नई दिल्ली: कर्नाटक के बेंगलुरू में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि (RSS Pratinidhi Sabha 2025) महासभा बैठक का आयोजन किया जा रहा है। इस बैठक को लेकर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले (Dattatreya Hosabale) ने औरंगजेब के मुद्दे पर जारी विवाद पर कहा है कि देश विरोधी तत्वों को आदर्श नहीं बनाया जा सकता। इसके अलावा उन्होंने कहा है कि इस साल संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। ऐसे में, RSS का शताब्दी वर्ष कोई उत्सव नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण और समाज को संगठित करने का अवसर है। वक्फ
RSS की अखिल भारतीय प्रतिनिधि महासभा बैठक के अंतिम दिन आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दत्तात्रेय होसबोले ने कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि आक्रमणकारी या आक्रांताओं जैसी मानसिकता वाले लोग भारत के लिए खतरा हैं। दिल्ली में एक ‘औरंगजेब रोड’ थी, जिसका नाम बदलकर अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया। इसके पीछे कई कारण थे। औरंगजेब के भाई दारा शिकोह को हीरो नहीं बनाया गया। ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ की वकालत करने वालों ने कभी दारा शिकोह को आगे लाने के बारे में नहीं सोचा। क्या हम किसी ऐसे व्यक्ति को आइकॉन बनाएंगे जो भारत की संस्कृति के खिलाफ था, या हम उन लोगों के साथ जाएंगे जिन्होंने इस भूमि की परंपराओं के अनुसार काम किया?
उन्होंने कहा कि अगर आजादी की लड़ाई अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी जाती है तो यह आजादी की लड़ाई है। उनसे पहले जो लोग थे यानी अंग्रेजों से पहले, उनके खिलाफ लड़ाई भी आजादी की लड़ाई थी। महाराणा प्रताप ने जो किया, वह आजादी की लड़ाई थी। अगर आक्रमणकारी मानसिकता वाले लोग हैं, तो वे देश के लिए खतरा हैं।देशवासियों को यह तय करना होगा कि वे अपना आदर्श औरंगजेब को मानते हैं या दारा शिकोह को।होसबले जी ने आगे कहा कि देश के लोगों को यह निर्णय करना होगा कि वे अपने आइकॉन के रूप में उस व्यक्ति को चुनेंगे जो भारतीय इतिहास और संस्कृति के खिलाफ था, या फिर उस व्यक्ति को चुनेंगे जिसने भारतीय सभ्यता को सम्मान दिया और अपने कृत्यों से देश को गौरवान्वित किया। उन्होंने यह भी कहा कि दारा शिकोह इस आदर्श में ज्यादा फिट बैठते हैं और उन्हें देश का आइकॉन मानने पर विचार किया जाना चाहिए। हमें तय करना होगा कि हम अपने देश की संस्कृति के साथ किसे जोड़ने जा रहे हैं। यह धर्म की बात नहीं है। यह RSS का दृढ़ विचार है।
जातिगत जनगणना के मुद्दे को लेकर RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि समाज में जाति-बिरादरी के हिसाब से आपस में झगड़े नहीं होने चाहिए। जब खेल में कोई मेडल आता है या फिर कोई सैनिक बॉर्डर पर बलिदान होता है तो हम उसका धर्म-जाति नहीं देखते। हमें उन पर गर्व होता है। यही सद्भाव है।
होसबोले ने कहा कि इस वर्ष विजयादशमी (दशहरा) से संघ के स्वयंसेवक ब्लॉक और टाउन स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करेंगे। हर गांव-बस्ती में संपर्क अभियान चलाया जाएगा। नवंबर 2025 से जनवरी 2026 के बीच तीन हफ्तों तक घर-घर जाकर संपर्क अभियान चलेगा। सभी मंडल और बस्तियों पर हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। सामाजिक सद्भाव बैठकः ब्लॉक/शहर स्तर पर समाज को जोड़ने के लिए विशेष बैठकें होंगी।उन्होंने यह भी कहा कि संघ शताब्दी वर्ष में जिला लेवल पर प्रबुद्ध नागरिकों के साथ संवाद कार्यक्रम होंगे। साथ हीप्रांत स्तर पर युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। कर्नाटक में मुस्लिमों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर बात करते हुए होसबोले ने कहा कि भारत के संविधान के मुताबिक, धार्मिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। बाबा साहेब अंबेडकर भी यह नहीं चाहते थे। अगर कोई सरकार ऐसा करती है तो वह बाबा साहेब की मंशा के खिलाफ काम कर रही है। एक बार महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी धर्म के आधार पर आरक्षण का ऐलान कर दिया था लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे लागू नहीं होने दिया।
हिन्दू संगठनों द्वारा वक्फ कानून को निरस्त करने की मांग को लेकर पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, “वक्फ द्वारा उनकी भूमि पर अतिक्रमण से कई किसान भी प्रभावित हैं। सरकार समाधान पर काम कर रही है और जो गलत है, उसे दूर किया जाना चाहिए। सरकार ने वक्फ के लिए एक आयोग बनाया है। हम देखेंगे कि वे क्या लेकर आते हैं। अब तक जो भी हुआ है वह सही दिशा में हुआ है। हम देखेंगे कि आगे क्या होता है।”