भारतीय राजनीतिक इतिहास में यदि सबसे बडे दुर्भाग्य की बात करेंगे तो “परिवारवादी राजनीति” का उल्लेख काले अक्षरों में इंगित होगा। जिस प्रकार से स्वतंत्रता पश्चात एक ही पार्टी और परिवार के इर्द गिर्द सत्ता घूमती रही, उन परिवारों को यही लगने लगा कि यह देश तो उनकी संपत्ति है। यहां जो नियम होंगे वो उन्हें छोड़ सबको मानने पड़ेंगे। अब इतने वर्षों की आदत तो जाने से रही पर ये लोग यह भी नहीं आत्मसात कर पा रहे हैं कि उन्हें सत्ता से निकले हुए 8 वर्ष हो चुके हैं। ऐसे में यूपीए की मैडम, कांग्रेस की ऑल टाइम कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपने शब्दों पर नियंत्रण रख लेना चाहिए नहीं तो क़ानून तो अपना काम कर ही रहा है!
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दरअसल, कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी की एक टिप्पणी ने पूरे राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को बदलकर रख दिया है। उनके एक शब्द ने भाजपा को अवसर दे दिया और कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को सोचने पर मजबूर कर दिया कि विपक्षी होने के बाद भी जितना विरोध वो सत्ता पक्ष का नहीं कर पा रहे हैं उससे कहीं अधिक विरोध तो सत्ता पक्ष ही करता जा रहा है। ध्यान देने वाली बात है कि बुधवार को अधीर रंजन चौधरी जब सदन से बाहर निकलें तो मीडिया ने उनसे पूछा था कि आप राष्ट्रपति भवन जा रहे थे पर जाने नहीं दिया गया। इस पर उन्होंने कहा था कि “आज भी जाने की कोशिश करेंगे, हिंदुस्तान की ‘राष्ट्रपत्नी’ सबके लिए हैं। हमारे लिए क्यों नहीं।” इसपर जब विवाद बढ़ा तो अधीर रंजन चौधरी ने सफ़ाई देते हुए कहा कि “यह जुबान फिसलने से हुआ है। मैं व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति से मिलकर इस मामले में माफी मांगूंगा।”
बस फिर क्या था, अधीर रंजन चौधरी की ‘राष्ट्रपति’ पर की गई टिप्पणी को लेकर जब गुरूवार सुबह सोनिया गांधी से मीडिया ने सवाल किया तो कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वह पहले ही माफी मांग चुके हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पर की गई अपमानजनक टिप्पणी पर भाजपा सांसदों द्वारा सोनिया गांधी से माफी मांगने की मांग के बाद एक पूर्ण पैमाने पर विवाद छिड़ गया। इस पर सवाल पूछे जाने पर सोनिया गांधी ने कहा कि “वह पहले ही माफी मांग चुके हैं।” सबकुछ तो ठीक था लेकिन सोनिया गांधी के जवाब के लहजे ने बवाल खड़ा कर दिया। जिस तरह सोनिया गांधी ने जवाब दिया था उससे उनका अहंकार साफ़-साफ़ प्रदर्शित होता दिख रहा था। ये तो रही सुबह संसद के बाहर वाली बात लेकिन मामला जब लोकसभा में आया तो सोनिया गांधी ने जिस प्रकार आक्रामक होते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर चिल्लाया उससे यह तो सिद्ध हो गया कि सच में आज भी राजशाही वाले ठाठ की आदी हो चुकीं सोनिया स्वयं को सबसे ऊपर समझती हैं जबकि वास्तविकता इससे परे है।
रस्सी जल गई पर बल नहीं गया
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की टिप्पणी पर भाजपा ने विपक्षी दल पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अपमान करने का आरोप लगाया और मांग की कि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने चौधरी पर अपनी टिप्पणी से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के साथ-साथ पूरे आदिवासी समुदाय, महिलाओं, गरीबों और दलितों का अपमान करने का आरोप लगाया।
उन्होंने चौधरी की टिप्पणी के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगने की मांग की और दावा किया कि गांधी ने एक गरीब आदिवासी महिला के “अपमान” को मंजूरी दी, जो देश की राष्ट्रपति बन गई हैं। गुरुवार को लोकसभा में सोनिया गांधी और स्मृति ईरानी के बीच आमने-सामने की बैठक ने स्थगन के दौरान पारा चढ़ा दिया। जैसे ही दोपहर 12 बजे के बाद निचले सदन को स्थगित कर दिया गया सोनिया ट्रेजरी बेंच के पास चली गईं और आसन पर विराजमान रमा देवी से जानना चाहा कि उन्हें इस मुद्दे में क्यों घसीटा गया।
सोनिया गांधी ने रमा देवी के साथ बात करते हुए कहा कि “अधीर रंजन चौधरी पहले ही माफी मांग चुके थे। मुझे इसमें क्यों घसीटा जा रहा है।” वहां, मौजूद स्मृति ईरानी ने कहा- मैडम मैं आपकी मदद कर सकती हूं, मैंने आपका नाम लिया था। इस पर सोनिया ने कहा- डोंट टॉक टु मी। बस इसके बाद दोनों के बीच तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गई। बहस बढ़ती देख सोनिया वहां से चली गईं। उनके जाने के बाद भाजपा की महिला सांसदों ने नारेबाजी शुरू कर दी।
उपर्युक्त घटना उन बातों की ओर सभी का ध्यान आकर्षित करने के लिए काफ़ी है कि रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। साथ ही इससे यह भी प्रदर्शित होता है कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबने और सत्ता से बेदख़ल होने के बाद भी सोनिया गांधी ने स्वयं को सर्वेसर्वा समझना बंद नहीं किया है।
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