नई दिल्ली अगले सप्ताह गणतंत्र दिवस समारोह में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी (Abdel Fattah El Sisi) का गर्मजोशी के साथ स्वागत करने के लिए तैयार है। जाहिर है, राष्ट्रपति अल-सिसी भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मिस्र से आने वाले पहले मुख्य अतिथि होंगे। अधिक महत्वपूर्ण यह है कि मिस्र के राष्ट्रपति स्वतंत्रता के बाद से गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि बनने वाले पश्चिम एशियाई और अरब दुनिया के पांचवें नेता होंगे।
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साझेदारी के अवसर
अब्देल (Abdel Fattah El Sisi) गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनने के लिए 24 जनवरी को दिल्ली आ रहे हैं। वह 24 से 26 जनवरी तक भारत यात्रा पर रहेंगे। कोरोना के चलते पिछले दो वर्षों में किसी विदेशी अतिथि को आमंत्रित नहीं किया गया था लेकिन इस बार मुख्य अतिथि को बुलाया गया है। देखने वाली बात है कि भारत-मिस्र के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल 2022 में ही पूरे हुए थे। यही वजह है कि अब्देल फतह की भारत यात्रा विशेष है, उनके इस यात्रा से दोनों देशों के बीच की साझेदारी बनाने के अवसर के रूप में देख जा सकता है। ध्यान देने वाली बात है कि राष्ट्रपति बनने के बाद वह तीसरी बार भारत दौरे पर आएंगे, इस दौरान दोनों देश कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
द्विपक्षीय सहयोग की बात करें तो राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी की आगामी यात्रा के दौरान भारत और मिस्र द्वारा कृषि से लेकर डिजिटल क्षेत्रों तक में लगभग आधा दर्जन समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है। इसमें रक्षा सहयोग एक बड़े मुद्दा हो सकता है
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नॉर्थ अफ्रीका का द्वार
अब यदि ध्यान दिया जाए तो मिस्र को नॉर्थ अफ्रीका का द्वार कहा जाता है। मिस्र अफ्रीकी महाद्वीप के उत्तर-पूर्वी छोर पर स्थित है जो इसे अफ्रीका, एशिया और यूरोप के बीच व्यापार के लिए एक प्राकृतिक प्रवेश द्वार बनाता है। मिस्र के एक तरफ सूडान है और दूसरी ओर लीबिया, गाजा पट्टी है। इन दोनों के नजदीक बसा मिस्र अफ्रीका में प्रवेश के भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
बता दें कि मिस्र भी ब्रिटिश उपनिवेश रह चुका है और इस देश के भारत के साथ संबंध कुछ अधिक खास नहीं रहे हैं। मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक ने भारत के तीन से अधिक दोरे किए और पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी ने भारत का दौरा किया था। कई समझौते हुए और मिस्र में कुछ भारतीय कंपनियों का भी प्रवेश हुआ। जहां तक अल सीसी की बात करें तो उन्हेंने मिस्र को एक मजबूत राजनीतिक नेतृत्व दिया है। इसके चलते कूटनीतिक रिश्तों पर भविष्य को ध्यान में रखते हुए फैसले लिए जा सकते हैं।
आर्थिक रिश्तों की बात करें तो दोनों देशों के बीच 2020 -21 में यह 7.26 बिलियन तक गया जो कि अभूतपूर्व है। भारत ने मिस्र से खनिज तेल/पेट्रोलियम, उर्वरक, अकार्बनिक रसायन और कपास जैसे उत्पादों का आयात किया, जबकि आयरन एंड स्टील, लाइट व्हीकल्स और कॉटन यार्न का मिस्र को निर्यात किया गया। मिस्र के पास सोने, तांबे, चांदी, जस्ता और प्लेटिनम का बड़ा भंडार है।
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रक्षा सहयोग में जबरदस्त वृद्धि (Abdel Fattah El Sisi)
पिछले 8 वर्षों में दोनों देशों के रक्षा सहयोग में जबरदस्त वृद्धि हुई है। सैन्य अभ्यासों में भाग लेने से लेकर भारतीय नौसेना का सहयोग करने तक में मिस्र आगे रहा है और दोनों देशों के बीच हल्के लड़ाकू विमानों के प्रोडक्शन तक पर बात हुई है।
भारत I2U2 का सदस्य है और इसमें इजरायल, अमेरिका और यूएई शामिल हैं। भारत मिडिल ईस्ट में रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने से लेकर वहां हथियारों के निर्यात पर भी नजर टिकाए हुए है। भारत की साख की बात करें तो इजरायल और फिलिस्तीन दोनों के साथ भारत के रिश्ते अच्छे हैं। कुछ यही स्थिति मिस्र की भी है। इजरायल और फिलिस्तीन के युद्ध के बीच शांति के लिए मध्यस्थता का काम भी मिस्र (Egypt) ने ही किया था। ऐसे में मिडिल ईस्ट में भारत की उपस्थिति में मिस्र की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है।
अगर भारत को नॉर्थ अफ्रीका में प्रवेश करना है तो मिस्र (Abdel Fattah El Sisi) महत्वपूर्ण साबित होगा क्योंकि भारत अफ्रीका के कई छोटे देशों के साथ अपना सहयोग बढ़ाना चाहता है। भारत अफ्रीका में मूलभूत सुविधाओं को बेहतर बनाना के लिए निवेश तो कर रहा है लेकिन अंधा पैसा नहीं झोंक रहा है।
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मिडिल ईस्ट में भारत की करीबी
दूसरी ओर साउथ अफ्रीका और नामीबिया जैसे देशों के साथ भारत के रिश्ते बहुत सहज हैं किंतु अफ्रीका में बहुआयामी उद्देश्यों के चलते मिस्र (Egypt) को अधिक महत्वपूर्ण नहीं माना जा रहा है। लेकिन पूरे अफ्रीका पर नजर रखने में और अपना कूटनीतिक विस्तार करने में भारत के लिए मिस्र मददगार साबित हो सकता है। इससे न केवल मिडिल ईस्ट में भारत की करीबी बढ़ेगी बल्कि चीन को सीधी चोट भी मिलेगी।
यदि भारत के लिए अफ्रीका द्वार पूरी तरह खुल जाता है तो वहां अपनी स्थिति को मजबूत करके चीन के किसी भी प्रयास को भारत रोक सकेगा। ध्यान देना होगा कि भारत के व्यापार को प्रभावित करना चीन की प्राथमिकता रही है। ऐसे में इस समय जब चीन अपनी आंतरिक परेशानियों के बीच फंसा है तो भारत के लिए कूटनीतिक रूप से मिस्र और उसके अन्य सहयोगी देशों को साथ लाने का उत्कृष्ट अवसर है चीन के भारत विरोधी किसी भी योजना को नष्ट करने का।
सटीक शब्दों में कहें तो भारत इस क्षेत्र में अपने रक्षा उत्पादों के निर्यात के लिए मिस्र को लॉन्चपैड के रूप में उपयोग करने की योजना पर काम कर रहा है, जिससे आर्थिक और रक्षा दोनों स्तर पर भारत को सफलता मिले।
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