जब एक सज्जन पुरुष ने एक “वर्ल्ड क्लास पत्रकार” के पत्रकारिता को लेकर कहा था, “नहीं मैं ये मानता नहीं हूँ और मैं आपको सीरियसली लेता नहीं हूँ!”, हमें तभी समझ जाना चाहिए था कि गाड़ी किस दिशा मुड़ने वाली है. पर कभी सत्ता के आसपास मंडराने से लेकर नेशनल मीम मटेरियल बनने तक श्रीमान राजदीप सरदेसाई की यात्रा अद्वितीय है. अब इन्होने कुछ ऐसा कहा है, जिसके पीछे ये पुनः सोशल मीडिया पर वाद विवाद का केंद्र बने हैं. कारण: मिडिल क्लास के प्रति इनकी कुंठा!
नहीं समझे? अभी अभी बंधुवर एक संगोष्ठी में अपने बिरादरी को मिल रहे ज़ीरो अटेंशन एन्ड कवरेज पर अपना दुखड़ा रो रहे थे. रोते रोते कहे, “सच्चाई ये है कि हमारे देश का मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा सांप्रदायिक बन गया है। गरीब सांप्रदायिक नहीं होता। गरीब हिंदू-मुस्लिम को एक-दूसरे की जरूरत ज्यादा पड़ती है। जब हम अमीर, मीडिल क्लास बनते हैं तब हम हमारी धार्मिक आइडेंटिटी को सांप्रदायिकता में बदलते हैं”.
अरे रे रे रे, कितना दुःख है मैडिसन स्क्वेयर के बॉक्सर के जीवन में! शायद मुख़्तार अंसारी के घर का तंदूरी चिकन निपटाने को नहीं मिला. परन्तु ठहरिये, ये तो मात्र प्रारम्भ है. राजदीप आगे बताते हैं, “सोशल मीडिया हो या ह्वाट्सएप हो, जिस तरह की बयानबाजी होती है, वो मध्यमवर्गीय जो स्कूल, कॉलेज आदि में जाते हैं उनमें सबसे ज्यादा होती है। लेफ्ट कमजोर क्यों हुआ है, क्योंकि मीडिल क्लास बढ़ा है। मीडिल क्लास अपने स्वार्थ के लिए एक तरह से आगे बढ़ता है”।
Seems like Rajdeep's been spending too much time in the echo chamber lately, claiming that the aspirational middle class of India is 'communal.'
Maybe he is just upset that people are seeing through the left and congress propaganda.
Keep dreaming, Rajdeep! pic.twitter.com/v1gRKR7WaH— Parvesh Sahib Singh ( Modi Ka Pariwar ) (@p_sahibsingh) August 6, 2023
राजदीप अंकल, इतना भी सत्य नहीं बोलना था. मतलब जब तक देश कुपढ़ और मूर्ख रहे, तभी तक वो आपके लिए अनुकूल है, जहाँ देश के कर्मठ लोगों ने अपना स्टैण्डर्ड इम्प्रूव करने का प्रयास मात्र भी किया, तो वह सांप्रदायिक और देश के लिए हानिकारक? धन्य हो राजदीप, धन्य है आपकी माइक्रोस्कोपिक बुद्धि!
अब तनिक तथ्यों पे भी चर्चा कर लेते हैं. राजदीप कहते हैं कि मिडिल क्लास साम्प्रदायिकता की ओर अग्रसर है. ये न पूर्णत्या असत्य है और न ही पूर्णत्या असत्य. भारत के मध्यम वर्ग को समझना टेढ़ी खीर रही है. अभी भी कुछ लोग हैं जो सस्ते पेट्रोल और फ्री बिजली पानी के लिए अपने घर बार से लेकर अपना परिवार तक बेचने को तैयार है. विश्वास न हो तो तनिक दिल्ली और बंगाल के चक्कर लगा आइये!
पर क्या यही पूरे भारत का प्रतिबिम्ब है? शायद नहीं। 2014 छोड़िये, 1991 के उदारीकरण के पश्चात से एक ऐसा वर्ग उभरकर आ रहा है, जो न केवल आर्थिक रूप से समग्र एवं कुशल है, अपितु अपने लिए एक निश्चित कद और पद चाहता है. वह तुष्टिकरण के नाम पर उनके अधिकारों के निरंतर हनन से थक चुका है. वह कुछ नहीं चाहता, सिवा स्वाभिमान और अपने परिश्रम के मान के. वह अपने परम्पराओं और संस्कृति का मान रखते हुए भी प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है? इसमें कौन सी संकट की बात आन पड़ी राजदीप मियां? या फिर बात कुछ और है?
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इसके अतिरिक्त राजदीप की परिभाषा ही खोटी है. इनके अनुसार मिडिल क्लास सांप्रदायिक है, और गरीब धर्मनिरपेक्ष! तो फिर नूंह में उपद्रव करने वाले कौन थे भाई? वे क्या आसमान से प्रकट हुए? क्या उन दंगाइयों के पास अकूत संपत्ति है? असल में उपद्रवी का एक ही लक्ष्य होता है : विध्वंस! अगर कोई उसका मौखिक विरोध भी करे, तो वो सांप्रदायिक कैसे, कोई बताएगा?
सच कहें, तो राजदीप को इस बात की दिक्कत है कि इनके जैसे “भूरे साब” की बात को अब भारत की जनता सर आँखों पे नहीं नवाती. इसी की कुंठा इनके अनर्गल प्रलाप में स्पष्ट दिखाई देती है. इसी बात पर प्रकाश डालते हुए विशाल चतुर्वेदी नाम एक यूजर ने लिखा, “यह सामान्यीकरण सामान्य मेहनती हिन्दुओं के प्रति आपकी नफरत को दर्शाता है, जो अपनी जड़ें वापस जोड़ रहे हैं। आप और आपकी तरह के Khan Market Gang इससे नफरत करते हैं। आप चाहते हैं कि हिंदू सोचें कि वे एक अलग धर्म के अधीन हैं और जैसे ही हिंदू समानता की बात करते हैं आप उन्हें सांप्रदायिक कहते हैं। यह नया भारत किसी के अधीन नहीं रहेगा और समानता के लिए लड़ेगा।”
Rajdeep calls middle class Selfish and Most Communal people.
Rajdeep even calls Scientists communal. Says people who're reading science are communal.
Does @IndiaToday support such Hate on its platforms by @SardesaiRajdeep? pic.twitter.com/k0jeb82OvT
— Ankur Singh (Modi Ka Parivar) (@iAnkurSingh) August 5, 2023
परन्तु ऐसा तो बिलकुल नहीं लगता कि राजदीप बाबू सुधरने के लिए तनिक भी इच्छुक हैं. अपने स्पष्टीकरण में भी जनाब मिडिल क्लास को ही दोषी ठहराने को उद्यत थे. हर तरफ आलोचना होने के बाद राजदीप सरदेसाई ने इसे जेनरलाइज नहीं करने की अपील की। इसके साथ ही उन्होंने मध्यम वर्ग की तारीफ करते हुए माफी भी माँगी। राजदीप ने कहा कि उनके बयान से अगर को धक्का पहुँचा है तो वो इसके लिए माफी माँगते हैं।
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अपने X पोस्ट में राजदीप ने कहा, “मैं चाहता हूँ कि लोग छोटी क्लिप पर टिप्पणी करने से पहले Lallantop पर नेता नगरी का पूरा 200वाँ एपिसोड देखें। भारत का मध्यम वर्ग आश्चर्यजनक रूप से आकांक्षी, मेहनती, साधन संपन्न है और अगली सदी में भारत को आगे बढ़ाएगा। यह हमारा विकास इंजन है।”आगे अपने X पोस्ट में इन्होने ये भी लिखा, “हालाँकि, उन्होंने अपनी बात को दोहराते हुए कहा, “इसका (मीडिल क्लास का) एक हिस्सा साम्प्रदायिक ज़हर में भी डूबा हुआ है। (मैं सामान्यीकरण नहीं करना चाह रहा था, अगर ऐसा लगा तो मैं माफी माँगता हूँ)।
Middle class India is the most immoral. Always has been.
— Rohini Singh (@rohini_sgh) December 18, 2020
महान राष्ट्र पुल बनाने वालों से बनते हैं, विभाजन से नहीं। हमें (हिंदू, मुस्लिम, सभी समुदायों को) एक भारत के रूप में प्रतिबिंबित करने और एक साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।”
सच कहें तो राजदीप वो मनुष्य हैं, जिन्हें मानसिक उपचार की अत्यंत आवश्यकता है, परन्तु वे इस बात को स्वीकारना नहीं चाहते. शायद मैडिसन स्क्वेयर के घाव अभी भरे नहीं है!
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