कैसा लगेगा जब किसी बड़ी सी कंपनी की मालिक की कुर्सी पर आप बैठे होंगे? जब आपके नीचे सौ या फिर कई हज़ार लोग काम करेंगे? महंगा ऑफिस होगा और कई शहरों में आपके कार्यालय होंगे? लेकिन एक ही कमी होगी कि वह कंपनी ऊपर से नीचे तक कर्ज में डूबी होगी. ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार एक सर्वेक्षण में कहा गया है, “पिछले छह वर्षों में भारत में स्टार्टअप उल्लेखनीय रूप से बढ़े हैं। नए मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या जो 2016-17 में केवल 733 थी वह 2021-22 में बढ़कर 14,000 से अधिक हो गई है।” इसी के साथ अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है। सर्वेक्षण के अनुसार 44 भारतीय स्टार्टअप ने 2021 में यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया, जिससे भारत में स्टार्टअप यूनिकॉर्न की कुल संख्या 83 हो गई है।
स्टार्टअप की बढ़ती संख्या के पीछे का कारण है भारत सरकार जिसने एमएसएमई मंत्रालय के साथ मिलकर भारत में स्टार्टअप और एमएसएमई को सशक्त बनाने के लिए कई अनूठी सरकारी योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं। सरकार जानती है कि स्टार्टअप और एमएसएमई वह नींव है जिसके आधार पर आत्मनिर्भर मिशन और मेक इन इंडिया विजन- अधिक रोजगार पैदा करना, निर्यात बढ़ाना, लाखों भारतीयों के जीवन स्तर में सुधार करना और भारत को विश्व स्तर पर मजबूत बनाना सफल होगा।
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स्टार्टअप्स और एमएसएमई के लिए शीर्ष 5 सरकारी योजनाएं जो उन्हें विकास और अधिक व्यवसाय को गति प्रदान करने में मदद कर सकती हैं वे है:-
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना – 10 लाख रुपये तक का ऋण देती है।
- सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड (सीजीटीएसएमई)- स्टार्टअप और MSMEs को 1 करोड़ रुपये तक का संपार्श्विक-मुक्त ऋण प्रदान किया जाता है।
- ZED प्रमाणन योजना में MSMEs को वित्तीय सहायता- उच्च गुणवत्ता और शून्य दोषों के साथ बेहतर उत्पाद बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है
- प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी (CLCSS)- प्रौद्योगिकी के उन्नयन के लिए 1 करोड़ रुपये तक के निवेश के लिए 15% सब्सिडी प्रदान करती है।
- एमएसएमई को डिजाइन विशेषज्ञता के लिए डिजाइन क्लिनिक- उद्यमी को नेटवर्क से संबंधित नवीनतम रुझानों और डिजाइन मानसिकता और सिद्धांतों के बारे में गहराई से सीख सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा इस तरह की कई योजनाएं चलाई गयीं जिससे देश में कई स्टार्टअप उभरे। जब सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) और स्टार्टअप्स की बात आती है, तो भारत सरकार का रुख बहुत स्पष्ट है। नया भारत स्टार्टअप की सफलता पर निर्भर करता है। उन्हें भारत की बेहतरी के लिए पोषित, संरक्षित और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। लेकिन इतना सब करने के बाद भी ऐसा क्या हो गया कि स्टार्टअप की चमक औक चकाचौंध अब फीकी पड़ती दिख रही है? ऐसा क्यों है कि स्टार्टअप अर्थव्यवस्था सुधारने के बजाये और बिगाड़ रहे है?
ईटी की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में अमेरिकी स्टार्टअप में काम करने वाले लगभग 22,000 से अधिक श्रमिकों की नौकरी गयी है। केवल भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र Ola, Blinkit, BYJU’s (White Hat Jr, Toppr), Unacademy, Vedantu, Cars24, Mobile Premier League (MPL), Lido Learning, Mfine, Trell, farEye जैसी कंपनियों ने लगभग 12,000 कर्मचारियों को निकाल दिया है।
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भारतीय स्टार्टअप भारत सरकार से इतनी सहायता मिलने के बाद भी क्यों विफल हो रहे हैं?
इसका कारण है कि स्टार्टअप की शुरुआत करने वाला जो कंपनी के लॉन्ग- टर्म गोल्स के बजाये कस्टमर और पैसे पर ज़्यादा ध्यान दे रहा है। नए उभरते स्टार्टअप का ध्यान मार्केट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में इतना ज़्यादा है कि वे ग्राहक को गुणवत्ता वाला उत्पाद दे ही नहीं पाते। उदाहरण के तौर पर जोमाटो जिसने शुरुआत में ग्राहक के बीच अपनी पहचान और लोकप्रियता बढ़ाने के लिए मुफ्त डिलीवरी, कम पैसों में मनपसंद भोजन और बड़े-बड़े हस्तियों से अपने विज्ञापन चलवाये। आखिर में जोमाटो की जेब पर इसका असर साफ़ नज़र आने लगा और आखिर में जोमाटो को ब्लिंकित को बेच दिया गया।
इसी का दूसरा उदाहरण है बायजु जो एक ऐसी अकेली कंपनी थी जिसने लॉकडाउन में भी लाखों कमाए और फिर उन्हीं लाखो से और भी कई एड-स्टार्टअप खरीदे जिसमे नीट की तैयारी करवाने वाला आकाश भी शामिल है। बायजु ने सोचा था कि तीन चार सालों तक लॉकडाउन रहेगा और इसी सोच के साथ अपना सारा पैसा अधिग्रहण में लगा दिया बिना यह सोचे कि अगर अगले ही वर्ष स्कूल खुल गए तो कौन उनके ऑनलाइन क्लासेज लेग।
तीसरा उदाहरण है ओला कैब्स जिसने हर क्षेत्र में अपना विस्तार करने की शीघ्रता में आँखें बंद कर Ola Fleet, Ola Financial Services, Ola Foods, ओला कैफ़े, फ़ूड पांडा और ओला डैश जैसी कई कपनियां खोल दीं। बिना सोचे समझे इतनी नाव में पैर रखना उन्हें इतना भारी पड़ गया कि 2022 में उन्होंने आधी से अधिक कंपनियों को बंद कर दिया।
इन कंपनियों का इस तरफ विफल होना भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर कर रहा है क्योंकि जब ये स्टार्टअप नुक्सान में जाते हैं तो इनमें पैसा लगाने वाले लोगों का भी नुकसान होता है। ऐसे में शेयर मार्केट का पैसा भी डूबता है। स्टार्टअप शुरू करने वालों को यह समझना ज़रूरी है कि भले ही सरकार उनकी व्यवसाय शुरू करने में सहायता कर रही है और निवेश करने को तैयार है लेकिन स्टार्टअप को सफल बनाने के लिए उन्हें व्यवसाय की मूल बातें सीखने की जरूरत है। उन्हें यह समझने की जरूरत है कि गुणवत्ता वाले उत्पाद और ग्राहकों की संतुष्टि सबसे ज्यादा मायने रखती है।
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यदि आपके उत्पाद की गुणवत्ता अच्छी है तो लोग कुछ रुपये अतिरिक्त देने में कोई गुरेज नहीं करेंगे। उन्हें यह सीखने की जरूरत है कि भले ही वे तेजी से बढ़ने और दोगुनी गति से अधिक पैसा कमाना चाह रहे हैं, लेकिन बिना सोचे-समझे खर्च और अधिग्रहण उन्हें कहीं नहीं ले जायेगा। विकास एक धीमी प्रक्रिया है और व्यवसाय को विकसित करने में समय लगता है। यह एक छोटे बीज की तरह है जिसे एक पौधा बनने के लिए उचित सूर्य प्रकाश और सिंचाई की आवश्यकता होती है और एक मजबूत पेड़ बनने के लिए मजबूत मौसम का सामना करना पड़ता है। कोई भी एक रात में अमीर नहीं बनता।
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