आप सभी इन दिनों बंगाल का हाल देख ही रहे है और इसमें कोई दो राय नहीं है की पश्चिम बंगाल की स्थिती दिन प्रतिदिन बद से बत्तर होती जा रही है। हिंसा की आग में बंगाल जल रहा है। और वंहा की ममता सरकार बंगाल के हालातों पर काबू पाने में पूर्ण रुप से असर्मथ सिद्ध हुई है। पश्चिम बंगाल में लगातार दंगे देखने को मिल रहे हैं । आगजनी जैसी घटनाएं आम बात हो गई है। लेकिन अब इन परिस्थियों के बीच एक खतरनाक साजिश का रहस्योद्घाटन हुआ है।
इस लेख में पढिये कि कैसे एनआईए ने कैसे 26/11 और बेरूत जैसा विस्फोट होने के खतरे को टाल दिया है और क्यों अब पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने का सही समय आ गया है।
पश्चिम बंगाल इन दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनाता प्रतीत हो रहा है। आयेदिनो वहां आगजनी, दंगे लोगों की हत्याएं आम बात हो गई हैं। अभी हल ही में रामनवमी के अवसर हिंदू विरोधी दंगे पश्चिम बंगाल में देखने को मिले। वहां रामनवमी के अवसर पर शोभायात्रा निकाल रहे लोगों पर एक धर्म विशेष के द्वारा पत्थरबाजी की गई।
पश्चिमी बंगाल की ममता सरकार पर लगातार तुष्टीकरण की राजनीति करने के आरोप लग रहे हैं। स्थिती ये बन चुकी है कि ममता बनर्जी की वोट बैंक की राजनीति के कारण बंगाल के कई इलाके एक धर्म विशेष हो चुके हैं और हिंदुओं का इन इलाकों में जीना भी मुश्किल हो गया है। लगातार राज्य की स्थिती स्थानीय लोगों के साथ साथ अब राष्ट्र सुरक्षा के लिए भी बड़ा प्रश्न बनती जा रही है।
पश्चिम बंगाल से बड़ी मात्रा में विस्फोटक बरामद
दरअसल, अब हुआ ये है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पश्चिम बंगाल में विस्फोटकों और डेटोनेटर के दो कथित आपूर्तिकर्ताओं को पकड़ा है। एजेंसी के एक प्रवक्ता ने बताया कि पिछले साल दर्ज एक मामले की जांच के सिलसिले में शुक्रवार को ये छापेमारी की गई है।
एनआईए ने शनिवार को एक प्रेस बयान में कहा, “मीर मोहम्मद नुरुज्जमां ने जहां रिंटू एसके को 27,000 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट की आपूर्ति की थी। गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक राज्य शिक्षा विभाग के मुख्यालय विकास भवन में ‘डाटा एंट्री ऑपरेटर’ के रूप में काम कर रहा था और उसे कोलकाता के पास राजारहाट से गिरफ्तार किया गया।“
उन्होंने ये भी बताया कि दूसरे व्यक्ति को पश्चिम बर्धमान जिले के रानीगंज से गिरफ्तार किया गया।
बताया जा रहा है कि इन दोनों ने उत्तुंग पहुंच वाले सरकार के लोगों के सहायता से बड़ी मात्रा में विस्फोटक की सप्लाई की है। अब इस बात की जांच की जा ररही है कि इनके पीछे किसका हाथा है।
अब एजेंसियां इस बात की खोज में लगी है इतनी बड़ी मात्रा में इतना विस्फोटक कहां ले जाया जा रहा था?
और इनके मंसूबे क्या थे?
ज्ञात हो कि एक एसयूवी को जून 2022 में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ), कोलकाता द्वारा रोका गया था और इसे लगभग 81,000 इलेक्ट्रिक डेटोनेटर ले जाते हुए पाया गया था। इसी मामले में ये छापेमारी की गई है।अब इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोट का मिलना अत्यंत चिंता का विषय है।
गिरफ्तारी होने के बाद इलेक्ट्रिक डेटोनेटर और अमोनियम नाइट्रेट की चर्चा हो रही है। अमोनियम नाइट्रेट जितनी बड़ी मात्रा में प्राप्त हुआ है उससे एक इलाका पूरी तरह तबाह हो सकता है।
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अमोनियम नाइट्रेट से हो चुके हैं कई भयंकर विस्फोट
बता दें कि अमोनियम नाइट्रेट (NH4NO3) एक सफेद, क्रिस्टलीय औद्योगिक रसायन है जो पानी में घुलनशील है। इसका आमतौर पर उर्वरकों में और खनन के लिए विस्फोटक के रूप में उपयोग किया जाता है।
यह विस्फोट में आक्सीडाइजर का काम करता है जिससे विस्फोट की ताकत कई गुना बढ़ जाती है। इसे स्टोर कर रखना भी आसान होता है।
भारत में अमोनियम नाइट्रेट की बिक्री या उपयोग के लिए निर्माण, रूपांतरण, बैगिंग, आयात, निर्यात, परिवहन, कब्जे क अमोनियम नाइट्रेट नियम 2012 के तहत किया जाता है।
इस नियम के अनुसार इस रसायन को किसी रिहायशी इलाके में स्टोर नहीं किया जा सकता है। बताते चलें की अमोनियम नाइट्रेट के निर्माण के लिए औद्योगिक विकास और विनियमन अधिनियम 1951 के तहत एक लाइसेंस की भी जरुरत होती है।
वर्ष साल 1921 में जर्मनी के ओप्पाउ शहर में अमोनियन नाइट्रेट के कारण एक कारखाने में धमाका हुआ था। जिसमें अमोनियम नाइट्रेट की मात्रा 4500 टन थी और दुर्घटना में 500 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। ऐसे ही अमेरिका के इतिहास की सबसे जानलेवा औद्योगिक दुर्घटना साल 1947 में टेक्सास के गालवेस्टन बे में हुई थी।
बंदरगाह पर खड़े एक जहाज में 2000 टन अमोनियम नाइट्रेट की मात्रा रखी हुई थी और इसमें विस्फोट हो गया। उस हादसे में कम से कम 581 लोग मारे गए थे। कुछ इसी प्रकार 2015 में चीन के तियानजिन बंदरगाह पर अमोनियम नाइट्रेट से जुड़ी एक दुर्घटना में 173 लोग मारे गए थे।
कुछ इसी तरह वर्ष 2020 में लेबनान की राजधानी बेरूत में 4 अगस्त को ऐसा विस्फोट हुआ जिसने पूरे शहर को मलबे में तब्दील कर दिया। इस विस्फोट की तस्वीरें देखकर आज भी लोग कांप उठते हैं। २०० से ज्यादा लोग मारे गए, १०० से अधिक लापता और ६,००० से अधिक लोग घायल हुए। इस विस्फोट इतने शक्तिशाली थे कि इनकी आवाज 240 किमी दूर साइप्रस में भी सुनाई दी थी। इसके धमाके के बाद लेबनान के राष्ट्रपति मिशेल आउन ने कहा था कि बेरूत के पोर्ट इलाके में स्थित एक वेयरहाउस में 2750 टन (27,50,000 किलोग्राम) अमोनियम नाइट्रेट असुरक्षित रूप से रखा हुआ था। इसी अमोनियम नाइट्रेट की वजह से भीषण धमाका हुआ है।
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अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि इतनी बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट का जखीरा मिलना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कितना बड़ा खतरा है। भारत 26/11 जैसे विस्फोट का दंश झेला है। आज भी उसे याद कर लोगों की आंखे भर जाती, शरीर में कंपन शुरु हो जाते है।
बंगाल में बरामद की गयी ये विस्फोटक देश में तबाही मचाने के लिए प्रप्त था। ऐसे में अब आवश्यकता है कि पश्चिम बंगाल की वर्तमान स्थिती को गंभीरता से लिया जाए। जिससे राज्य की कानून व्यवस्था दुरस्त हो सके।
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