व्यायाम में संलग्न होते हैं, तो हृदय को शरीर के अन्य भागों में रक्त पंप करने के लिए और भी अधिक मेहनत करनी पड़ती है। जब हृदय पर यह भार बढ़ जाता है तो हृदय गति रुक जाती है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
हालांकि कई बार कार्डियक अरेस्ट से पहले कुछ चेतावनी के संकेत भी मिलते हैं। अगर समय रहते उन पर ध्यान दिया जाए तो यह व्यक्ति की जान बचा सकते हैं। हालांकि कुछ लोग इसे नजरअंदाज करते हैं और सिद्धार्थ शुक्ला ने भी यही किया था। चेतावनी के संकेतों में सीने में तकलीफ, जबड़े मैं जकड़न, कंधे, पेट या शरीर के किसी हिस्से में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, दिल की धड़कनें तेज हो जाना और अत्यधिक पसीना आना शामिल हैं। एक और संकेत यह है कि जब शारीरिक गतिविधि के बाद हृदय गति को सामान्य होने में लंबा समय लगता है तो इस पर भी ध्यान देना और डॉक्टर की सलाह लेना बहुत आवश्यक हो जाता है। इन चेतावनियों को कभी नज़रअंदाज़ न करें। अपने जीवन को बचाने के लिए अपने शरीर की सुनें। जब आपको हल्का दर्द या बेचैनी महसूस हो या बिना वजह पसीना आ रहा हो तो यह कार्डिएक अरेस्ट का संकेत हो सकता है। तुरंत चिकित्सा की तलाश करें।
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ज्यादा व्यायाम को नहीं नियमित व्यायाम को अपनाये
दरअसल, इस दुनिया का सबसे सरल और अडिग सत्य है ‘अति सर्वत्र वर्जयेत’ यानी कि किसी भी चीज की अति बहुत बुरी होती है अति में तो अमृत भी विष बन जाता है। इसलिए लोगों को सलाह दी जाती है कि वे धीरे-धीरे व्यायाम करना शुरू करें और ज़ोरदार गतिविधियों में शामिल न हों, खासकर अगर उन्होंने इसे पहले कभी नहीं किया है। अगर आप कुछ समय के ब्रेक के बाद वापस व्यायाम के शुरुआत कर रहे हैं तो ऐसी स्थिति में भी दौड़ लगाने की बजाय पहले चलना और हल्की-फुल्की जॉगिंग से शुरुआत करें।
कठोर वर्कआउट करने की बजाय रोजाना एक लिमिट में एक्सरसाइज करें। नियमित व्यायाम हृदय प्रणाली को मजबूत करता है। शारीरिक गतिविधि भी हृदय की मांसपेशियों की ताकत हासिल करने में मदद करती है, और पूरे शरीर में परिसंचरण और ऑक्सीजन में सुधार करती है, साथ ही निम्न रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करती है। सप्ताह में कम से कम तीन से चार बार एरोबिक गतिविधियों जैसे चलना, तैरना, धीमी जॉगिंग या साइकिल चलाना चुनना चाहिए। इस हल्की फुल की कसरत से ही शरीर स्वस्थ रहेगा। स्वस्थ जीवन जीने के लिए कठोर व्यायाम नहीं नियमित व्यायाम की आवश्यकता होती है।
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